डीटीओ ने टीबी के उपचार में आए बदलावों की जानकारी दी
रामा और जीएस मेडिकल कॉलेज में हुई सीएमई
ओपीडी में स्क्रीनिंग बढ़ाने और सीबीनॉट जांच पर भी हुई चर्चा
हापुड़, 22 मार्च, 2024। एनएच-9 स्थित रामा और जीएस मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) का आयोजन किया गया। सीएमई के दौरान जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने टीबी के उपचार में आए बदलावों की जानकारी दी। उन्होंने बताया - क्षय रोगियों को नियमित रूप से दवा के साथ अच्छा पोषण दिए जाने के परिणाम सुखद रहे हैं, इसलिए शत-प्रतिशत रोगियों के एडॉप्शन के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से भी इस संबंध में सहयोग करने की अपील की।
डीटीओ डा. राजेश सिंह ने कहा - ओपीडी में आने वाले टीबी के लक्षण युक्त रोगियों की टीबी जांच अवश्य कराई जाए। प्रतिदिन ओपीडी में आने वाले रोगियों में से पांच प्रतिशत और एकीकृत निक्षय दिवस के मौके पर हर माह की 15 तारीख को ओपीडी के 10 प्रतिशत रोगियों की स्पुटम जांच अवश्य हो। जांच में क्षय रोग की पुष्टि होने पर शत-प्रतिशत नोटिफिकेशन कराया जाए। सभी रोगियों को एडॉप्शन कराने के प्रयास किए जाएं। नोटिफिकेशन से जहां रोगी को सभी सरकारी सुविधाएं मिलना सुनिश्चित हो जाती हैं वहीं एडॉप्शन के बाद मिलने वाले सामाजिक और भावनात्मक सहयोग से उसकी रिकवरी बेहतर होती है।
रामा मेडिकल कॉलेज में प्रधानाचार्य डा. अंशु शर्मा, चेस्ट एंड टीबी विभागाध्यक्ष डा. संजय सहाय, प्रोफेसर राजेंद्र सैनी, डा. सुशांत शर्मा, डा. आशीष त्यागी, डा. सार्थक, डा. इरा सिंह और जीएस मेडिकल कॉलेज में प्रधानाचार्य डा. प्रदीप गर्ग, विभागाध्यक्ष (चेस्ट एंड टीबी) डॉ. राजेश सैनी, चिकित्सा अधीक्षक डा. सुरेश कुमार, मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा. उदय जोशी और रेस्पिरेटरी मेडिसिन की विभागाध्यक्ष डा. लविका लखटकिया आदि मौजूद रहीं। जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने बताया - डीटीओ ने कॉलेज प्रबंधन से सभी क्षय रोगियों की एचआईवी, शुगर, स्पुटम और एक्सरे जांच कराने के साथ ही फेफड़ों (पल्मोनरी) की टीबी वाले सभी रोगियों की जांच सीबीनॉट से कराने की बात भी कही। उन्होंने कहा अन्य अंगों (एक्स्ट्रा पल्मोनरी) की टीबी में भी फ्लूड लेकर सीबीनॉट जांच कराई जाए, इससे टीबी के प्रकार की पहचान और सटीक उपचार देने में मदद मिलती है।
----------------
No comments:
Post a Comment