पोषण पखवाड़ा शुरू, आंगनबाड़ी केंद्रों पर लौटी चहल पहल
- 27 मार्च तक बच्चों की लंबाई और वजन लिया जाएगा
- दूसरे चरण में पोषण के प्रति जन-समुदाय का संवेदीकरण
गाजियाबाद, 21 मार्च, 2022। जनपद में सोमवार को पोषण पखवाड़ा शुरू हो गया। यह दो चरणों में चार अप्रैल तक चलेगा। पोषण पखवाड़े के दौरान स्वस्थ बालक-बालिका प्रतियोगिता का आयोजन फिलहाल आदर्श चुनाव आचार संहिता के चलते स्थगित कर दिया गया है। पखवाड़े का पहला चरण सोमवार को छह वर्ष तक के बच्चों की लंबाई और वजन मापने के साथ शुरू हुआ, जो 27 मार्च तक चलेगा और जनपद में करीब 1.80 लाख बच्चों की लंबाई एवं वजन पोषण ट्रेकर एप पर अपलोड किया जाएगा। जिला कार्यक्रम अधिकारी शशि वार्ष्णेय ने बताया सोमवार को जनपद के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों का वजन और लंबाई मापी गई। यह पूरी जानकारी रोजाना पोषण ट्रेकर एप पर अपलोड की जाएगी। यह प्रक्रिया लगातार 27 मार्च तक चलेगी। मानक से कम वजन और लंबाई वाले बच्चों को पोषित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया पोषण पखवाड़ा के दूसरे चरण में पोषण के प्रति जनसमुदाय का संवेदीकरण करने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। पोषण वाटिका पर चर्चा करते हुए कृषि को पोषण से जोड़ने के लिए सेमीनार आयोजित किए जाएंगे। शासन से मिले निर्देश के मुताबिक एनीमिया की रोकथाम को लेकर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन आंगनबाड़ी केंद्रों के अलावा स्कूलों में भी कराया जाएगा। जन समुदाय को जागरूक करने के लिए ग्राम पंचायत और पोषण पंचायत का आयोजन कर यह बताने का प्रयास किया जाएगा कि बच्चों के जीवन में पोषण का क्या महत्व है? इसके साथ ही बेहतर पोषण के लिए क्या करें और क्या न करें, इस बात की भी विस्तार से जानकारी दी जाएगी। स्थानीय स्तर पर परंपरागत और पोषक रेसिपी को लेकर चर्चा की जाएगी ताकि मां-बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए परंपरागत और स्वास्थ्यवर्धक रेसिपी को बढ़ावा दिया जा सके।
डीपीओ ने बताया जन-समुदाय के संवेदीकरण के लिए आयोजित कार्यक्रमों के दौरान स्तनपान के बारे में जानकारी दी जाएगी। जन्म के तुंरत बाद मां का पहला गाढ़ा और पीला दूध बच्चे की तमाम बीमारियों से रक्षा करते हुए स्वभाविक प्रतिरक्षण का काम करता है। कुछ लोग भांतियों के चलते गाढ़ा और पीला दूध बच्चे को देने में संकोच करते हैं, जो सरासर गलत है। जन्म के तुंरत बाद बच्चे को मां का दूध अवश्य पिलाएं। छह माह तक बच्चे को केवल मां का दूध ही देना पर्याप्त होता है। बच्चे के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व मां के दूध में मौजूद हैं, यहां तक कि छह माह तक उसे पानी तक पिलाने की जरूरत नहीं होती। छह माह की आयु पूरी होने के बाद बच्चे को अर्ध ठोस पूरक आहार की जरूरत होती। लेकिन दो वर्ष की आयु तक बच्चे को पूरक आहार के साथ स्तनपान जरूर कराएं।
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