मेरठ, 19 फरवरी। मौसम बदल रहा है और सीजनल फ्लू शुरू हो गया है। बदलते मौसम में अक्सर लोगों की तबियत खराब हो जाती है। आमतौर पर लोग इसे बहुत गंभीरता से नहीं लेते हैं जबकि चिकित्सकों का मानना है कि इसे नजर अंदाज करना ठीक नहीं है। कभी-कभीलापरवाही भी भारी पड़ सकती है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अखिलेश मोहन का कहना है कि सीजनल फ्लू बहुत खतरनाक तो नहीं होता है, लेकिन कभी-कभी लापरवाही से जोखिम बढ़ सकता है। खासकर बच्चों व बुजुर्गों को ज्यादा संभल कर रहने की जरूरत है, क्योंकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इन दिनों जिला अस्पताल व मेडिकल कालेज अस्पताल में इस प्रकार के मरीजों की संख्या में इजाफा होने लगा है। लोगों को इन बीमारियों से बचने के लिये जागरूक किया जा रहा है। लोगों को सलाह दी जा रही है कि जिस प्रकार कोरोना काल में अपने को बचाया है उसी प्रकार सीजनल फ्लू से अपने को बचा कर रखें। कई बीमारी के लक्षण सीजनल फ्लू को लेकर लोगों में अलग-अलग धारणाए हैं। लोगों का मानना है कि सीजलन फ्लू डायरिया या निमोनिया में बदल सकता है। जबकि ऐसा नहीं है। सीजनल फ्लू में किसी भी बीमारी के लक्षण दिख सकते हैं। यह कभी-कभी फेफड़ों पर भी असर कर सकता है और फेफड़ों में इंफेशन हो जाता है। सीजनल फ्लू के सामान्य लक्षण तो लोगों में रहते ही हैं साथ ही दूसरी समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं। इससे पहले कि यह किसी बड़ी समस्या के तौर पर उभरे तुरंत चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए। उच्च जोखिम वाले समूह सीएमओ ने बताया सीजनल फ्लू सबसे ज्यादा उन लोगों पर असर करता है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। अगर कोई व्यक्ति पहले से ही किसी बीमारी से पीड़ित है तो उसको फ्लू जल्दी होता है साथ ही फ्लू का असर भी उस पर गंभीर हो सकता है। दिल का दौरा दिल की समस्या से पीड़ित लोगों में सीजनल फ्लू के दौरान दिल के दौरे (हार्ट अटैक) का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे वायरल मायोकार्डियम के चलते होता है। इससे ह्रदय गति बढ़ जाती है और सांस फूलने लगती है। फेफड़ों पर असर सीजनल फ्लू ज्यादा बढ़ जाने पर फेफड़ों को नुकसान हो सकता है। कभी-कभी फ्लू के दौरान निमोनिया जैसे लक्षण दिखते हैं। जब फ्लू में ऐसे लक्षण दिखने लगें तो समझ लेना चाहिए कि अब फ्लू फेफड़ों को नुकसान कर सकता है। यह ज्यादातर बुजुर्गों में हो सकता है। मस्तिष्क पर असर सीजलन फ्लू ऐसे लोगों के दिमाग पर भी असर कर सकता है, जिन्हें यह बहुत ज्यादा बढ़ गया हो या पहले से किसी अन्य बीमारी जैसे ऑटो-इम्यून डिस आर्डर से पीड़ित हो। इस दौरान नर्वस सिस्टम का रिस्पांस धीमा हो जाता है और पीड़ित भूलने व बेहोश होने लगता है। कैसे करें बचाव सीएमओ का कहना है कि फ्लू या किसी भी तरह के वायरस से बचने के वही तरीके हैं, जिन्हें अपना कर हम कोरोना से बचते आये हैं। अभी वैसे भी कोरोना खत्म नहीं हुआ है। इसलिए अभी तक उसकी रोकथाम की गाइडलाइन का पालन किया जाना चाहिए। सीजनल फ्लू के लक्षण बुखार ,खांसी और जुकाम, सिर दर्द गले में खराश, एसिडिटी, कान में दर्द या इंफेक्शन इन बातों का रखें ध्यान आंख, नाक और मुंह को न छूएं भीड-भाड़ में जाने से बचें हाथ मिलाने से बचें साफ टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करें छीकते वक्त मुंह को ढकें खाने से पहले साबुन-पानी से हाथ धोएं मास्क का प्रयोग करें सीजनल फ्लू के उच्च जोखिम वाले समूह बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती, डायबिटीज के मरीज, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले या अन्य बीमारी से ग्रसित लोग
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