1984 में मेरठ में रहे विहिप के संगठन मंत्री व श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव और विश्व हिन्दू परिषद चंपत ने दिया न्यौता
स्वास्थ्य कारणों से अयोध्या नहीं जा सकेगे रंजीत सिंह
संजय वर्मा
मेरठ। आगामी5 अगस्त को अयोध्या में शिलान्यास को लेकर वहां आयोजित होने वाले कार्यक्रम में शरीक होने के लिये लोग जुगाड लडा रहे है। वही कुछ लोग ऐसे है जिन्हें भूमि पूजन के लिये बकायदा पदाधिकापरियों द्वारा न्यौता दिया गया है। उनमें से एक है मेरठ के साकेत के मानसरोवर निवासी 101वर्ष के रंजीत सिंह जिन्हें श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव और विश्व हिन्दू परिषद के नेता चंपत राय ने खुद फोन करके निमंत्रण दिया जब उनको अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के ऐतिहासिक और पावन अवसर पर सम्मिलित होने का निमंत्रण मिला। लेकिन स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण वह भूमि पूजन में शरीक नहीं हो सकेंगे।
कौन हैं रंजीत सिंह
101 वर्षीय रंजीत सिंह श्रीराम मंदिर आंदोलन से शुरू से जुड़े रहे और आरएसएस के कार्यकर्ता रहे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के मित्र भी रहे। 1984 में वह विश्व हिन्दु परिषद के बतौर मंत्री रह चुके हे। उस समय चंपत राय सगंठन मंत्री थे। राम मंदिर आंदोलन में 90 और 92 में तीन बार जेल भी गए लेकिन श्रीराम मंदिर आंदोलन से कभी पीछे नहीं हटे। वीएचपी के मेरठ प्रांत के उपाध्यक्ष थे और वर्तमान में भी वीएचपी के प्रांत संरक्षक हैं। राम मंदिर आंदोलन से जुड़े होने के साथ श्री राम में उनकी ऐसी आस्था है कि वह अपना समय अक्सर अयोध्या में काटते थे और अक्सर परिवार को बिना बता, अयोध्या चले जाते थे। वीएचपी के लोग उनका टिकट बनवा देते थे और वह परिवार को बिना बताए अयोध्या नगरी के लिए कूच कर जाते थे। इसका फल उन्हें यह मिला कि कोरोना के चलते जब देश के कुछ गिनी चुनी हस्तियों को अयोध्या के लिए आमंत्रण दिया जा रहा है, तो उनमें मेरठ के एकमात्र रंजीत सिंह भी शामिल हैं।
उनके बेटे प्रदीप सिंह का कहना है बडी खुशी की बात है उनके पिता केा ऐसा अवसर मिला है। स्वास्थ्य के कारण वह अयोध्या में आयोजित होने वाले भूमि पूजन में शामिल नहीं सकेंगे।
रंजीत सिंह की आंखो में चमक साफ दिखाई दे रही है। जो एक विजेता की आंखों में उस समय दिखती है, जब वह अपने लक्ष्य को पाने के करीब होता है। अपनी धीमी आवाज में अटल जी के साथ गुजारे उन क्षणों को याद करते हुए बताते है कि जब वो राम मंदिर आंदोलन में अटल जी के साथ थे। किस तरह से उन्होंने जेल में समय काटा।
आरएसएस से ऐसे जुड़े रंजीत सिंह
पहले कांग्रेस के सदस्य थे और 1942 में जब उन्होंने एक बार आरएसएस के एक प्रोग्राम में कांग्रेस जिदाबाद के नारे लगा दिए। उसके बाद जब साइकल से भागे तो कुछ दूर पर ही भागते समय साइकल से गिर गए। आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने ही उन्हें उठाकर डॉक्टर को दिखवाया और घर पहुंचाया। उसके बाद आरएसएस के कार्यकर्ता पूरे महीने उनका हालचाल लेने उनके घर नियमित रूप से आते रहेए जिससे प्रभावित होकर रंजीत सिंह आरएसएस से जुड़ गए और वर्तमान में भी आरएसएस से जुड़े हैं। बहरहाल रंजीत सिंह उन भाग्यशाली लोगों में से हैं, जिनको रामजन्म भूमि के शिलान्यास के लिए निमंत्रण मिला, जबकि पूरे देश से कुछ ही लोग इस ऐतिहासिक क्षणों को अपनी आंखो से बिना किसी बाधा के साक्षात देख सकेंगे।
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