अश्रु बहते हैं अश्क ही आंखों के द्वार से खुशी हो तो भी बहेंगे ये गम में तो बहने का दस्तूर ही हैं भरे दिल को हल्का कर देते हैं ये आंसू।
रोने के बाद आंखो को निखार देते हैं आंसू चेहरा भी खिल जाता हैं अश्रु प्रक्षालन से बुरे दिनों में सहारा और अच्छे दिनों में अभिव्यक्ति हैं ये आंसू चाहो न चाहो बरबस ही निकल आते हैं ये आंसू आंसू पर तरस मत खाइए दिल का गुबार निकालते हैं आंसू।
No comments:
Post a Comment