प्रदूषण और बदलते मौसम में सावधानियां जरूरी हैं : डा. प्रदीप मित्तल
- प्रदूषण से बचाव के लिए सुबह जल्दी टहलने न जाएं
- तला-भुना खाने बचें, सुपाच्य और पौष्टिक भोजन करें
हापुड़, 18 नवंबर, 2023। मौसम बदल रहा है। सुबह-शाम सर्दी होने लगी है। ऐसे में लापरवाही होने का खतरा रहता है। मौसम में बदलाव के कारण सर्दी-खांसी के मामले बढ़ रहे हैं, श्वास (दमा) रोगियों को इस समय विशेष रूप से सतर्क रहने की जरूरत है। दरअसल, ठंड बढ़ने के साथ ही प्रदूषण भी बढ़ा है। खासकर सुबह-शाम प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। ऐसे में मॉर्निंग वॉक पर जाने वालों को विशेष सावधानी की जरूरत है। सुबह जल्दी और शाम को देर से वॉक पर जाने से बचें। यह बातें सोमवार को दस्तोई रोड स्थित संयुक्त जिला चिकित्सालय में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) और वरिष्ठ फिजीशियन डा. प्रदीप मित्तल ने कहीं।
सीएमएस डा. मित्तल ने बताया - यह मौसम स्वास्थ्य की दृष्टि से थोड़ा संवेदनशील होता है। इसमें खानपान और सर्दी - गर्मी से बचाव के लिए सावधानी जरूरी है। थोड़ी सी भी लापरवाही की तो आप बीमार पड़ सकते हैं। सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है। सुबह और शाम के समय पड़ रही गुलाबी ठंड से भी बचाव करें। सुपाच्य और पौष्टिक भोजन करें। ऐसा करने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने पर संक्रमण होने का खतरा कम हो जाता है। सर्दी-खांसी होने पर सार्वजनिक स्थान पर जाने से बचें और यदि जाना जरूरी हो तो मास्क का प्रयोग करें। बीमार होने पर बच्चों को स्कूल न भेजें और नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर चिकित्सकीय परामर्श लें। चिकित्सकीय परामर्श के बिना सीधे दुकान से दवा खरीदकर खाने से बचें।
गर्भवती विशेष रूप से सावधान रहें : सीएमओ
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी ने कहा - गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण से बचाव की विशेष जरूरत होती है। गर्भवती प्रदूषित वातावरण में घर से बाहर निकलने से परहेज करें। सांस लेने में तकलीफ होने या रक्तचाप बढ़ने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लें। घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें तो बेहतर है। मां- और शिशु, दोनों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। जब गर्भवती प्रदूषित वातावरण में सांस लेती है तो गर्भस्थ शिशु को कार्डियोवस्कुलर और सांस से जुड़े रोग होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। दरअसल प्रदूषण के कारण हवा में मौजूद विषैले तत्व सांस के जरिए बच्चे के श्वसन तंत्र में प्रवेश कर जाते हैं। इसके अलावा ऑक्सीजन की कमी से गर्भवती को तनाव, डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन की समस्या हो सकती है। तीसरी तिमाही में गर्भ में पल रहे शिशु को प्रदूषण के कारण ऑटिज्म होने खतरा रहता है। ऑटिज्म एक तरह की मानसिक बीमारी है। इतना ही नहीं अधिक समय तक प्रदूषित वायु में सांस लेने से गर्भपात की आशंका भी बढ़ जाती है।
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