सुभारती विधि संस्थान में कृषकों के अधिकार जागरूकता पर कार्यशाला का हुआ आयोजन



मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के सरदार पटेल सुभारती विधि संस्थान में कृषकों के अधिकार जागरूकता सह प्रशिक्षण कायर्शाला कायर्क्रम का आयोजन किया गया। 

‘‘पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण, ‘‘कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय‘‘ एवं सुभारती विधि संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में यह कायर्शाला आयोजित की गयी। जिसमें कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 में निहित कृषक अधिकारों के बारे में किसानों को जानकारी दी गयी।

 कायर्शाला के संयोजक सरदार पटेल सुभारती विधि संस्थान के डीन प्रोफेसर (डाॅ.) वैभव गोयल भारतीय ने कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 में निहित कृषक अधिकारों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि आप सभी कृषक हैं, इसलिए आपकेे कुछ अधिकार भी है। आपके अधिकारों के संरक्षण की भी आवश्यकता होती है। अतः किसानो के अधिकारों के संरक्षण हेतु भारतीय संसद द्वारा पारित अधिनियम, 2001 के द्वारा ‘‘पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण‘‘ अस्तित्व में आया। उन्होंनें अधिनियम, 2001 के सबसे महत्वपूणर् गुण, किसानों को दिये गयें 9 विशेषाधिकारों के बारें में विस्तार से जानकारी दी, जैसे बीज तक पहुंच, लाभ साझा करना, मुआवजा, उचित बीज मुल्य, संरक्षण में योगदान के लिए किसानों को मान्यता और पुरस्कार, किसानों की किस्मों का पंजिकरण एवं पंजिकरण आदि से छूट के विषय में जानकारी साझा की।

कृषि से सम्बधित अन्य विषय पर, कृषि विशेषज्ञ डाॅ. योगेन्द्र कुमार ने स्थानीय पौधें कि किस्मों के संरक्षण और निरंतर विकास में किसानों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि यदि आप कोई बीज या पौध स्थानीय स्तर पर विकसित करते हैं और उसको उपरोक्त प्रधिकरण से कानूनी मान्यता दिलवाते हैं तब आपके द्वारा विकसित किस्मों की बहुराष्ट्रीय बीज कम्पनियों से रक्षा प्रधिकरण के द्वारा ही की जाती है। उन्होनें कहा कि तब आपके द्वारा विकसित फसल या बीज विनिमय करने का अधिकार आपका ही होगा। उन्होंने बताया की प्राचीन भारत में यूरोप जैसे शीत क्षेत्रों में भारतीय मसालों की अत्याधिक मांग थी, जो आज तक बनी हुई है। उत्तरी भारत में गन्ना, गेहु, सरसों, चावल एवं चना, बाजरा जैसी फसले उगाई जाती हैं जबकि दक्षिण भारत मसालों के लिए विख्यात रहा हैं। 

सुभारती फैकल्टी ऑफ साइंस के डीन डाॅ. महावीर सिंह ने कायर्शाला में बताया कि पीढ़ियों से किसानों के परिवारों और समुदायों द्वारा फसलों का चयन, विकास और संरक्षण किया जाता है। अनेक बहुराष्ट्रीय बीज कम्पनियों द्वारा इन संसाधनो का उपयोग उच्च उपज की किस्मों को विकसित करने में किया जाता हैं। ये कम्पनियां भारी मुनाफा कमाती हैं परंतु किसानों को लाभ में हिस्सा नहीं देती हैं। 

इस कायर्शाला में प्रश्नोंत्तरी कायर्क्रम का आयोजन भी किया गया। इस कायर्शाला में लगभग 135 किसानों ने भाग लिया। कृषक पवन ने प्रश्न किया कि किस प्रकार हम अपने धान के बीजों का पंजिकरण करा सकते हैं। दूसरे किसान धरमेन्द्र ने पूछा कि पुराने वृक्ष जोकि हमारे दादा ने खेत पर लगाये थें क्या उनके फलों के बीजों का भी पंजिकरण किया जा सकता हैं। इस प्रकार कृषक धमर्वीर, आशु, पंकज, कमल आदि ने भी अपने प्रश्न उठाये, जिनका समाधान विशेषज्ञों द्वारा किया गया। 

कायर्शाला के दूसरे चरण में डॉ अमित कुमार कृषि विभाग, सुभारती विश्वविद्यालय ने कहा कि भारत विश्व में वृहद जैव विविधता वाले 17 देशों में से एक देश है। इसके अलावा भारत में 22 प्रकार की जैव विविधता केन्द्र स्थापित किये गये है। उन्होंनें किसानों को बताया कि जैसे गंगा नदी के आस-पास के क्षेत्रों की जैव विविधता, नमर्दा नदी के आस-पास के क्षेत्रों की जैव विविधता से विभिन्न पाई जाती हैं। ठीक इसी प्रकार कृष्णा और कावेरी नदी से सिंचित भारत का दक्कन क्षेत्र, ब्रहमपुत्र नदी घाटी क्षेत्र से अलग जैव विविधता रखता है। 

कायर्शाला के अंतिम चरण में संयोजक सरदार पटेल सुभारती विधि संस्थान के डीन प्रोफेसर (डाॅ.) वैभव गोयल भारतीय ने कायर्शाला के उदेश्यो के सम्बन्ध में किसानों को कृषको के अधिकारों को बताते हुए कहा कि भारतीय अथर्व्यवस्था में कृषि का अति महत्वपूणर् योगदान हमेशा ही रहा है। आज 21 वी सदी में जब पूरी धरती एक ग्लोबल विलेज यानि हमारा घर बन चुकी हैं तब भी भारत में कृषि का सकल घरेलू उत्पाद 17-18 प्रतिशत रहता है। इसके अतिरिक्त भारत के कुल नियार्त में भी योगदान 10-12 प्रतिशत है। उन्होंनें अधिनियम 2001 के उददेश्य क्या है और इस अधिनियम के प्रावधानों के द्वारा किस प्रकार किसानों के हितों का संरक्षण किया जा सकता है,के बारें में विस्तार से बताया।

कायर्शाला के अन्त में सरदार पटेल सुभारती विधि संस्थान के डीन (डाॅ.) वैभव गोयल भारतीय ने सभी अतिथियों का विशेष रूप से किसानों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कायर्शाला में कृषि विशेषज्ञ डाॅ. योगेन्द्र कुमार, डाॅ. महावीर सिंह, डॉ अमित कुमार, डाॅ. रीना बिश्नोई, डाॅ. सारिका त्यागी, डाॅ प्रेम चंद्रा, आफरीन अल्मास, विकास त्यागी, एना सिसौदिया, अजय राज, शालिनी गोयल व मंयक शर्मा आदि उपस्थित रहे।


 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts