परिवार में बचपन की सुदृढ़ नींव संस्कार हैं,
मात-पिता परिजनों से मिलते उच्च विचार हैं।
बचपना सद्गुण ओत,प्रोत कुशल व्यवहार है,
समाज कल्याण की उत्कृष्ट भावना सदाचार है।

सरिता का कल-कल निनाद जल बहता है,
लदे वृक्ष पत्तें फल पुष्प से तो नीचे झुकता है।
परपीड़न से नवनीत संत हृदय आकुलता है,
संस्कार शील मनुज विलग इतिहास गढ़ता है।



संस्कार सद्गुण से मानव जीवन पनपता है,
सुसंस्कृत बालक समाज हित कर्म करता है।
जीवन दर्पण में सूरत सँवार निखार लाता है,
सुपथ पर नित बढ़ता जीवन अर्पण करता है।

दया क्षमा करूणा संयम का पालन करता है,
धैर्य विवेक बुद्धि पुण्य कर्म संवर्द्धन करता है।
आचार विचार पुण्य पावन गंगा सम लगते है,
व्यवहार से हृदय जीत दिलों में राज करते है।

इन्द्रिय निग्रह शम दम पुण्य प्रसून महकते हैं,
पतझड़ में  कर्म के फूल संसार में खिलते हैं।
परोपकार हित इंसान जीवन समर्पित करते हैं,
नर नारायण सेवा तन मन धन अर्पित करते हैं।
सीमा गर्ग मंजरी
मेरठ कैंट (उत्तर प्रदेश)।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts