40 साल की महिला ने ब्रेस्ट कैंसर को दी मात, नेचुरल तरीके से किया गर्भधारण

 मेरठ :  गुरुग्राम के सीके बिरला अस्पताल की मदद से एक ऐसी महिला ने गर्भधारण किया जो कैंसर से पीड़ित थीं और उनका इलाज किया गया. 40 वर्षीय इस महिला ने नेचुरल तरीके से गर्भधारण किया. सीमा शर्मा नाम की ये मरीज 4 साल पहले कैंसर की चपेट में आई थीं, उन्हें लोकली एडवांस्ड ब्रेस्ट कैंसर हुआ था. इसके बाद उनकी कीमोथेरेपी कराई गई, ब्रेस्ट कैंसर सर्जरी कराई गई और फिर रेडिएशन थेरेपी हुई.

चूंकि कैंसर लोकल क्षेत्र तक ही सीमित था और मेटास्टेसिस का कोई क्लीयर सबूत नहीं मिला था, इसलिए इलाज की मदद से महिला कैंसर से लड़ने में कामयाब रही. कैंसर के इलाज के बाद हाल ही में महिला ने स्वाभाविक रूप से गर्भधारण कर लिया और उन्हें किसी तरह की कोई समस्या भी नहीं हुई.

इस केस को सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम में द ब्रेस्ट सेंटर के लीड कंसल्टेंट व एचओडी डॉक्टर रोहन खंडेलवाल के नेतृत्व में अन्य सीनियर टीम ने मिलकर देखा.

डॉक्टर रोहन खंडेलवाल ने इस बारे में बताया, ‘’ज्यादातर केस में ऐसा होता है कि कैंसर के इलाज के बाद महिलाएं सामान्य रूप से कंसीव नहीं कर पाती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कीमोथेरेपी के चलते शरीर के अंदर के सेल्स मर जाते हैं. यही वजह है कि हम ऐसे मरीजों को कैंसर का इलाज हो जाने के 2 साल बाद बेबी प्लान करने की सलाह देते हैं, ऐसा इसलिए ताकि कीमोथेरेपी का कोई असर न हो. इस केस में महिला को लोकली एडवांस्ड ब्रेस्ट कैंसर डायग्नोज हुआ था. अपनी उम्र को देखते हुए महिला बेबी को लेकर चिंतित थी लेकिन हमारी टीम ने उन्हें भरोसा दिलाया और उन्हें इलाज के बारे में समझाया. महिला के परिवार से सहमति लेने के बाद महिला की कीमोथेरेपी के राउंड किए गए, इसके बाद ब्रेस्ट कैंसर सर्जरी की गई और फिर शरीर से कैंसरयुक्त सेल्स मारने के लिए रेडिएशन थेरेपी की गई. हाल ही में 5 महीने पहले महिला ने नेचुरल तरीके से कंसीव कर लिया और आईवीएफ ट्रीटमेंट की आवश्यकता नहीं पड़ी. फिलहाल महिला एकदम स्वस्थ है. अविवाहित महिलाएं या सिंगल ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाएं भी इलाज से पहले अंडे व भ्रूण को संरक्षित करने का विकल्प चुन सकती हैं ताकि वो भी भविष्य में गर्भधारण कर सकें.’’

 ग्लोबाकैन 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में ब्रेस्ट कैंसर बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है. भारत में कुल कैंसर मामलों के 13.5 फीसदी इसी तरह के मरीज हैं. इस पीरियड के दौरान, देश में 1,78,361 नए केस रिकॉर्ड किए गए, जबकि 90,408 मरीजों की ब्रेस्ट कैंसर के चलते मौत हो गई.

 ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी भ्रामक जानकारियों को लेकर डॉक्टर रोहन खंडेलवाल ने कहा, ‘’लोगों के बीच ये गलतफहमी है कि ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओं को फर्टिलिटी और ब्रेस्ट फीडिंग में दिक्कत आती है. हालांकि, सच्चाई ये नहीं है. सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी जैसे ट्रीटमेंट मेथड्स की मदद से अब हम ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित रहे मरीजों को उनके हिसाब से इलाज देने में सक्षम हैं. ऐसी महिलाएं ऑपरेशन के बाद भी बिना किसी समस्या के नेचुरल तरीके से प्रेग्नेंट हो सकती हैं और सामान्य जीवन यापन कर सकती हैं.’’

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