गायब रहने वाले एनाटॉमी, बायोकेमिस्ट्री, फोरेन्सिक मेडिसिन,एसपीएम व पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष को थमाए नोटिस
मेरठ । कोरोना काल में जहां चिकित्सकों को मरीजों के लिये उपचार के लिये अस्पताल मे मौजूद रहना चाहिए वही स्थिति इसकी उलट दिखाई दे रही है। इसका खुलासा मेकिडल कालेज के प्राचार्य की छापेमारी के बाद प्रकाश में आया है। प्राचार्य ने ऐसे ही कई डाक्टरों को जो ड्यूटी से गायब रहते हैं उनको नोटिस थमाकर चौबीस घंटे में जवाब मांगा है।
बतादें इन दिनों पूरा देश कोरोना संक्रमण काल से गुजर रहा है। तमाम सरकारी और प्राइवेट अस्पताल संक्रमितों से भरे पडे हैं। मेडिकल की ऐसे में बड़ी जिम्मेदारी है।संक्रमित व दूसरे अन्य मरीजों जिन्हें कहीं ठिकाना नहीं मिलता है उनके लिए एकमात्र सहारा मेडिकल अस्पताल है, लेकिन यदि मेडिकल अस्पताल में ही ड्यूटी से डाक्टर व पैरा मेडिकल स्टाफ गायब हो जाएंगे तो फिर मरीजों खासतौर से उन मरीजों का जिनके लिए एक एक मिनट इलाज के नजरिये से बेहद कीमती है उनके इलाज की जिम्मेदारी फिर कौन लेगा। ऐसे मरीजों को मौत आसानी से झपट्टा मार सकती है।
शिकायत के आधार पर ड्यूटी से गायब रहने वाले डाक्टरों व उनके स्टाफ की कारगुजारी की पोल प्राचार्य डा. ज्ञानेन्द्र कुमार द्वारा मारे गए छापों के बाद खुल गयी ।करीब पांच सीनियर विभागाध्यक्ष व बड़ी संख्या में पैरा मेडिकल स्टाफ ड्यूटी से गायब पाए गए। प्राचार्य ने इस कडी नाराजगी जताते हुए ड्यूटी से गायब रहने वाले विभागाध्यक्षों को कारण बताओ नोटिस थमाए हैं जिन्हे नोटिस थमाया गया है। उनमें एनाटॉमी, बायोकेमिस्ट्री, फोरेन्सिक मेडिसिन, एसपीएम व पैथालॉजी विभागाध्यक्ष शामिल हैं। प्राचार्य के इस सख्त कदम के बाद मेडिकल के स्टाफ में हड़कंप मचा हुआ है। ज्यादातर ने तो प्राचार्य के इस कदम का स्वागत किया है। उनका कहनाा है कि कम से कम हालात में सुधार की शुरुआत तो हो सकी है।
इन्होने कहा :-
मेडिकल प्राचार्य डा ज्ञानेन्द्र कुमार ने बताया कि औचक निरीक्षण के दौरान जो लोग ड्यूटी पर नहीं मिले हैं उनको नोटिस देकर कारण पूछा गया है। ड्यूटी पर मौजूद न रहना बेहद गंभीर है। संतोषजनक जवाब न मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
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