स्वास्थ्य के लिए घातक हैं प्लास्टिक और पॉलीथीन

आज के युग को अगर प्लास्टिक युग के नाम से पुकारा जाए तो संभवत: इसे अतिशयोक्ति नहीं कहा जाएगा। बच्चों के खिलौने से लेकर सब्जी लाने तक के लिए आज प्लास्टिक का ही इस्तेमाल हो रहा है।

वैज्ञानिक शोधों से प्लास्टिक के इस्तेमाल से चौंकाने वाले जिन तथ्यों का पता चला है, वे सिर्फ आश्चर्यजनक तथ्य ही नहीं बल्कि संपूर्ण धरा के मानवों के लिए एक चेतावनी भी हैं जिन्हें न मानने का परिणाम महाविनाशकारी भी हो सकता है।

पर्यावरणविदों को डर है कि जमीन पर फैले सिंथेटिक कूड़े-करकट की मात्र, प्रकाश संश्लेषण की महत्त्वपूर्ण प्रक्रि या को प्रभावित कर सकती है जिससे कार्बन डाई-आक्साइड, कार्बोहाइडेऊट और पेड़-पौधे प्रभावित हो सकते हैं। फलस्वरूप मानव को अनेकानेक गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।

प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जो न तो पानी में मिलाकर नष्ट हो सकता है और न ही भूमि के अन्दर दबकर ही। एक अमरीकी डॉक्टर डी. लाइस्ट का मानना है कि प्लास्टिक उतना ही खतरनाक होता है जितना समुद्र में बहता हुआ तेल और विषाक्त रसायन।

हर जगह, हर कोने से कचरे के हर ढेर में प्लास्टिक ही प्लास्टिक नजर आने लगा है। इसको नष्ट करने की समस्या हर दिन विकराल होती जा रही है क्योंकि यह न तो भूमि की मिट्टी में ही गलता है और न ही पानी में सड़कर विलीन हो होता है। भूमि में मिलकर यह भूमि की उर्वरा शक्ति को कम कर देता है और उसको बंजर बना डालता है। इतने बड़े प्लास्टिक के कचरे को जलाकर भी नष्ट नहीं किया जा सकता क्योंकि जलकर भी यह अपने पीछे हाईंडोकार्बन की विषैली गैसों को छोड़कर वायु प्रदूषण को जन्म देने वाला होता है।

रसोईघर में प्रयोग आने वाले प्लास्टिक के छोटे-छोटे-छोटे रंगीन डिब्बों में हल्दी, मिर्च और नमक भरकर रखा जाता  है। ये पदार्थ प्लास्टिक के रसायनिक तत्वों को अपने में खींच लेते हैं और स्वयं दूषित हो जाते हैं। अगर इन प्लास्टिक डिब्बों में रखे हुए इन पदार्थों का नियमित रूप से कम से कम तीन वर्षों तक प्रयोग किया जाए तो इसके कुप्रभाव से आमाशय रोग, अतिसार, अम्लपित्त, एक्जिमा आदि अनेक रोग सहजता से ही मनुष्य को ग्रसित कर लेते हैं।

पॉलीथिन की पतली थैली में दही, दूध, चाट, चटनी आदि को रखकर लाना तो अति हानिकारक होता है क्योंकि ये सभी वस्तुएं पतले पोलीबैगों से प्लास्टिक के विषैले रसायनों को बड़ी शीघ्रता से खींचकर अपने में मिला लेते हैं। गठिया, श्वास रोग, यकृत विकार, चर्मरोग, हृदयरोग आदि अनेक भयंकर बीमारियों के जनक होते हैं।

पुन:चक्रि त प्लास्टिक स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक है। प्लास्टिक की सुरसा से असमय कालग्रसित होने से बचने के लिए यह आवश्यक है कि समय रहते स्वयं में चेतना जगायी जाए और इस हानिकारक वस्तु को कम से कम रसोईघर और स्नानघर का साथी न बनाया जाए।


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