सेहरे का असली हकदार तो आम मतदाता है !


- आचार्य श्रीकांत शास्त्री
भाजपा भारी बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। यदि हम राजनैतिक विशेषज्ञों और पॉलिटिकल पंडितों की मानें तो भाजपा जिस जीत के लिए कसमकस में थी उसे आसानी से प्रदेश के आम मतदाताओं ने भाजपा गठबंधन को सौंप दिया। इसके पीछे क्या राज है। जनता ने ऐसा क्यों किया। मेरा मानना है कि कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है लेकिन आम मतदाताओं ने उसके मौकापरस्त, ढुलमुल नीति और तुष्टीकरण वाले वर्तमान नेतृत्व पर भरोसा नहीं किया, वहीं दूसरी ओर कहने को तो बहुजन समाज पार्टी है इसके नेता कहते भर हैं कि सबकी पार्टी है लेकिन ऐसा है नहीं। मौका मिलने पर एक वर्ग तक ही सीमित हो जाती है वर्ग में भी एक जाति तक रह जाती है। तीसरी है समाजवादी पार्टी जो खुद को पिछड़ों के अलमबरदार बताते हैं। इनको भी अ़वसर मिलने के बाद देखा गया है कि यह भी एक जाती तक ही केंद्रित रहती है।
 वर्तमान 2022 विधानसभा के चुनाव में यह पार्टी केवल मुस्लिम यादव तक ही सीमित रही यही कारण रहा की इतनी पुरानी पार्टी अभी तक एक प्रदेश तक ही सीमित रह गई और चंद समय की आम आदमी पार्टी आज दो प्रदेश में अपनी सरकार बना ली।
इसके साथ ही प्रदेश में कुछ पार्टियां अपनी छोटी-छोटी मात्र जातियों पर आधारित है, इसी सब विडंबनाओ को दृष्टिगत रखकर उपरोक्त सभी गयी गुजरी पार्टी के हर प्रकार की तुष्टीकरण नीति को एवं उनके नेतृत्व कर्ताओं को नकारते हुए, प्रदेश के आम मतदाताओं ने भाजपा के राष्ट्रवादी सोच एवं इनके जन कल्याणकारी योजनाओं और मजबूत नेतृत्व पर अपना मोहर लगा दी।
 इसके आधार पर इस ऐतिहासिक जीत का सेहरा प्रदेश के आम मतदाताओं के सर पर बांधा जाना चाहिए, जिसके लिए भाजपा बहुत घबराई हुई थी, उसको प्रदेश की जनता आसानी से दे दिया, इसके बावजूद भाजपा में गांव, मोहल्ला से लेकर जिला, प्रदेश में इस अप्रत्याशित जीत की चर्चा की जा रही है और जीत का श्रेय किसे दिया जाए, यह आम मतदाता का अपमान है।



गौरतलब बात यह है कि देश दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा में इस समय इस बात के लिए माहौल गर्म है, की उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में हुई करिश्माई जीत में  किसके सर पर सेहरा बांधा जाए, योगी को चाहने वाले लोग कह रहे हैं कि यह जीत बुलडोजर बाबा के स्वयं की पुरुषार्थ की जीत है और इसको प्रचारित कर रहे हैं, उधर मोदी के राष्ट्रवादी विचार के समर्थक लोग यह बताने में लगे हुए है कि इस भारी जीत के पीछे मोदी जी के द्वारा चलाया जा रहा तमाम जन कल्याणकारी योजना राष्ट्रवादी विचार की देन है। इधर एक पक्ष चिल्ला चिल्ला कर बता रहा हैं कि यह भारी जीत भाजपा के कैडर वेश कार्यकर्ताओं एवं आम मतदाताओं की है, वहीं चौथी ओर से इस बात की भी चर्चा बहुत जोरों पर है की (मोदी योगी) एमवाई फैक्टर बहुत ही उपयोगी रहा, यहां यह भी बताना जरूरी है कि अभी तक लोगों को एमवाई का फैक्टर केवल मुस्लिम यादव ही माना जाता था  लेकिन ऐसा नहीं, वर्तमान में इसका मतलब मोदी योगी हो गया है।
यहां यह भी बताना है कि भाजपा की दोबारा सरकार बनाने के लिए जिस प्रकार से योगी ने रात दिन कार्य किया उससे सरकार तो बनी ही साथ ही योगी का कद इतना बड़ा हुआ की तमाम सूरमा उनके आगे बौने हो गए।
 भाजपा की दोबारा यह बड़ी जीत योगी के साथ आम मतदाता के दम पर हुई है  जिस प्रकार से पिछली बार 2017 के  यूपी के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मोदी जी के सुशासन वाली चेहरा पर चुनाव लड़ा था उसी प्रकार से उनके द्वारा मेहनत भी किया था, लेकिन इस बार के चुनाव में उनके जनकल्याणकारी योजनाएं कड़े शासन और योगी जी का चेहरा था उनके द्वारा इस बार पिछली बार की तरह कड़ी मेहनत नहीं किया गया, क्योंकि प्रदेश के लिए इस बार के चुनाव में जनता के निगाह में योगी स्वयं उपयोगी हो गए थे। इस बार पहली बार भाजपा ने मोदी का चेहरा हटा कर चुनाव लड़ा था, जिसमें भाजपा को भारी विजय प्राप्त हुई। इससे स्पष्ट हो रहा है कि मोदी जी के रहते हुए ही भाजपा में एक नया चेहरा तैयार हो गया, इसीलिए भाजपा में इस समय इस बात के लिए चर्चा  बहुत जोरों पर है मोदी जी के साथ साथ एक ओर बहुत बड़ा चेहरा हमारे पास हो गया। इस आधार पर भाजपा को अब हटा पाना विपक्षी पार्टियों के लिए टेढ़ी खीर है।
वैसे इसी साल अंत में गुजरात सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होना हैं। यहां यह भी देखना होगा कि क्या यूपी जीत से ही मोदी की नैया पार हो जाएगी, इस बारीकी को प्रधानमंत्री मोदी बखूबी समझते हैं, इसीलिए मोदी जी हर चुनाव को चुनौती के साथ लड़ते हैं और सब को मात देने में सफल हो जाते हैं। साल के अंत दिसंबर में हो रहे विधानसभा के चुनावों में भी अभी से अपने सहयोगियों के साथ डट गए हैं, जब तक विपक्षी आता है उसके पहले ही मोदी जी गेम को अपने पक्ष में करने में सफल हो लेते हैं मोदी बिना कोई कसर छोड़ें मेहनत करके चुनाव जीतने का प्रयास करते हैं।
 मोदी जी अपने करिश्माई भाषण से चुनाव को जहां जाते हैं वहा अपने अनुकूल करने में सफल हो लेते हैं, चुनाव कैसे लड़ा जाता है मोदी जी इसको बखूबी जानते हैं, इसी आधार पर अपने मंत्रियों एवं पार्टी के नेताओं को पूरे दमखम के साथ लगाकर बड़ी बड़ी रैलियां सभाएं करने में सफल रहते हैं। इस आधार पर मोदी, योगी, संघ और भाजपा के साथ जीत का सेहरा सही मायने में आम मतदाता के सर पर बंधना चाहिए।
(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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