राजनीति का गिरता स्तर
सत्ता प्राप्ति के लिए कितना गिरा जा सकता है, इसका अनुभव इन दिनों राजनेताओं के बयान से किया जा सकता है। पंजाब में भी विधानसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। वर्तमान में वहां सोनिया कांग्रेस की सरकार है। उसे अकाली दल, आम आदमी पार्टी और एनडीए से चुनौती दी जा रही है। वैसे तो संयुक्त किसान मोर्चा भी मैदान में है, लेकिन वह खेल बिगाड़ने वाला ज़्यादा सिद्ध हो सकता है, जीतने वालों में अभी उसका शुमार नहीं हो पाया। सोनिया कांग्रेस की सरकार और सत्ता दोनों ही दांव पर है, इसलिए वह पंजाब में अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए अतिरिक्त प्रयास करेगी, इसमें कोई संशय नहीं है। लेकिन इसके लिए पार्टी किस स्तर तक जा सकती है, इसका अनुभव कुछ दिनों से हो रहा है। दो दिन पहले सोनिया कांग्रेस की पंजाब में चुनाव रैली थी। मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी और कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी उस रैली में थीं। मुख्यमंत्री चन्नी ने वहां बहुत ही जोश से घोषणा की कि पंजाब में उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली के भैये राज करना चाहते हैं। हम ऐसा नहीं होने देंगे। उसके बाद उन्होंने पंजाब के लोगों से अपील की कि सभी पंजाबी इकट्ठे हो जाओ और इन भैयों को पंजाब में मत घुसने दो। सबसे ताज्जुब की बात तो यह है जब चन्नी लोगों को इन ‘भैयों’ के खिलाफ ललकार रहे थे तो प्रियंका गांधी मंच पर ही खड़ी होकर तालियां बजा रही थी। चरनजीत सिंह चन्नी उस प्रांत के लोगों को पंजाब में न घुसने देने के लिए कह रहे हैं जिसमें दशगुरु परंपरा के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह जी का जन्म हुआ था। जन्मसाखियों में आता है कि पटना के लोग बाल गोविंद की लीलाएं देखने के लिए लालायित रहते थे। इधर चन्नी केवल सत्ता प्राप्ति के लिए अपनी निकृष्ट लीला का प्रदर्शन कर रहे हैं।
उधर सोनिया कांग्रेस के ही एक दूसरे नेता सुनील जाखड़ इससे भी ख़तरनाक अभियान छेड़े हुए हैं। कर्नाटक में एटीएम मूल के कुछ मुसलमानों  ने भारतीय मुसलमानों की लड़कियों को आगे करके ‘हिजाब आंदोलन’ चला रखा है। भारत में एटीएम के मुसलमान अरब, तुर्क व मुग़ल मंगोल मूल के हैं। वे हमलावरों के साथ हिंदुस्तान में आए थे और यहीं बस गए, लेकिन यहां की मिट्टी से नहीं जुड़ पाए। वे अभी भी उन दिनों के सपने देखते रहते हैं जिन दिनों उनके पुरखे हिंदुस्तान पर राज करते थे। लेकिन उनके दुर्भाग्य से एटीएम मूल के मुसलमानों की संख्या भारत में बमुश्किल दो से पांच प्रतिशत से ज़्यादा नहीं है। इसलिए वे वहां भारतीय मूल के मुसलमानों की लड़कियों को आगे करके स्कूल की यूनिफार्म या वर्दी के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा है। लेकिन अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सत्ता के लिए किस हद तक जा सकती है, उसकी चर्चा कर लेना भी बेहतर होगा। इसका ख़ुलासा केजरीवाल के ही एक दूसरे साथी कुमार विश्वास ने किया जो किन्हीं कारणों से कुछ अरसा पहले उनसे ख़फा हो गए थे। उनके अनुसार केजरीवाल मानते थे कि यदि अलग खालिस्तान बनता है तो इस अपार समर्थन के चलते वे उसके पहले प्रधानमंत्री बन सकते हैं। यह उन दो प्रमुख दलों की राजनीति के भीतर की कथा है जो इस चुनाव में एक बार फिर सत्ता हथियाने के लिए छटपटा रहे हैं।


No comments:

Post a Comment

Popular Posts