सूनी सूनी है यहां की धूप छांव कुछ कर गुजरने की चाहत में खाली हुआ मेरा गांव।। खेत का टुकड़ा बूढी मां व पिता का दुःखडा धीरे-धीरे इतर शहरों में शिफ्ट हुआ मेरा गांव।।
ओ हिलांस गुघुती कि घुर घुर ओ कौए का कांव कांव ओ धारा पन्यारा ओ खेतीबाड़ी ओ गौचर के बण ओ गोधुली सभी ग्वेर बकर्वालों का घर आना ओ गाय का रंभाना ओ प्रकति का नजारा।।
सोशल मीडिया में ही कैद सब हो गई कल्पना एक पलायन न जाने क्या क्या ले गया अपने साथ।। रीति रिवाज संस्कार अपनत्व चाचा बड़ों ब्वै बाबु की अनुभव बचपन की दन्त कथाएं ह्यून्दा कि राति दादा, दादी, नाति नातिन का प्यार घुघुति चैत खुद मैत की हाथु कि लिखीं चिट्ठी पत्रि हो गई गुजरे जमाने की बात सूना सूना है आज मेरा गांव सूनी सूनी है आज यहां की धूप छांव।। - रामचन्द्र नौटियाल उत्तरकाशी (उत्तराखंड)
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