किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक, मानसिक और सामाजिक बदलावों के बारे में जानना जरूरी ः डा. मयंक चौधरी
- बेहतर स्वास्थ्य के लिए किशोरियां माहवारी स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें
- अच्छे - बुरे में अंतर समझना सीखें, तंबाकू जैसे व्यसन से दूर रहें किशोर
- कार्यक्रम में छात्रों को टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के बारे में भी जानकारी दी गई
हापुड़/धौलाना, 18 सितंबर, 2023। किशोर - किशोरियों के जीवन में 12 से 19 वर्ष तक की आयु बड़ी संवेदनशील होती है। भटकाव से बचने और बेहतर स्वास्थ्य के लिए किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक, मानसिक और सामाजिक बदलावों के बारे में जानना जरूरी है। खानपान संबंधी अच्छी आदतों के साथ ही किशोर- किशोरियां अच्छे - बुरे में भेद कर सकें और बैड टच और गुड टच के बारे में जानकर सतर्क हो सकें, इस उद्देश्य से राष्ट्रीय बाल/किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके/आरकेएसके) के अंतर्गत स्कूल-कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। “राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य मंच” भी इन्हीं कार्यक्रमों में से एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। यह बातें सोमवार को राणा शिक्षा शिविर (आरएसएस) इंटर कॉलेज, धौलाना में सोमवार को “राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य मंच” के आयोजन अवसर पर डीईआईसी मैनेजर डा. मयंक चौधरी ने कहीं।
डा. मयंक चौधरी ने किशोर- किशोरियों में 12 से 19 वर्ष की आयु के बीच आने वाले शारीरिक, मानसिक और सामाजिक बदलावों की जानकारी दी और हीमोग्लोबिन व एनीमिया के बारे में भी बताया, एनीमिया से बचाव की जानकारी भी दी । उन्होंने बड़े हो रहे बच्चों में आने वाली कुरीतियों के बारे में बताया, बच्चों को गलत संगत से बचने, तंबाकू जैसे गलत व्यसन से दूर रहने, हार्मोनल बदलाव से होने वाली समस्याओं के बारे में बताया। लड़कों को स्ट्रेस मैनेजमेंट के बारे में बताया गया। योग, डिबेट और संगीत में अच्छा प्रदर्शन करने वाले बच्चों को पुरस्कृत किया गया। माहवारी स्वच्छता के बारे में जानकारी देने के साथ ही किशोरियों को सेनेटरी नेपकिन वितरित किए गए और उसके उपयोग के बारे में सलाह दी गई। बचे हुए सेनेटरी नैपकिन कॉलेज को दिए गए ताकि समय-समय पर बच्चियों को उपलब्ध कराए जा सकें।
जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने टीबी के बारे में बताया। उन्होंने बताया- दो सप्ताह से अधिक खांसी, छाती में दर्द, वजन कम होना, शाम के समय बुखार और रात में सोते समय पसीना आना, टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इनमें से कोई लक्षण आने पर टीबी की जांच करानी चाहिए। टीबी की जांच और उपचार की सुविधा सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है। सरकार की ओर से उपचार के दौरान हर रोगी को हर माह पांच सौ रुपए पोषण भत्ते के रूप में दिए जाते हैं। नियमित और पूरे उपचार के बाद टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बच्चों के हीमोग्लोबिन की जांच की और एनीमिया के लक्षणों के बारे में भी बताया।
कार्यक्रम में आरएसएस इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य मनाजिर हुसैन सिद्दीकी और उप- प्रधानाचार्य प्रमोद कुमार का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन सलीमुद्दीन खान ने किया। कार्यक्रम के दौरान आरबीएसके धौलाना ब्लॉक की टीम से डा. गौरव यादव, डा. प्रीति शर्मा, हेमलता के अलावा एचआईवी काउंसलर रजनी शर्मा, अंजू ढींगरा, एलटी बलराम, क्षय रोग विभाग से नंदकिशोर, कुष्ठ रोग विभाग से निसार अहमद आदि मौजूद रहे।
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