भैया गुलाम फरीदउददीन साबरी की याद में हुआ फातिहा चेहल्लुम
रूड़की, अजमेर फैजाबाद समेत कई जिलों से आए उलेमा और सूफी
मेरठ : लालकुर्ती मरहूम भैया गुलाम फरीद सूफी की याद में फातिहा चेहल्लुम हुआ जिसमें मेरठ समेत आसपास के जिलों और राज्यों से आए उलेमाओं और सूफियों ने शिरकत की। कार्यक्रम की शुरूआत कुरान शरीफ की आयात पढ़कर की गई। साथ ही सेमिनार भी हुई जिसकी अध्यक्षता डा. आरिफउददीन साबरी ने की,जबकि संचालन अब्दुल कादिर ने किया।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य रूप से उपस्थित रहे अजमेर शरीफ से आये हजरत सईय्यद अली हमजा चिश्ती ने कहा कि मरहूम भैया गुलाम फरीद साबरी के दुनिया से चले जाने से उनकी खामियां हमेशा खलती रहेगी। उन्होंने कहा कि एक वक्त आया जब दिल्ली की जमा मस्जिद को बचाने के लिए भैया गुलाम फरीद सूफी ने सबकुछ दांव पर लगा दिया था। आज उनकी बदौलत दिल्ली की जमा मस्जिद आबाद है। उन्होंने कौमी एकता के साथ साथ भाईचारे को भी मजबूती से बनाए रखा। भैय्या शेख गुलाम फरीदउददीन साबरी एक सूफी मंश बुजुर्ग भी थे और अजमेर शरीफ और कलियर शरीफ से उनकी गहरी अकीदत थी उनकी खिदमात को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके द्वारा किये गए हर कार्यों को जब बताया गया तो मौजूदा लोग भावुक हो गए। इस दौरान फैजाबाद से नायाब सज्जादानशीन अहमद मिया साहब, अमरोहा के हादि मिया साहब, हजरत रईस मिया साबरी फतेहपुर सिकरी, रजबपुर के सज्जादानशीन सलीम मिया, अमरोहा के उवैश मिया सज्जादानशीन आदि ने मरहूम भैया गुलाम फरीद साबरी के जीवनकाल पर प्रकाश डाला। वहीं कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सूफी गुलाम मुहीउददीन साबरी, गुलाम शमशुददीन साबरी, जहीरउददीन साबरी, आदिल फरीद, हाफिज शाहिद, फहीम साबरी, शाहवेज आदि ने पूर्ण सहयोग दिया।
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