के एमसी में निःशुल्क हृदय रोग परामर्श शिविर का आयोजन
मेरठ। के एम सी संस्थान में आयोजित निःशुल्क हृदय रोग शिविर शृंखला में के॰ एम॰ सी॰ मैडिकल एण्ड एजुकेशन चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान में के. एम. सी. चिकित्सा संस्थान द्वारा निःशुल्क हृदय रोग परामर्श शिविर का आयोजन रविवार को प्रातः 10 बजे से 4 बजे तक किया गया। निःशुल्क हृदय रोग परामर्श शिविर में मरीजों को पंजीकृत कर उनका परीक्षण हार्ट सर्जन एवं हृदय रोग विशेषज्ञ डा तनय गर्ग द्वारा किया गया।
कैम्प में 108 मरीजों को पंजीकृत कर उनका निःशुल्क चैकअप किया गया। सभी मरीजों की फ्री ई सी जी व शुगर की जाँच की गई और ईको व टीएमटी 50ः छूट के साथ की गई। इस कैम्प में आने वाले सभी मरीज मेरठ व आस-पास के क्षेत्रों से आये थे।
डा तनय गर्ग ने कैम्प में आये सभी हृदय रोगियों को हृदय रोग के लक्षणों व उपचार के विषय में विस्तार से बताया एवं सभी को यह जानकारी देते हुए कहा कि हृदय रोग तेजी के साथ पूरे विश्व में फैल रहा है। विश्व भर में सबसे ज्यादा दिल के रोगी हिन्दुस्तान में है। पश्चिमी देशों की अपेक्षा भारत में हार्ट अटैक के मरीजों की औसत उम्र 50 वर्ष है। जबकि यह पश्चिमी देशों में 60 वर्ष है। यानी हृदय रोग भारतीयों में 10 वर्ष पूर्व ही आ जाता है। जवान लोगों और औरतों में भी हृदय रोग बढ़ रहा है। आजकल मात्र 30 वर्ष की आयु के लोगों में भी हार्ट अटैक हो जाता है। इसका मुख्य कारण स्मोकिंग, खाने-पीने में अधिक चिकनाई, फास्ट फूड और व्यायाम ना करना आदि है। हार्ट अटैक के बाद पहला घण्टा सबसे निर्णायक होता है। क्योंकि 50ः मौतें इसी पहले घण्टे में ही हो जाती है। यदि पहले ही घण्टे में सही उपचार मिल जाये तो दिल को क्षतिग्रस्त होने से पूर्णतया रोका जा सकता है। हार्ट अटैक के लक्षणों को जानना बहुत जरुरी है। आम धारणा यह है कि हार्ट अटैक का दर्द बाईं तरफ होता है लेकिन वास्तविकता में दर्द छाती के बीचों बीच होता है। यह भारीपन, छाती के बीच में घुटन, चलने पर सांस फूलना, वजन, जलन जैसा हो सकता है। साथ ही मरीज को बहुत पसीना आता है। यह दर्द दोनों या एक बाजू में, गले में या जबड़े में भी जा सकता है।
हृदय रोग के मुख्य लक्षण:
चलने पर साँस फूलना, तेज चलने पर छाती में दर्द या भारीपन का आना, जोकि आराम करने पर या ैवतइपजतंजम की गोली लेने पर स्वतः ठीक हो जाता है। डाइबिटिज के मरीजों में अक्सर तेज चलने पर दर्द नहीं होता एवं मरीजों में साँस फूलना ही एन्जाइना का लक्षण है। कई बार शुगर के मरीजों में और वृद्ध लोगों में हार्ट अटैक के समय पर भी छाती में दर्द नहीं होता केवल साँस ही फूलती है।
डा तनय गर्ग ने सभी हृदय रोगियों को बताया कि - अपने डॉक्टर को तुरंत दिखायें, बताई गई दवाईयाँ नियमित लें, बी. पी., शुगर, कोलेस्ट्रॉल एवं किडनी आदि की जाँचें करायें, डॉक्टर की सलाह पर टी.एम.टी., ईको, ऐन्जियोग्राफी आदि करायें, धूम्रपान / तम्बाकू का सेवन पूर्णतया बंद करें।
कैम्प में 25 मरीज टंतपबवेम टमपदे के थे जिन्हें डा0 तनय गर्ग ने परामर्श के बाद ऑपरेशन की सलाह दी। डा0 तनय गर्ग मेरठ में अकेले वैस्कुलर सर्जन हैं जिन्होंने वेरीकोज वेन्स के स्थायी इलाज के लिए नई तकनीक त्थ्। (रेडियो फ्रीक्वेन्सी एबलेशन) शुरु की है। अभी तक इस विधि से यह ऑपरेशन दिल्ली के एक-दो अस्पताल में ही होता था, लेकिन अब अपने शहर में यह सुविधा डा0 तनय गर्ग द्वारा शुरु हो गई है और त्थ्। विधि द्वारा उन्होंने कई सफल ऑपरेशन भी किये हैं।
डा0 तनय गर्ग ने बताया कि कुछ बच्चे ब्वदहमदपजंस भ्मंतज क्पेमंेम (जन्मजात हृदय विकार) के थे। यह बीमारी बच्चों में जम्न से ही होती है। इस बीमारी में बच्चों के हृदय और उसकी प्रमुख नलिकाओं की संरचना में विकृति हो जाती है। सही उपचार ना होने के कारण भारत में लगभग 10 प्रतिशत बच्चे इस विकार से अपनी जान गंवा देते हैं। इसके लिए गर्भावस्था के दौरान नियमित चैकअप व समय-समय पर हृदय रोग विशेषज्ञ से शिशु की जाँच करायें। कुछ बच्चों को हार्ट सर्जरी के लिए पंजीकृत किया गया।
कैम्प में जो हृदय रोग से सम्बन्धित मरीज आये उनमें निम्न बीमारियाँ पाई गईं। जैसे कि ज्यादातर मरीज हाई ब्लड प्रेशर के थे, काफी मरीज ऐसे आये जिनको अपने हाई ब्लड प्रैशर व दिल की बीमारी का पहली बार पता चला, जैसे उन्हें चलने-फिरने में पहले से ही छाती में दर्द होने की शिकायत थी। काफी रोगी हृदय रोग से ग्रसित होते हुए भी साधारण दर्द की दवाईयाँ ले रहे थे। अधिकतर दिल के मरीजों में हाई ब्लड प्रेशर तथा शुगर की बिमारियाँ पाई गईं। डॉ॰ तनय गर्ग ने सभी मरीजों को धूम्रपान एवं तम्बाकू छोड़ने की सलाह दी गई।
अधिकतर मरीज अपनी सेहत के प्रति लापरवाह थे। कुछ हृदय रोगी तो ऐसे पाये गये जो समय से दवाई नहीं लेते हैं और रैगुलर चैकअप नहीं कराते हैं, कुछ मरीज श्वांस के, एन्जाईना पेन, हार्ट अटैक के मरीज थे, ज्यादातर मरीज ऐसे पाये गये जो अपनी सेहत के प्रति जागरुक नहीं है, कुछ मरीज ऐसे थे जिनको नींद न आने की बीमारी थी।
उपरोक्त सभी रोगियों को जीवन शैली के बारे में उपयुक्त परामर्श दिया गया एवं जिन रोगियों को एन्जियोग्राफी, एन्जियोप्लास्टी, पेस मेकर या हृदय की बाई पास सर्जरी की आवश्यकता थी उन्हें इन प्रोसिजर्स के लिये एवं कुछ मरीज टंतपबवेम टमपदे के थे जिन्हें त्थ्। विधि द्वारा ऑपरेशन के लिए रजिस्टर किया गया।
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