कार्यकाल में प्रधानों ने किया घालमेल  

 

मेरठ।  प्रदेश में होने वाले पंचायती चुनाव के लिये प्रशासन की ओर से तैयारी आरंभ हो गयी है। च्ुानाव में दूसरा उतरने के लिये प्रधानों को नो डयूट देना है। लेकिन पिछले कार्यकाल का बकाया उन पर होने के कारण नो डयूज सर्टिफिकेट लेने में प्रधानों को कठिनाई का का सामना करना पड रहा है। प्रधान बीडीओ पर नो डयूज देने के लिये नेताओं का दबाव बनवाने  रहे है।
 बतों दे अगले साल पंचायती चुनाव होेने है। अभी तारीख की घोषणा प्रदेश सरकार ने नहीं की है। लेकिन प्रशासन की ओर से अभी से ही पंचायती चुनाव की तैयारी आरंभ हो गयी है। इसके लिये जिलाधिकारी व  सीडीओ ने  बीडीओ व प्राथमिक स्कूलों के प्रधानअध्यापकों को शिक्षकों कोलगाया है। मेरठ की बात करें तों जिले में 901 प्राथमिक विद्यालय , 432 उच्च विद्यालय, 197 माध्यमिक व सहायत प्राप्त विद्यालय है। दरअसल गांव के विकास के लिये ग्राम प्रधान को पैसा मिलता है। इस वित्तीय वर्ष में ग्राम प्रधानों को गांव के स्कूलों में समर सिबंल व कक्षा 8 तक बच्चों के लिये खाद्यान दिया गया था। सूत्रों की माने तो जिले के चार दर्जन गांवो के प्रधान ने बच्चों को मिलने वाले मिड डे मील  के तहत खाद्यान चावल व गेंहू में खेल कर बाजार में बेच दिया। इतना नहीं पूठ गांव कें प्राइमरी पाठशाला 1,2,3 के लिये समर सिंबल के लिये मिले 60 हजार रूपये के स्थान 2500 रूपये के टूल्लू पंप लगा कर कागजों में समर सिंबल के बिल लगा दिये। इतन नहीं स्कूल की कीचन में कागजों पर दो टायल लगवा दी। लेकिन टायल एक बार भी नहीं लगी। इस बारे में एक आरटीआई कार्यकर्त्ता ने आरटीआई डालकर रिपोर्ट मांगी है।
  नेताओं का बना रहे दबाव
 दरअसल चुनाव में पर्चा भरने के लिये प्रधानों को इस बार नो डयूज देना अनिवार्य कर दिया है। जिसमें प्रधान को पिछल्ले पांच सालों में किये गये विकास कार्य के लिये बीडीओ से नो डूयज लेना अनिवार्य कर दिया है।  प्रधान द्वारा कराये गये विकास  कार्य में काफी अंतर दिखाई दे रहा है। अब प्रधान जिले में 12 ब्लॉक के बीडीओं से न्यूज के लिये चक्कर लगा रहे है।
 शिक्षकों ने हाथ खडे किये
 प्रधानों को नो डयूज में अपनी संस्तुति भी देनी है।  जिले के प्रधानों पर मीड डे मिल  में कई कुंतल खाद्यान बकाया चल रहाहै। बच्चों को मिले खाद्यान को उन्होंने बेच खाया। अब उनके सामने दो विकल्प दिखाई दे रहे है। या तो अपनी जेब से धनराशि खर्च कर खाद्यान का पूरे करे। या अधूरे विकास  कार्य का पूरा करे। शिक्षक किसी भी कीमत पर प्रधानों कोनो डूयज देने के लिये तैयार नहीं है। 

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