कोविड वार्ड में भर्ती रोगियों के साथ मिलकर अस्पताल के डाक्टरों, नर्सों एवं स्टाफ ने मनाया रक्षाबन्धन का त्योहार
सिविल जज सीनियर डिविजन कैडर के विधिक सेवा प्राधिकरण के जिला सचिव श्री श्याम बाबू ने सुनाई स्वलिखित कविता
मेरठ। सुभारती अस्पताल प्रबन्धन द्वारा सराहनीय पहल करते हुए छत्रपति शिवाजी सुभारती अस्पताल के कोविड वार्ड में कोरोना योद्धा के रूप में कार्य कर रहें डाक्टरों, नर्सिंग स्टाफ एवं सभी मरीजों के साथ मिलकर रक्षाबन्धन के त्योहार को मनाए जाने का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर कोविड वार्ड में भर्ती सिविल जज सीनियर डिविजन कैडर के विधिक सेवा प्राधिकरण के जिला सचिव श्याम बाबू ने स्वयं की लिखी हुई भावभीनी कविता सुनाकर सभी को हतप्रभ कर दिया। उनकी कविता सुनकर सभी लोगों के चेहरे खिल उठे और सभी ने उत्साह व उमंग के साथ त्यौहार को मनाया। श्याम बाबू ने कहा कि रक्षाबंधन का पर्व भाई द्वारा बहन की रक्षा करने के वचन देने का होता है और वर्तमान में कोरोना आपदा के बीच सुभारती अस्पताल के डाक्टर एवं नर्सिंग स्टाफ ने जिस प्रकार लोगो की संक्रमण से सुरक्षा देकर सभी को जीवनदान दिया है तो इस बार रक्षाबंधन का त्यौहार कोरोना योद्धा डाक्टर व नर्सिंग स्टाफ को समर्पित है। लगभग कुछ दिन पूर्व कोरोना संक्रमण से पीडित होने की वजह से श्याम बाबू को सुभारती अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
उन्होंने सुभारती अस्पताल के चिकित्सा उपाधीक्षक डा. कृष्णा मूर्ति का आभार प्रकट करते हुए कहा कि जिस प्रकार डा. कृष्णा मूर्ति के नेतृत्व में सुभारती अस्पताल के डाक्टर व नर्सिंग स्टाफ ने कोरोना संकट के दौरान 24 घंटे उपलब्धता देकर लोगो को आधुनिक सुविधाओं से युक्त चिकित्सीय सेवाओं से लाभान्वित किया है वह मानवता का बहुत सराहनीय उदाहरण है। उन्होंने कहा कि कोविड वार्ड में भर्ती प्रत्येक मरीज को डाक्टर व नर्सिंग स्टाफ द्वारा संवेदनाओं के साथ घरेलू माहौल बनाकर उनका इलाज किया जा रहा है इससे रोगियों में आत्मविश्वास आ रहा है और जल्दी ठीक हो रहे है।
श्याम बाबू द्वारा रचित कविता के बोल कुछ इस प्रकार से है :-
जीवन को जीते है कैसेए कोई इन सिस्टर से सीखें
थरथर कांप रहा जग जिनसेए मिलती कई कई बार उनसे
बीपी शूगर और बुखारए मांपे दिन में कई कई बार
गुस्सा मन में आ जाएए तो भी भरपूर लुटाती सब पर प्यार
सर्तक निगाहे सभी पी?ित पर सचमुच देवी मॉ हो जैसे
जीवन को जीते है कैसे कोई इन सिस्टर से सीखें
बारह घंटे की डयूटी करती खिदमत सबकी पूरी करती
दर्द भरी आवाज जो आएए फौरन ही उस ओर लपकती
बू?ों को समझाती बातेंए बनकर उनकी दादी जैसे
जीवन को जीते है कैसेए कोई इन सिस्टर से सीखें
महीनों रहती घर से दूर त?पे आंचल और सिंदूर
वाट्सएप्प पर सब कुछ समझाती सिखलाती सब्जी और चपाती
बच्चें कहते छो? नौकरीए घर को मम्मी आ जाओं
पापा कहते अब डर लगता हैए लौट के तुम न वापस जाओं
फिर भी डयूटी पर आ जातीए कहती जीवन अपनी सेवा है
हर पी?ित भी तो अपना ही हैए रखवाला अपना प्रभुदेवा है
डर के आगे जीत सदा है जानबूझ कर हारू कैसे
जीवन को जीते है कैसेए कोई इन सिस्टर से सीखे
मास्क के उपर मास्क लगाकरए दस्तानों से हाथ छिपाकर
रहती वो हरदम तैयारए दुष्ट कोरोना कब करे प्रहार
कोरोना भी रह जाता दंगए देखकर इनका अदभुद रंग
सेवा निष्ठा त्याग समर्पणए इनके अंदर आया कैसे
जीवन को जीते है कैसे कोई इन सिस्टर से सीखें
प्रभु इन्हें नही कुछ होने देनाए इनके संकट तुम ले लेना
क्योंकि मंदिर बंद पड़े हैए इनमें ही अब रहना तुम
हर पल इनकी निगरानी करनाए पल भर भी मत होना गुम
बरसा कर अमृत इन परए इनको भय के पार करो
कदम ब?ाए यदि कोई दानवए उसका तुम संहार करो
विपदा सारे हरण करोए सांवन में तुम शिव के जैसे
जीवन को जीते है कैसेए कोई इन सिस्टर से सीखें
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