मेरठ के हस्तिनापुर स्थित मोती धनस अयोध्यापुरी मंडप में हो रही सहकार भारती की प्रांतीय कार्यसमिति बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष दीनानाथ ठाकुर ने किया मार्गदर्शन

- उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए 300 प्रतिनिधिओं ने की बैठक में सहभागिता, भविष्य के लिए कार्ययोजना पर हुई चर्चा

लखनऊ/मेरठ। सहकार भारती का एकमात्र उद्देश्य ही समाज कल्याण है। समाज है आराध्य हमारा सेवा है आराधना। हम सहकारीजन भारत माता के वैभव के लिए सहकारिता की साधना करते हैं। साधना और आराधना के मूल में आता है धर्म। धर्म और प्रेम के ध्येय को लेकर सहकार भारती समाज में अपना कार्य संपादित करती है। सहकार भारती इस भावना से काम करती है, जहां सब बराबर हों, जहां सबका आत्मसम्मान सुरक्षित हो। साथ ही उन्होंने कहा कि सहकार भारती सहकारिता के क्षेत्र में राष्ट्र व्यापी संगठन हो चुका है । कोई भी ऐसा प्रान्त नही है जहाँ सहकार भारती का संगठन नही तैयार है।वर्तमान समय में सहकारिता ही एक ऐसा मॉडल है जो भारत को सर्वश्रेष्ठ बना सकता है।भारत मे सहकारिता मूल्यों का अपहरण ही चुका है । ऐसे में सहकार भारती ही एक मात्र ऐसा संगठन है जो सहकारिता मूल्यों को स्थापित करने की  बात करता है। हम सभी को सहकारिता में सहकारी मूल्यों पर आधारित शुद्धता को बचाते हुए गाँव-गाँव में नए सहकारी संस्थाओं का निर्माण करना है।यह उद्गार सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीनानाथ ठाकुर ने शनिवार को व्यक्त किए। वह सहकार भारती, उत्तर प्रदेश की मेरठ के हस्तिनापुर स्थित मोती धनस मंडप  में आयोजित दो दिवसीय कार्यसमिति के उद्घाटन सत्र को  संबोधित कर रहे थे।



राष्ट्रीय अध्यक्ष दीनानाथ ठाकुर ने आगे कहा कि सरकार भारती को आत्मसम्मान से युक्त समाज का निर्माण करना है। सामान्यजनों के आत्मसम्मान का पहला पायदान स्वावलंबन होता है। व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़कर उसको आर्थिक और नैतिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है। सहकारिता के मूल में प्रकृति है। प्रकृति, सहयोग और सहकारिता के भाव को व्यक्त करती है। उन्होंने कहा कि प्रकृति का चिंतन, मनन, साधना और आराधना ही सहकारिता की आत्मा है। मनुष्य में जब तक सतोगुण का विकास नहीं होता, त्याग का भाव नहीं आता तब तक हमारे अंदर सहकारिता विकसित नहीं होती है। हमारे मन में जब परोपकार का भाव आता है तो सहकारिता जन्म लेती है। प्रकृति के संसाधनों का संरक्षण करना है।


राष्ट्रीय अध्यक्ष दीनानाथ ठाकुर ने सहकारीजनों का आह्वान करते हुए कहा कि सहकार भारती शुद्ध सहकारिता की भावना की रक्षा के लिए निरंतर काम करती रहेगी। उत्तर प्रदेश में जो काम होगा, वह देश का नियंता बनकर उभरेगा। इस उत्तर प्रदेश रूपी नियंता में जब परिवर्तन आएगा तो भारत में परिवर्तन आएगा। भारत में परिवर्तन के साथ विश्व में परिवर्तन आएगा। उत्तर प्रदेश के सहकारीजन समूचे देश के सहकारिता आंदोलन में वृद्धि कर देगा। हमे देश के सभी नागरिकों को स्वावलंबी बनाकर उनकी आत्मा से जुड़ना है, जिससे सहकारी संस्थाओं में पुण्य विचार का समावेश हो सके।


सहकार भारती प्रदेश कार्यसमिति के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पश्चिम क्षेत्र के संघचालक सूर्य प्रकाश जी ने कहा कि सहकारिता शक्ति के बिना तो मानवता एक कदम भी आगे बढ़ नहीं सकती है। केंद्र और प्रदेश में अनुकूल सरकारों के गठन से राष्ट्रीय विचार परिवार से जुड़ीं संस्थाएं आज प्राणवंत बन गई हैं। उन्होंने बताया कि ये संस्थाएं देश के प्रत्येक नागरिकों के मन में स्व का भाव जागृत करने में सफल हो रही हैं। यदि भारत के मंत्र, विचार और आदर्श जीवंत रहेंगे तो सहकारिता और सहयोग का भाव शाश्वत रहेगा।अगर हम भारत को श्रेष्ठ बनाना चाहते हैं तो तेरा, मेरा इससे ऊपर उठकर हम की भावना से कार्य करना  होगा।

इससे पूर्व अथितियों का स्वागत सहकार भारती के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र उपाध्याय ने  करते हुए बताया कि प्रांतीय कार्यसमिति में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से लगभग 300 प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। दो दिन तक उत्तर प्रदेश में सहकारिता के भविष्य को लेकर कार्ययोजना पर विस्तार से परिचर्चा की गई। उद्धाटन सत्र को मुख्य रूप से सहकार भारती के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ उदय जोशी, राष्ट्रीय मंत्री दीपक चौरसिया, पीसीएफ के सभापति बाल्मीकि त्रिपाठी, विधानपरिषद सदस्य वंदना वर्मा, पीसीएफ के उप सभापति रमाशंकर जयसवाल व पालक अधिकारी सेवादास जी ने संबोधित किया। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. प्रवीण सिंह जादौन  ने किया। इस अवसर पर प्रदेश संगठन प्रमुख डॉ अरुण सिंह,प्रदेश उपाध्यक्ष हीरेन्द्र मिश्रा व अरुण सिंह, प्रदेश मंत्री कृष्ण कुमार ओझा,प्रदेश संपर्क प्रमुख अशोक शुक्ला,गन्ना प्रकोष्ट प्रमुख कर्मवीर , प्रदेश महिला प्रमुख शारदा सिंह,प्रदेश कोसाध्यक्ष शिवेंद्र प्रताप सिंह,प्रदेश मीडिया प्रभारी विवेक राय, सोशल मीडिया प्रभारी डॉ अतुलमोहन सिंह सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।

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