
शारीरिक की बजाय सामाजिक दूरी बनना चिंताजनक :- ए.केमिश्रा
👉बाजारों में प्रोटोकाल का पालन न होना बुजुर्गों के लिए ठीक नहीं
नोएडा। हर साल 21 अगस्त को विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसका उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों की परिस्थितियों के बारे में जागरूकता पैदा करना और उनकी मदद करना है। इस दिवस पर वरिष्ठ नागरिकों को प्रभावित करने वाले कारणों तथा उनकी सामाजिक परिस्थिति के बारे में अवगत कराया जाता है। इसके साथ ही समाज के प्रति वरिष्ठ नागरिकों के योगदान के लिए उनका आभार भी व्यक्त किया जाता है। कोरोना काल में तो घर.परिवार के साथ ही समाज की जिम्मेदारी उनके प्रति और भी बढ जाती है ।
जीएसटी के ज्वाइंट कमिश्नर रहे अंजनी कुमार मिश्रा ने इस मौके के जिक्र पर कोरोना काल के अपने अनुभव साझा किये। मूल रूप से सीतापुर के रहने वाले श्री मिश्रा वर्तमान में सेक्टर 41 नोएडा में रहते हैं। वह 2014 में सेवानिवृत्त हुए थे। वह कोरोना को लेकर अब भी लोगों के लापरवाहीपूर्ण अंदाज पर चिंता जाहिर करते हुए कहते हैं कि लॉक डाउन खुलने के बाद से बाजारों में बिल्कुल भी प्रोटोकाल का पालन नहीं किया जा रहा हैए लोग बाजार में खरीदारी के समय एक दूसरे से सटे जा रहे हैं। ऐसे हालत बुजुर्गों के लिए ज्यादा चिंता जनक हैं। वैसे तो बुजुर्गों का परिवार वाले ध्यान रखते हैं लेकिन शहर में तमाम ऐसे बुजुर्ग हैं, जो अकेले रहते हैंए उन्हें मजबूरी में बाहर निकलना ही पड़ता है पर बाजार के हालात उनके लिए चिंता जनक हैं। इसी तरह उन्होंने पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हालत पर भी चिंता जाहिर की। ई.रिक्शा, ऑटो, कहीं भी शारीरिक दूरी का पालन नहीं है। सैनिटाइजेशन की तो बात ही न करो। उन्होंने कहा कि जरूरत है घर, मोहल्ले, बाजार में बुजुर्गों के अनुकूल बनाने की, उनके सम्मान करने की।
श्री मिश्रा कहते हैं कि कोविड.19 काल में बुजुर्गों को जो सबसे बड़ा नुकसान हुआ है वह है सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर बनायी गयी सामाजिक दूरी । वह कहते हैं, दरअसल सोशल डिस्टेंसिंग शब्द का गलत प्रयोग हो गया, लोगों ने बजाय शारीरिक दूरी के सामाजिक दूरी बना ली है। सामाजिक दूरी से तो आदमी जी ही नहीं पाएगा, खासतौर पर बुजुर्ग । सामाजिक दूरी के नाम पर वार्तालाप तक बंद हो गया है। इसका बुर्जुगों की मानसिकता पर प्रतिकूल असर होने लगा है। यह बात उन्होंने अपने कुछ ऐसे साथियों का जिक्र करते हुए कहीं जो उम्र के इस पड़ाव में अकेले रह रहे हैं। उन्होंने कहा तमाम ऐसे लोग हैं जिनके पास खूब धन है पर बातचीत के लिए लोग नहीं हैं। ऐसी स्थिति में पैसे के कोई मायने नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अब जब कोरोना के साथ ही जीना है तो ऐसी व्यवस्था होनी चाहिये कि बुजुर्ग लोग प्रोटोकाल का पालन करते हुए कुछ समय के लिए एक स्थान पर मिले जुलें और अपनी बातें शेयर कर सकें।
उन्होंने बुजुर्गों को संदेश देते हुए कहा कि सभी अपनी सेहत का ख्याल रखेंए पौष्टिक भोजन करें, कोविड से बचने के उपाय करें और प्राणायाम और योग करें। डरने की नहीं बल्कि सावधानी बरतने की जरूरत है । व्यक्तिगत रूप से उन्होंने बताया कि उनके परिवार वाले, बेटा उनका पूरा ख्याल रखते हैं। कोरोना काल में न तो बच्चे बाहर गये न ही उन्हें जाने दिया गया। उन्होंने कहा सभी बुजुर्ग अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलें, यदि जाना पड़े तो मास्क सहित कोविड प्रोटोकाल का पूरा ध्यान रखें।
बता दें कि इस दिवस की शुरुआत पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने की थी, उन्होंने 19 अगस्त, 1988 को घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करके 21 अगस्त को अमेरिका में राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस घोषित किया था। बाद में अन्य देशों ने वरिष्ठ नागरिकों को सम्मान देने के लिए इस प्रकार की घोषणा की। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 14 दिसम्बर, 1990 को 21 अगस्त को विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।
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