रंगमंच ना केवल मनोरंजन का साधन है बल्कि यह लोगों को सामाजिक और भावनात्मक रूप से जगाने का भी माध्यम
विश्व रंगमंच दिवस 27 मार्च को दुनिया भर में मनाया जाता है। इसकी स्थापना अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान द्वारा 1961 में की गई थी। इस दिन दुनिया के अनेक देशों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रंगमंच से जुड़े कलाकारों व संस्थाओं द्वारा अनेक समारोह का आयोजन किया जाता है।
विश्व रंगमंच दिवस का उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को रंगमंच संस्कृति के विषय में बताना, उसके महत्व को समझाना, इसके प्रति लोगों में दिलचस्पी उत्पन्न करना तथा रंगमंच से जुड़े कलाकारों को सम्मानित करना है। इस दिन लोगों को रंगमंच के विषय और संस्कृति के लिए प्रेरित करने और अवगत कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान द्वारा रंगमंच से जुड़े एक सम्मानित कलाकार को भी बुलाया जाता है जो विश्व रंगमंच दिवस के लिए आधिकारिक संदेश जारी करता है। यह संदेश दुनिया की 50 भाषाओं में लिखा जाता है। विश्व रंगमंच दिवस 2022 के संदेश के लेखक पीटर सेलर्स हैं जो ऑपेरा, थियेटर और फ़ेस्टिवल के डायरेक्टर है। सन् 2002 में भारत के गिरीश कर्नाड को यह संदेश लिखने का अवसर प्राप्त हुआ।
भारत में रंगमंच का इतिहास सैंकड़ो वर्ष पुराना है । पुराणों में इसका उल्लेख यम, यामी और उर्वशी के रूप में देखने को मिलता है। इनके संवादों से ही प्रेरणा लेकर लोगों ने नाटकों की रचना कीऔर नाट्य कला का विकास हुआ। भारत के महाकवि कालिदास जी ने पहली नाट्यशाला की स्थापना अंबिकापुर ज़िले के रामगढ़ पहाड़ पर की तथा इसी नाट्यशाला में ही मेघदूत की रचना की थी।
रंगमंच ना केवल मनोरंजन का साधन है बल्कि यह लोगों को सामाजिक और भावनात्मक रूप से जगाने का भी माध्यम है। इस से जुड़े कलाकारों के लिए रंगमंच पूजनीय है। वर्तमान समय में इसके महत्व और मूल्यों को समझते हुए लोगों में इसके प्रति जागरूकता उत्पन्न करना अति आवश्यक है।
डॉ वंदना शर्मा
जीव विज्ञान प्रवक्ता
ला ज प्र स वि मं इं कॉ, मुज़फ़्फ़रनगर
No comments:
Post a Comment