एक्सरसाइज न करने से बढ़ रहा जानलेवा स्ट्रोक का खतरा

 फिजिकली एक्टिव रहने से कम होता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा

भारत में स्ट्रोक के 90 फीसदी केस का कारण फिजिकल इनेक्टिविटी

अमेरिका की तुलना में भारत में स्ट्रोक के मरीज नहीं करते एक्सरसाइज

 मेरठ : स्ट्रोक एक जानलेवा बीमारी है. इसमें टाइम की भी बहुत अहमियत है. स्ट्रोक पड़ने के बाद अगर गोल्डन विंडो के अंदर मरीज को अस्पताल न पहुंचाया जाए तो उसे बचा पाना मुश्किल माना जाता है. दूसरी तरफ, स्ट्रोक की बात जाए तो इसके केस भारत में काफी ज्यादा बढ़ रहे हैं. स्ट्रोक को लेकर नई दिल्ली स्थित मैक्स अस्पताल पटपड़गंज में न्यूरोलॉजी विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर विवेक कुमार ने विस्तार से अपनी बात साझा की.

 भारत इस वक्त कम्यूनिकेबल और नॉन-कम्यूनिकेबल दोनों तरह की बीमारियों के बोझ तले दबा है. एक बीमारी ब्रेन स्ट्रोक है, जो यहां मौत होने और रोग होने के प्रमुख कारणों में से एक है. एक हालिया स्टडी के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति एक लाख लोगों में 84 हजार में स्ट्रोक का असर रहता है, जबकि शहरी क्षेत्रों में ये आंकड़ा प्रति एक लाख लोगों में 35 हजार है. ब्रेन स्ट्रोक आने पर ज्यादातर केस में मौत हो जाती है या फिर व्यक्ति गंभीर तौर पर विकलांगता शिकार हो जाता है.

स्ट्रोक एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसमें तुरंत मेडिकल हेल्प और ट्रीटमेंट की आवश्यकता रहती है. इसमें मुख्यत: ब्रेन तक जाने वाले ब्लड का रास्ता ब्लॉक हो जाता है जिसके चलते ब्रेन की सेल्स नष्ट होने लगती हैं. कुछ केस में मरीज को ब्लीडिंग भी हो जाती है. 

हेल्थ एक्स्पर्ट्स के अनुसार, 55 की उम्र के बाद व्यक्ति को स्ट्रोक होने का खतरा ज्यादा रहता है. लेकिन मौजूदा वक्त में हालात बदल गए हैं. लोगों की लाइफस्टाइल में बदलाव आ गए हैं. कोई बहुत ज्यादा शराब का सेवन कर रहा है तो किसी को स्मोकिंग की लत है. साथ ही एक्सरसाइज करने या मेहनत के काम करने से भी लोग बचते हैं. तकनीक ने लाइफ को आसान बना दिया है. लोग बैठे-बैठे मोबाइल से अपने ज्यादातर काम करने लगे हैं. वो पसीना नहीं बहा रहे हैं. इसका असर ये हो रहा है कि युवा लोग भी स्ट्रेस, हाइपरटेंशन और डायबिटीज जैसे दिक्कतों से जूझ रहे हैं और स्ट्रोक की चपेट में आ रहे हैं.

भारत बनाव विकसित देश

 यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैलिफोर्निया की ताजा स्टडी के अनुसार, अन्य देशों की तुलना में भारत के लोगों में कम उम्र में इस्केमिक स्ट्रोक की डेवलप होता हुआ पाया गया. सही खान-पान न होना, शराब और स्मोकिंग जैसे कॉमन कारणों के अलावा बात की जाए तो स्टडी में पाया गया कि भारतीय लोग फिजिकल एक्टिविटी में कमी के कारण स्ट्रोक की गिरफ्त में आए.

स्टडी के मुताबिक, भारत में स्ट्रोक से पीड़ित लोगों की औसत आयु 52 साल, जबकि अमेरिका में 71 साल पाई गई. इसका सबसे बड़ा कारण फिजिकल एक्टिविटी में कमी रहा. 94 फीसदी भारतीय पेशंट स्मॉल वेसल ऑक्लूजन से पीड़ित थे, जबकि अमेरिकन मरीजों में सिर्फ 60 फीसदी पर इसका असर था. स्टडी में ये बात भी सामने आई कि अमेरिका की तुलना में भारत में जिन लोगों को स्ट्रोक आया, उनमें से केवल 2 फीसदी लोग ही रेगुलर एक्सरसाइज करते थे.

रेगुलर एक्सरसाइज बेहद जरूरी

स्ट्रोक से बचाव में लगातार एक्सरसाइज करना बेहद अहम होता है. क्योंकि अगर आप शारीरिक व्यायाम नहीं करते हैं तो कम उम्र में भी स्ट्रोक का शिकार हो सकते हैं. रेगुलर एक्सरसाइज आपको सिर्फ स्ट्रोक से नहीं बचाती, बल्कि बाकि तमाम बीमारियों को भी शरीर से दूर रखती है. इसके अलावा हाइपरटेंशन, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे परेशानियों को रेगुलर एक्सरसाइज करके दूर रखा जा सकता है.

 हाइपरटेंशन- ब्रेन स्ट्रोक के मामले में हाइपरटेंशन को एक बेहद अहम कारण माना जाता है. हाइपरटेंशन के ग्रसित लोगों में 50 फीसदी से ज्यादा इस्केमिक स्ट्रोक (ब्लॉकेज से होने वाला स्ट्रोक) के मामले पाए गए और इसके चलते हैमोरेगिक स्ट्रोक (दिमाग से खून बहना) के चांस भी बढ़ जाते हैं. क्योंकि रेगुलर एक्सरसाइज से ब्लड प्रेशर लेवल संतुलित रहता है, लिहाजा इसके चलते ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा 80 फीसदी तक घट जाता है.

 डायबिटीज के रोगियों को स्ट्रोक से पीड़ित होने की संभावना डबल होती है, क्योंकि शुगर लेवल ज्यादा होने के चलते सभी प्रमुख रक्त वाहिकाएं डैमेज हो जाती हैं, और इससे इस्केमिक स्ट्रोक होने का रास्ता खुल जाता है. रेगुलर एक्सरसाइज न केवल शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करती है, बल्कि डायबिटीज रोगियों में स्ट्रोक का दौरा पड़ने की संभावना भी इससे कम होती है.

हाई कोलेस्ट्रॉल भी स्ट्रोक का एक अहम कारण होता है. एलडीएल (बैड कोलेस्ट्रॉल) के लेवल में वृद्धि के चलते प्लेक बढ़ने का खतरा भी हो जाता है, जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस होने के चांस रहते हैं. इस कारण क्लॉट्स बन जाते हैं जो ब्लड फ्लो को रोक देते हैं और स्ट्रोक आने की आशंका रहती है. फिजिकल एक्सरसाइज की कमी से बड़ी जटिलताएं होती हैं और दिमाग की संवहनी प्रणाली पर भी विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है. रेगुलर एक्सरसाइज और बैलेंस डाइट की मदद से शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को सही रखा जा सकता है.

चूंकि भारतीय लोगों में डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल आसानी से हो जाता है इसलिए यहां के लोगों को विकसित देशों की आबादी से ज्यादा एक्सरसाइज करने की आवश्यकता है. धीरे-धीरे अपनी आदतों तो सुधारें और एक्सरसाइज शुरू करें. कुछ ऐसी एक्सरसाइज करें जो मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करती हों. तेज चलने के अलावा साइकिलिंग भी करें.

इससे अलावा कुछ मॉडरेट इंटेंसिटी वाली एक्सरसाइज भी की जा सकती हैं लेकिन इसके लिए अपने फिजिशियन से जरूर कंसल्ट कर लें. इस तरह की तरह की एक्सरसाइज अगर डेली की जाएं तो इससे शरीर को काफी फायदा पहुंचता है और हार्ट डिसीज़ के चांस कम रहते हैं जो बाद में स्ट्रोक का कारण भी बन जाता है. अगर किसी को अन्य बीमारियां भी हों तो ये लो-इंटेंसिटी की एक्सरसाइज से खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है. इसके लिए योग, बॉडी स्ट्रेचिंग, वॉक के अलावा घर के काम कर सकते हैं.

 डॉक्टर विवेक कुमार का कहना है कि खुद को एक्टिव रखने के बहुत सारे तरीके होते हैं. आप कोई भी नई एक्टिविटी कर सकते हैं. अगर आपकी दवाई चल रही है तो अपने डॉक्टर से एक्सरसाइज के बारे में जानकारी ले सकते हैं. जिम जाना एक बेहतर विकल्प हो सकता है क्योंकि वहां एक्सरसाइज के लिए प्रॉपर इक्विपमेंट्स होते हैं. अगर आप स्ट्रोक के कारण मूवमेंट भी नहीं कर पा रहे हैं तो चेयर पर बैठे-बैठे कई तरह की एक्सरसाइज कर सकते हैं. इस तरह की एक्सरसाइज से आपका हार्ट रेट बेहतर होता है और मसल्स व जॉइंट्स के मूवमेंट में भी सुधार आता है.

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