. मिशन शक्ति: वेबिनार का तीसरा दिन वक्ताओं ने रखे अपने विचार
मेरठ। एक शक्तिशाली महिला बनने के लेये सबसे जरूरी है एक शक्तिशाली सोच, एक सपना, उत्साह और सीखने और विकसित करने की इच्छा। उसके बाद बाधाओं की मान्यता। एक बार महिला ने उन बाधाओं की पहचान कर ली है जो समाज में या खुद के भीतर हो सकती हैं, उन्हें खत्म करना मुश्किल नहीं है। ग्लास सीलिंग ब्रेकिंग एक वाक्यांश है जिसका उपयोग किसी भी प्रगति को प्राप्त करने के लिए लत रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं को तोड़ने के लिए किया जाता है। जीवन का सबसे अच्छा संस्करण होने से आप एक पूर्ण जीवन जी सकते हैं और वापस दे सकते हैं और समाज की सेवा भी कर सकते हैं। यह बात मिशन शक्ति वेबिनार के तीसरे दिन डॉ सारिका श्रीवास्तव एमबीबीएस एमडी एक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट और एक दर्द विशेषज्ञ ने कही।
दूसरी वक्ता प्रो अर्चना शर्मा, राजनीति विज्ञान की पूर्व विभागाध्यक्षए सीसीएसयूनिवर्सिटी मेरठ ने कहा कि वह अब एक ऐसी परियोजना पर काम कर रही हैं जो महिलाओं को सशक्त बनाएगी और उनकी ताकत को पहचानने में उनकी मदद करेगी। यह उन्हें सही मायने में खुश करने के लिए है और वे जिस चीज में अच्छे हैं उसी में संलग्न हैं। यह सकारात्मक मानसिक दृष्टिकोण और स्वास्थ्य के लिए एक लंबा रास्ता तय करेगा। प्रति कुलपति चौधरी चरण ंिसह विश्वविद्यालय प्रो वाई विमला ने कहा कि हर जाति, धर्म, समुदाय की महिलाएं बराबर हैं और उन्हें समान अधिकार प्राप्त हैं। आज के दौर में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं, तो उनके साथ यह भेद.भाव क्यों। आइये हम सब मिलकर इस मिशन शक्ति पर संकल्प लेते हैं कि आज से हम सब, महिलाओं का सम्मान करेंगे और उनके प्रगति में कभी बाधा नहीं बनेंगे। अगर दुनिया का हर व्यक्ति यह विचार कर ले तो, महिलाओं को कभी अपने अधिकारों से वंचित नहीं रहना पड़ेगा। इसी के साथ मैं आप सभी को मिशन शक्ति पर ढेर सारी बधाइयां देती हूं।यह नारियों के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें अपनी शक्ति का एहसास करवाने का दिन है। कार्यक्रम की समन्वयक व वेबिनार का संचालन कर रही प्रो बिन्दु शर्मा ने कहा कि इस मौके पर मै सबसे पहले उन महिलाओं की सराहना करती हूं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा और हुनर का प्रदर्शन पूरी दुनिया के सामने किया और दूसरी महिलाओं के अंदर आगे बढ़ने के लिए नया जोश भरा और एक नई ऊर्जा का संचार किया। निसंदेह सहजता से हर एक दिन भिन्न.भिन्न भूमिकाएं जीते हुए, महिलायें किसी भी समाज का स्तम्भ है। हमारे आस पास महिलायें ,सहृदय बेटियां, संवेदनशील माताएं, सक्षम सहयोगी और अन्य कई भूमिकाओं को बड़ी कुशलता व सौम्यता से निभा रहीं है। लेकिन आज भी दुनिया के कई हिस्सों में समाज उनकी भूमिका को नजरअंदाज करता है। इसके चलते महिलाओं को बड़े पैमाने पर असमानता, उत्पीड़न, वित्तीय निर्भरता और अन्य सामाजिक बुराइयों का खामियाजा सहन करना पड़ता है। सदियों से ये बंधन महिलाओं को पेशेवर व व्यक्तिगत ऊंचाइयों को प्राप्त करने से अवरुद्ध करते रहे हैं। इस दौरान प्रो नीलू जैन गुंप्ता, प्रो संजय भारद्वाज, विभिन्न कॉलेजों की प्रधानाचार्य व छात्राएं मौजूद रही।
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