संचारी रोग नियंत्रण अभियान :
स्वास्थ्य विभाग और यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से नोडल बनाए गए शिक्षकों का अभिमुखीकरण (जानकारी दी गई) किया गया
- पीटीएम के दौरान दें संचारी रोगों से बचाव की जानकारी
- बच्चों को पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनने को कहें
गाजियाबाद, 27 मार्च, 2024। एक अप्रैल से शुरू होने वाले संचारी रोग नियंत्रण अभियान की तैयारियां जोरों पर हैं। इसी क्रम में बुधवार को राजकीय इंटर कॉलेज, नंदग्राम में अभिमुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य विभाग और यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से अभियान के लिए नोडल नियुक्त किए गए शिक्षकों को संचारी रोगों, उनके कारण और बचाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) राजेश श्रीवास्तव की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम के दौरान जोनल कीट विज्ञानी डा. कीर्ति त्रिपाठी, यूनिसेफ के जिला समन्वयक मोहम्मद शादाब, डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि, सहायक मलेरिया अधिकारी नरेंद्र कुमार और मलेरिया निरीक्षक डेजी त्यागी आदि का सहयोग रहा।
बता दें कि संचारी रोग नियंत्रण अभियान के दौरान आयोजित गतिविधियों के सुचारू रूप से संचालन के लिए जनपद के सभी स्कूल- कॉलेजों में एक-एक शिक्षक को नोडल शिक्षक नियुक्त किया गया है। बुधवार को राजकीय इंटर कॉलेज, नंदग्राम में नोडल शिक्षकों को संचारी रोग नियंत्रण अभियान के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि अभियान के दौरान उन्हें क्या करना है। जोनल कीट विज्ञानी डा. कीर्ति त्रिपाठी ने वेक्टर जनित रोगों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया - जल जमाव होने पर ही मच्छर पनपते हैं।
डेंगू बुखार के जिम्मेदार एडीज मच्छर साफ और रुके हुए पानी में पनपता है लेकिन एडीज का लार्वा बिना पानी के भी दो साल तक जीवित रह सकता है। एडीज मच्छर दिन के समय काटता है लेकिन यह अधिक ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता, इससे बचाव के लिए शरीर के निचले हिस्से और पैरों को अच्छी तरह से ढक कर रखना जरूरी होता है। मलेरिया के लिए जिम्मेदार मादा एनाफिलीज मच्छर थोड़ा सुस्त होता है और कम काटता है, लेकिन खतरनाक दोनों हैं। मादा मच्छर को अपने अंडे सेहने के लिए मानव रक्त की जरूरत होती है। मानव रक्त प्राप्त करने के लिए वह हमें काटती है।
डा. कीर्ति ने बताया - एक से तीन दिन में मच्छर का अंडा लार्वा बन जाता है, फिर प्यूपा और उसके बाद करीब 15 दिन में एडल्ट मच्छर। अंडा, लार्वा और प्यूपा, पानी में रहते हैं और पानी में उस पर वार करने का सही समय होता है। पानी नहीं मिलेगा तो मच्छरों का प्रजनन भी नहीं हो पाएगा। इसलिए सबसे आसान तरीका यही है कि अपने घर के आसपास पानी जमा न होने दें। उन्होंने कार्यक्रम में पहुंचे नोडल शिक्षकों से यह बातें छात्रों और अभिभावकों तक पहुंचाने की अपील की।
यूनिसेफ के जिला समन्वयक मोहम्मद शादाब ने कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों से अपील की कि पीटीएम के दौरान अभिभावकों को संचारी रोगों के बारे में जागरूक करें और साथ ही उन्हें बचाव के बारे में भी बताएं। बदलते मौसम में पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। उन्होंने बच्चों को दिए जाने वाले नियमित टीकाकरण की जरूरत के बारे में बताया। टीकाकरण जानलेवा बीमारियों से बचाव का सबसे प्रभावी और कारगर उपाय है। टीकाकरण बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है। यह खसरा, टिटनेस, पोलियो, टीबी, काली खांसी और हेपेटाइटिस-बी जैसी बीमारियों से बचाव करता है।
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