पोस्टल बैलट ने बढ़ाई भाजपा और सपा की उम्मीदें



पौने तीन लाख से अधिक ने भेजा सत्ता का संदेश

लखनऊ।विधानसभा चुनाव में कोरोना संक्रमण के कारण भारत निर्वाचन आयोग ने बुजुर्ग, दिव्यांग एवं आवश्यक सेवाओं के कर्मियों को पोस्टल बैलट की सुविधा दी तो 3.75 लाख से अधिक मतदाताओं ने इसके जरिए सत्ता का संदेशा पूरे उत्साह से भेज दिया। वह किस दल की सत्ता चाहते हैं, यह तो मतगणना के दिन ही पता चलेगा, लेकिन इस वर्ग में शामिल मतदाताओं के लिए की गई घोषणा और प्रयासों से भाजपा और सपा दोनों को ही आस है। दोनों ही दल करीबी मुकाबले वाली सीटों पर पोस्टल बैलेट वाले 3.75 लाख मत बढ़त दिलाने में मददगार मान रहे हैं।
चुनाव आयोग ने 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग, दिव्यांगजन व आवश्यक सेवाओं के कर्मियों को पोस्टल बैलट से मतदान की प्रदेश में पहली बार सुविधा दी तो इसमें 3,75,708 वोट पड़ गए। भाजपा को जहां इस श्रेणी के मतदाताओं से वृद्धावस्था व दिव्यांगजन पेंशन की धनराशि बढ़ाने के साथ ही अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने की उम्मीद है तो वहीं, सपा को भी घोषणा पत्र में किए गए वादे में पेंशन की धनराशि बढ़ाने व सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा से बहुत आस है। चूंकि मतगणना में सबसे पहले पोस्टल बैलट ही गिने जाते हैं इसलिए दोनों ही दलों को इसमें बढ़त मिलने की आस है।
सर्विस मतदाताओं को भी भेजे गए तीन लाख से अधिक मतपत्र
इस बार 3,01,190 सर्विस मतदाताओं को भी इलेक्ट्रानिक फार्म में मत पत्र भेजे गए हैं। इनमें से कितने मतदाताओं ने वोट दिया, इसका पता 10 मार्च को मतगणना के दिन चलेगा। वर्ष 2017 में 2,79,032 सर्विस मतदाताओं ने मतदान किया था। सर्विस मतदाताओं में भारत के सशस्त्र बल, असम राइफल्स, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आइटीबीपी, सीमा सड़क संगठन में जीआरईएफ एवं केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बलों में कार्यरत अधिकारी व कर्मी शामिल हैं।

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