प्लाज्मा के इलाज की प्रक्रिया आइसीएमआर का कंप्यूटर तय करेगा
  आईसीएमआर की ओर से जारी की गयी गाइड लाइन
  न्यूज प्रहरी, मेरठ।  प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने में फिलहाल डॉक्टरों और परिजनोंं की मनमर्जी नहीं चलेगी। इसके लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च आइसीएमआर की गाइडलाइंस लागू होंगी। जिसमें हर किसी मरीज को प्लाज्मा नहीं चढ़ाया जा सकेगा। इलाज की प्रक्रिया आइसीएमआर का कंप्यूटर तय करेगा, जिसमें रैैंडम बेस्ड कोड फीड रहेंगे। जिस भी मरीज का कोड निकलेगा, डॉक्टर उसी को प्लाज्मा की डोज चढ़ा सकेंगे।
 लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज के सीएमएस डा धीरज राज ने बताया बताया कि आइसीएमआर ने देश के करीब 50 सेंटरों को प्लाज्मा थेरेपी की अनुमति दी है। इसके साथ ही शोध भी प्रारंभ किया है, जिसमें देखा जाएगा कि देश में कोरोना के मरीजों पर यह थेरेपी कितनी असरदार है। पूरी प्रक्रिया में बेहतर नतीजों का आकलन करने के लिए संबंधित चिकित्सा संस्थानों के लिए नई गाइडलाइन भी जारी की गई है। यानी आइसीएमआर के रिसर्च प्रोजेक्ट से जुड़े सेंटर मनमुताबिक मरीज में प्लाज्मा नहीं चढ़ा सकेंगे।उन्होंने बताया कि आइसीएमआर ने मरीजों के इलाज को दो गु्रपों में बांटा है। कंट्रोल आर्म और इंटरवेंशन आर्म। इसके लिए रेड टैप पोर्टल बनाया है।
ये हैं आइसीएमआर मानक
नए नियम के अनुसार संस्थानों में भर्ती मरीज का चयन करना होगा। मरीज के नाम के बजाय पोर्टल पर पेशेंट आइडी कोड भेजा जाएगा। कंप्यूटर पर रेंडम मरीज का कोड आवंटित होगा। यह कोड यदि कंट्रोल आर्म की श्रेणी में आवंटित हुआ तो मरीज को प्लाज्मा थेरेपी नहीं दी जाएगी।
  डायबिटीज ,ह्दय व कैंसर रोगी को नहीं दी जाएगी डोज
डा धीरज राज ने  बताया कि प्लाज्मा थेरेपी सिर्फ कोविड-19 के मरीजों पर ही चढ़ेगी। डायबिटीज,गुर्दा, हृदय, कैंसर जैसी बीमारी से घिरे मरीजों को इसकी डोज नहीं दी जाएगी। साथ ही इसमें कोविड के मॉडरेट केस यानी सामान्य से नीचे वाले लिए जाएंगे।
ड्रंग कंट्रोलर की अनुमति भी जरूरी
आइसीएमआर के बाद ड्रग कंट्रोलर की अनुमति के आधार पर प्लाज्मा थेरेपी दी जाएगी। इसमें मरीज चयन का अधिकार चिकित्सक का होगा। साथ ही मॉडरेट ही नहीं गंभीर मरीजों को भी प्लाज्मा थेरेपी दे सकेंगे।
ठीक हो चुके मरीजों का चढ़ाया जाता है प्लाज्मा
इस थेरेपी में कोरोना के ठीक हो चुके मरीज का प्लाज्मा निकाला जाता है। इसमें कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बन चुकी होती है। यह प्लाज्मा संक्रमित मरीज में चढ़ाया जाता है।

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