शास्त्री नगर में कई जगह बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे क्लिनिक 

  संजय वर्मा                                                                                                                            

मेरठ । कहावत है कि डॉ को धरती का भगवान कहा कहा जाता है इसी नाम का फायदा उठाकर कुछ लोग शास्त्री नगर में बिना रजिस्ट्रेशन के ही हॉस्पिटल और  क्लिनिक चला  रहे है।इतना ही नहीं बिना फार्मासिस्ट की डिग्री के मेडिकल स्टोर चल रहे है। अब अंदाज लगा सकता है। कि वहां पर कैसे उपचार होता होगा। ऐसा भी नहीं अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन अब चिकित्सको व बिना डिग्री के मेडिकल स्टोर चलाने वालों के खिलाफ शासन प्रशासन कडा हो गया है। ऐसे चिकित्सकों व मेडिकल स्टोर संचालकों को डाटा गोपनीय ढंग से जुटाया जा रहा है। 
 
केस नम्बर 1
 एल ब्लॉक में एक डॉ साहिबा का आरएनएस के नाम से क्लीनक है। अगर इनकी डिग्री की बात क ी जाए तो  इनके पास योगा की ही डिग्री है लेकिन वो क्लिनिक में डिलीवरी तक कर रही है। आप अंदाज लगा सकते है। एक योगा की डिग्री हासिल करने वाली डिलीवरी कैसे कर सकती है। एक महिला चिकित्सक को सबसे जोखिम भरा काम होता है। एक ओर से मां की जान बचाना होता है।दूसरा नवजात को सुरक्षित बाहर निकाला होता है। बकायदा इसके लिये एमबीबीएस की डिग्री हासिल करनी होती है। योगा में कही नहीं लिखा है कि एक योगा डिग्री हासिल करने वाली डिलीवरी करेे। 
 केस नम्बर 2 :- 
दूसरी और शास्त्री नगर सेक्टर 11 में डॉ फरमान के नाम से हॉस्पिटल है ,जोकि रजिस्टर है उसकी ही आड़ में सेक्टर 11 में ही मस्जिद के पास उन्होंने अपने बेटे अमान क्लिनिकऔर डॉट सेंटर के नाम से एक क्लिनिक भी खोल रखा है । सूत्रों की मानें तो डॉ फरमान और उनका  बेटा उस क्लिनिक में बैठकर मरीजों को दवाई देने का काम करते है जबकि एक दवाई देने वाले को फार्मेसी का कोर्स करना जरूरी होता है। सूत्रों की मांने तो अमान हाल ही में अपहरण और धर्मपरिवर्तन के मामले में जेल रहकर आया है। शास्त्री नगर सेक्टर 2 निवासी जागरूक युवक ने इस क्लिनिक की जांच के लिए यूनानी अधिकारी को एक शिकायती पत्र 31 मार्च को भी दिया था जिसमे उनके द्वारा कोई जवाब ना देने पर युवक ने एक बार फिर से 7 जून को  सेक्टर 11 में चल रहे अमान  क्लिनिक और डॉट सेंटर चालाने वाले डॉ  फरमान और उनके बेटे अमान की डिग्री की जांच की मांग की है।  साथ ही अमान क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन है या नहीं इसका जवाब भी माँगा है। देखना यह है इस झुठ से पर्दा कम उठ पाता है। 
 केस नम्बर 3 :- 
   एल ब्लॉक स्थित एक हास्पिटल में बिना रजिस्ट्रेन के मेडिकल स्टोर अस्पताल के संचालक में चल रहा है। मेडिकल स्टोर पर किसी भी प्रकार का बोर्ड नहीं है। जब एक जागरूक मरीज ने मेडिकल स्टोर संचालक से उसका लाइसेंस दिखाने के लिये कहा तो उसका कहना था। वह तो अस्पताल के मालिक के कहना पर स्टोर पर बैठा है। लाइसेंस की बात पूछने पर अगल बगल झांकने लगा । अब आप अंदाज लगा सकते है। अगर शहर इस प्रकार के चिकित्सक व मेडिकल स्टोर  चलते रहे तो मरीजों को इलाज कैसे संभव है......... 

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