माहवारी हर नारी के जीवन का एक हिस्सा सा 


New Delhi। माहवारी हर नारी के जीवन का एक हिस्सा सा है। यह कुछ कष्टप्रद तो जरूर है पर जो चीज जीवन का हिस्सा ही हो, उससे डरने, घबराने या बचने की कोशिश करने से अच्छा है उसका हंसते-हंसते सामना करना और उसके लिए खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करना।
आज भी कई घरों में मासिक के समय घर की महिलाओं को अलग-अलग सा रहना होता है। रसोई घर में उनका प्रवेश वर्जित हो जाता है। घर में और कोई महिला न होने की स्थिति में रसोई का सारा काम पुरूषों को ही संभालना पड़ता है जिससे अव्यवस्था पैदा हो जाती है। इस दौरान लड़कियों को घर से बाहर निकलने, खेलने-कूदने, काम पर जाने आदि के लिए फिट नहीं माना जाता और किसी मंदिर में न जाएं, पूजा में न बैठें आदि बातें तो अधिकांश परिवारों में आज भी प्रचलित हैं।
वास्तव में माहवारी के दिनों में किसी भी काम की मनाही के लिए कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, न ही कोई ठोस तर्क ही। पुराने समय में महिलाएं प्राय: अधिक पढ़ी-लिखी नहीं होती थी। उनके पास जानकारी प्राप्त करने के अधिक स्रोत नहीं होते थे और सेनिटरी नैपकिन जैसे साधन भी नहीं होते थे, सो साफ-सफाई की समस्या रहती थी।
इसी तरह उस समय में अधिकांश महिलाओं को मेहनत के बहुत से काम करने होते थे-जैसे दूर से पानी लाना या कुंओं आदि से पानी खींचना, चक्की पर गेहूं पीसना व ग्रामीण महिलाओं के लिए खेतों में काम करना और मवेशियों की देखभाल आदि। सो हो सकता है माहवारी के उन दिनों में महिलाओं को इन मेहनत के कामों से दूर रखकर कुछ आराम देने की नीयत से और स्वच्छता के दृष्टिकोण से उन्हें इन दिनों अलग-थलग रखा जाता होगा।
आज परिस्थतियां पूरी तरह बदल गयी हैं। महिलाओं को प्राय: उतनी मेहनत के काम नहीं करने होते व जानकारी और साधनों के होने से सफाई की समस्या भी नहीं रही तो अब यह जरूरी हो गया है कि महिलाओं को उन चार दिन अलग-थलग रखने की बजाए उन्हें उनके दैनिक क्रि या-कलापों में लगे रहने दिया जाए।
माहवारी के दिनों में आप रोजमर्रा की तरह अपने जीवन को जी सकें, स्कूल-कॉलेज या काम पर जा सके, अपने घर, अपनी रसोई का काम संभाल सकें, इस सब के लिए प्रस्तुत हैं कुछ टिप्स:-
इन दिनों में आप अपना आत्मविश्वास बनाए रखें कि माहवारी एक स्वाभाविक प्रक्रि या है जो हर महिला के लिए जीवन का एक हिस्सा है। आपके लिए माहवारी गर्व का विषय है क्योंकि आप मां बन सकती है। मातृत्व दुनिया में सबसे अधिक प्यारी और मूल्यवान भावना है। माहवारी की वजह से आप अपने मन को कोई हीन भावना न आने दें।
इन दिनों की सबसे बड़ी जरूरत है-साफ सफाई बनाए रखने की। इन दिनों आप दिन में दो बार नहाएं तो बेहतर है। जननांगों के बाल साफ रखें और अंगों को अच्छी तरह से धोएं ताकि किसी तरह के संक्र मण का डर न हो।
इन दिनों मुलायम और सूती पैंटी पहने दिन में दो बार इसे बदलें और धोते समय डेटॉल आदि किसी कीटाणुनाशक का उपयोग करें।
किसी अच्छे सेनेटरी नैपकिन का उपयोग करें। जरूरत के हिसाब से दिन में तीन या चार पैड बदलें। यदि आप कामकाजी महिला है तो अपने पर्स में एक अतिरिक्त नैपकिन अवश्य रखें। इसी तरह माहवारी शुरू होने के दो-तीन पहले से एक नैपकिन अपने साथ रखें। यदि ऐसी व्यवस्था हो तो नैपकिन का एक पैकेट आप अपने कार्यालय की टेबल की ड्राअर में या अपने कार/स्कूटर की डिकी में भी रख सकती हैं जिससे आपको जरूरत के समय परेशान न होना पड़े।
- इन दिनों आप सुस्त सी बैठी न रहकर कुछ व्यायाम आदि करें। यदि आप किसी खेल में रूचि रखती हैं तो इन दिनों में भी खेलना न बंद करें। इससे न केवल आप स्वस्थ रहती हैं, आपका तनाव भी कम होता है।
- माहवारी के दिनों में पौष्टिक भोजन लेना बहुत ही जरूरी है। दूध, फल, सलाद हरी सब्जियां और दालों आदि का भरपूर सेवन आपके स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है।
- थकान लगने पर थोड़ा आराम करें। अधिक तनाव न लें, न ही अधिक भागदौड़ करें।
- यदि माहवारी में कोई भी असामान्य लक्षण हो तो (माहवारी अनियमित हो, स्राव बहुत कम या बहुत अधिक हो, दर्दनाशक दवा लेने पर भी दर्द कम न हो) किसी डॉक्टर से परामर्श लें।
- घर के सदस्यों से अपनी माहवारी की बात छिपायें नहीं। उन्हें जानकारी होने से वो आपको सहयोग कर पायेंगे।
- माहवारी के दौरान शारीरिक संबंध बनाने में कोई असामान्य बात नहीं है। यदि आपको नापसंद न हो तो यह संबंध सामान्य संबंधों से अधिक आनन्द दे सकते हैं।

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