लॉक डाउन के वक्त को छुट्टी की तरह इस्तेमाल करें



पत्नी व बच्चों को दें समय : डॉ. संजीव त्यागी


सिर्फ कोरोना वायरस के खतरों के बारे में वार्तालाप न करें 


न्यूजप्रहरी  गाजियाबाद । कोरोना वायरस को मात देने के लिए घर से बाहर निकलना पूरी तरह से मना है, ऐसे में लोग घर में मन लगाने की तरह-तरह की तरकीब आजमा रहे हैं । इस महत्वपूर्ण समय को घर-परिवार के साथ बिताने के साथ ही सगे-सम्बन्धियों और इष्ट मित्रों से फोन या संदेशों के आदान-प्रदान के जरिये संपर्क में रहना भी एक अच्छा तरीका साबित हो सकता है । इससे जहाँ एक-दूसरे का हालचाल जान सकेंगे वहीँ संबंधों में एक मिठास का भाव भी देखने को मिलेगा ।

मनोचिकित्सक डॉ. संजीव त्यागी का कहना है कि लॉक डाउन में लोगों की आमदनी व आजादी कम हो गयी है और उनके पास फ़ालतू वक्त और असुरक्षा की भावना बढ़ गयी है लिहाजा तनाव बढ़ना लाजमी है । खासकर ऐसे लोगज्यादा परेशान हो सकते हैं जिन्हें अपनी कार और मकान की ईएमआई देनी होती है। हम इस तनाव को नजरिया बदलकर दूर कर सकते हैं । लॉक डाउन कोरोना का फैलाव रोकने के लिए जरूरी है । दूसरा, आप घर में रहकर देश समाज के लिए योगदान दे रहे हैं । तीसरा, यह अनंत काल की समस्या नहीं है । यह जल्द ही ख़त्म हो जाएगा । लॉक डाउन के वक्त को छुट्टी की तरह इस्तेमाल करें । पति-पत्नी एक दूसरे को वक्त दें । बच्चों के साथ खेलें । समय बचे तो भविष्य की प्लानिंग करें । 

डा. त्यागी कहते हैं कि भागदौड़ के बीच मिला यह विराम एक मायने में और हमारे जीवन को संवारने में सहायक सिद्घ हो सकता है। पति-पत्नी इस बीच एक दूसरे को समझने का प्रयास करें और एक-दूसरे के व्यक्तित्व में आए परिवर्तन पर भी ध्यान दें और उसी के अनुकूल अपना व्यवहार परिवर्तन करने के लिए खुद को तैयार करें। केवल पति पत्नी पर ही यह बात लागू नहीं होती, बल्कि बच्चों के मामले में भी लागू होती है। ऐसा करने से लॉक डाउन हमारे जीवन में नई मिठास घोलने का काम करेगा। साथ ही अपने वार्तालाप में नकारात्मक शब्दों का प्रयोग कम से करें। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि ‘टेंशन मत लो’ बोलने के बजाय ‘मस्त रहो’ बोलना एक सकारात्मक ऊर्जा देने काम करेगा। 

जिला मानसिक रोग प्रकोष्ठ में तैनात कंसलटेंट मनोचिकित्सक डा. साकेत नाथ तिवारी कहते हैं कि दौड़ती-भागती जिन्दगी में एकाएक आये ठहराव का असर किसी के भी आचार-व्यवहार में साफ़ देखा जा सकता है । ऐसे ही समय में लोगों के धैर्य की असली परीक्षा होती है । इस समय अपनी बदली दिनचर्या में कुछ समय अपने शुभचिंतकों से फोन के जरिये जुड़कर भी पुरानी यादों को ताजा करने के साथ ही सम्बन्धों को फिर से एक ताजगी दे सकते हैं । इसके लिए भी सावधानी बरतने की जरूरत है कि एक दूसरे से फोन पर भी बात करते समय सिर्फ और सिर्फ कोरोना वायरस के खतरों के बारे में वार्तालाप न करें । अखबार-टीवी और आस-पड़ोस में लोग सिर्फ कोरोना के बारे में सुन-सुन कर ऊब चुके हैं, इसलिए उन्हें कुछ समय के लिए इससे हटकर बात करने की जरूरत महसूस होती है ।

इस लॉक डाउन के वक्त प्रतिदिन कुछ समय के लिए वीडियो काल कर बाहर रह रहे अपनों से संपर्क में रह सकते हैं।इससे जहाँ उनका समय भी अच्छे से व्यतीत हो जाता है । इसके अलावा कुछ वक्त योगा करके तो कुछ समय पुस्तकों का अध्ययन करके बिता सकते हैं ।

न किसी के घर जाएँ और न किसी को घर बुलाएँ :


कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव का मूल मन्त्र जरूरी सावधानी बरतने के साथ ही सोशल डिस्टेनशिंग (सामाजिक दूरी) को बरक़रार रखने में ही है । इसके लिए जरूरी है कि जब तक वायरस का खतरा बरकरार है तब तक न तो किसी के घर जाएँ और न ही किसी को अपने घर पर बुलाएं । अगर आस-पड़ोस में किसी से बात करना बहुत ही जरूरी हो तो एक मीटर की दूरी बनाए रखें । साबुन-पानी से अच्छी तरह से हाथ धोएं ।

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