Tuesday, 15 September 2020

देशी क्राप कवर को नया प्रयोग



 किसानो ने फसल को ओढा दी 400 साड्यिा 

  वरिष्ठ संवाददाता 

 झाबुआ ।मौसम की मार और कीट, मच्छर आदि का प्रकोप अब फसलों पर नहीं होगा। किसानों को फसलों में रोग लगने की चिंता नहीं सताएगी। अपने खेत में नए सिरे से लगाई गई मिर्ची के पौधे को देशी क्रॉप कवर ओढाकर न केवल बचाया जा सकता है, बल्कि विपरीत मौसम में भी परंपरागत तरीके से लगाए गए पौधे की तुलना में सौ प्रतिशत पौधे सुरक्षित रहेंगे, वो भी कम खर्च और अधिक गुणवत्ता के साथ। यह प्रयेाग झाबुआ जिले के बरवेट गांव के एक किसान ने प्रयोग कर नयी कंा्रन्ति को जन्म दिया है। इससे किसान मौसम की मार, कीट, वायरस के प्रकोप से बच सकेंगे। 
बरवेट के माध्यम वर्गीय युवा किसान मनीष सुंदरलाल पाटीदार ने नई तकनीकी का प्रयोग कर रिसर्च किया है। वे हाईब्रिड मिर्च के पौधे को बीमारियों से बचाने ले लिए नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। वैज्ञानिक भाषा में इसे लो टनल पद्धति और देशी भाषा में फसल बचाव तकनीक कहते है। इसका प्रयोग कर बरवेट के युवा किसान मिर्च की फसल पर आजमा रहे है। मनीष का कहना है कि मौसम की मार और कीट, वायरस के प्रकोप से चार बीघे में लगी हाईब्रिड टमाटर मिर्च बिना उत्पादन के नष्ट हो गई। इस समय उन्होंने नए तरीके से एक बीघे में मिर्च के पौधे लगाए है। उन्होंने देशी तकनीक का इस्तेमाल किया है। सबसे पहले खेत की हकाई.जुताई के बाद मल्चिंग ड्रिप का सिस्टम लगाया। इसके बाद मिर्ची के पौधे के लगाए है। फिर तार बांधकर साडियों की लंबी पट्टी से पौधों को ढंक दिया है। इससे अनुकूल वातावरण मिलेगा तथा मौसम की मार और कीट, वायरस आदि के प्रकोप से सुरक्षा मिलेगी।
मनीष ने  बताया कि इस विधि का प्रयोग पहली बार कर रहा हूं। जहां तक मुझे विश्वास है, इस तकनीक को अपनाने से पौधे में कोई भी बीमारी नहीं लगेगी। पौधों में बढवार एक समान होगी। ड्रिप द्वारा खाद दवाई फिर से दी जाएगी। दो माह तक पौधों को कवर से ढंककर रखेंगे। जब इसमें फूल आना प्रारम्भ होंगे, तब जाकर कवर को हटाएंगे।
एक बीघे में 25 से तीस हजार का खर्चा
मनीष के अनुसार एक बीघे में हकाई.जुताई से लगाकर कम से कम 25 हजार तक का खर्च आता है। इसमें पुरानी साडी 8 हजार, मिर्च के पौधे 6 हजार, हकाई. जुताई. मल्चिंग, ड्रिप 12 हजार रुपये, कुल 26 हजार रुपये का खर्च किया है जबकि बाजार में रेडिमेड क्रॉप कवर का खर्च प्रति बीघा डबल हो जाता है। इसका भार आम किसान नहीं उठा सकता।
मौसम अनुकूल रहेगा, खर्च लागत होगी कम
किसान मित्र दीपक और राजेन्द्र  के अनुसार हाईब्रिड फसलों में सबसे ज्यादा बीमारी मौसम की मार, मच्छर कीट और वायरस के प्रकोप से होती है। कीट मच्छर आदि को मारने के लिए महंगी से महंगी दवाई का छिडकाव करते है, लेकिन उन पर कुछ भी असर नहीं होता, क्योंकि मौसम का अनुकूल रहना भी जरूरी है। कीटनाशक छिडकाव के साथ मौसम अगर अनुकूल नहीं रहता तो बीमारी बढने की आशंकी रहती है। इससे पूरा प्लाट नष्ट हो जाता है।़ें


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