भारत में ही नहीं, पूरे विश्व में नारी की स्थिति विचारणीय है। पुरुषों को नारी के सहयोग में आगे आना चाहिए।" : आरिफ नकवी, जर्मनी

 "नारी को अपने प्रति हो रहे शोषण के विरुद्ध अपनी चुप्पी तोड़नी होगी और परिवार समाज के साथ संतुलन बना कर चलना होगा। नारी समाज की धुरी है।" : बीना शर्मा

"बेटी भी वंश का नाम रोशन कर सकती है" : प्रो. असलम जमशेदपुरी

  मेरठ। गुरूवार उर्दू विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ और अंतरराष्ट्रीय युवा उर्दू स्कॉलर्स एसोसिएशन, (आयुसा) के संयुक्त तत्वावधान में साप्ताहिक ऑनलाइन कार्यक्रम "अदब नुमा" में "वर्तमान में नारी की स्थिति" विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुजफ्फरनगर की जानी-मानी लेखिका और और समाज सेविका  बीना शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता  आरिफ नकवी (संरक्षक आयुसा), जर्मनी ने की। उर्दू विभागाध्यक्ष एवं आयुसा के संस्थापक प्रो. असलम जमशेदपुरी  के सानिध्य में और डॉ. अलका वशिष्ठ के संचालन यह कार्यक्रम संपन्न हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत शिफा अजीज द्वारा प्रस्तुत की गई नात से हुआ। डॉ.आसिफ अली ने सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा आभार सैयदा मरियम ने किया। श्रीमती मीरा शर्मा जी ने मुख्य अतिथि बीना शर्मा जी का परिचय प्रस्तुत किया। बीना शर्मा एक लेखिका ही नहीं समाज से जुड़ी अनेक संस्थाओं के सदस्य और अध्यक्षा हैं। वे लगभग 30 वर्षों से लेखन और समाजसेवा से जुड़ी हैं। उन्होंने अपने संस्मरणों में यादगार कार्यों के परिणामों का जो विश्लेषण प्रस्तुत किया वह सराहनीय है। वर्तमान में नारी की स्थिति को देखते हुए उन्होंने कहा कि नारी को अपने प्रति हो रहे शोषण के विरुद्ध अपनी चुप्पी तोड़नी होगी और परिवार समाज के साथ संतुलन बना कर चलना होगा। नारी समाज की धुरी है, उसे अपने साथ साथ दूसरी महिलाओं का भी उत्थान करना चाहिए। वे निस्वार्थ भाव से और किसी से आर्थिक मदद लिए बिना अपने व्यय से अनेक महिलाओं और बच्चों की मदद करती हैं,उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य का पूर्ण ध्यान रखती हैं। उनके कार्य समाज की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा सिद्ध होते हैं। वे साहित्य रचती नहीं, बल्कि उसे जीती हैं। आयुसा की अध्यक्षा प्रोफेसर रेशमा परवीन ने भी वर्तमान में नारी की स्थिति पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि वर्तमान में नारी  की स्थिति पहले से काफी बदली है लेकिन अभी भी बहुत सुधार की आवश्यकता है नारी को भी अधिकारों और कर्तव्य का ज्ञान होना चाहिए। प्रो. असलम जमशेद पुरी ने कहा कि अब समय बदल रहा है लोगों को भी अपनी सोच बदलनी चाहिए जो लोग बेटा-बेटी में फर्क करते हैं,उन्हें जानना चाहिए कि बेटी भी वंश का नाम रोशन कर सकती है। आरिफ नकवी, जर्मनी ने कहा कि भारत में ही नहीं, पूरे विश्व में नारी की स्थिति विचारणीय है। पुरुषों को नारी के सहयोग में आगे आना चाहिए। 

इस अवसर पर डॉ. कविता त्यागी, डॉ मधु मिश्रा, डॉ. इरशाद स्यानवी, हिना समरीन, रुजा खान, मुहम्मद शमशाद, अदनान आसिफ, फरहा नाज़, फैजान जफर एवं अनेक छात्र-छात्राएँ ऑनलाइन उपस्थित रहे।

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