सफर में धूप तो बहुत होगी तप सको तो चलो,
भीड़ तो बहुत होगी नई राह बना सको तो चलो।

माना कि मंजिल दूर है एक कदम बढ़ा सको तो चलो,
मुश्किल होगा सफर, भरोसा है खुद पर तो चलो।

हर पल हर दिन रंग बदल रही जिंदगी,
तुम अपना कोई नया रंग बना सको तो चलो।

राह में साथ नहीं मिलेगा अकेले चल सको तो चलो,
जिंदगी के कुछ मीठे लम्हे बुन सको तो चलो।

महफूज रास्तों की तलाश छोड़ दो धूप में तप सको तो चलो,
छोटी-छोटी खुशियों में जिंदगी ढूंढ सको तो चलो।



यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्मीदें,
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो।

तुम ढूंढ रहे हो अंधेरो में रोशनी ,खुद रोशन कर सको तो चलो,
कहा रोक पायेगा रास्ता कोई जुनून बचा है तो चलो।

जलाकर खुद को रोशनी फैला सको तो चलो,
गम सह कर खुशियां बांट सको तो चलो।

खुद पर हंसकर दूसरों को हंसा सको तो चलो,
दूसरों को बदलने की चाह छोड़ कर, खुद बदल सको तो चलो
     

- विरेन्द्र पाल मुरादाबाद (पत्रकार)

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