एमबीबीएस छात्राे पढाई के लिए किया देहदान
मेडिकल के शरीर रचना विभाग को सौंपा शव
मेरठ। जवाहर क्वाटर्स एक परिवार ने एक बुर्जुग की गुरूवार को मृत्यु होने के बाद देहदान किया है। परजनों ने शव को मेडिकल के शरीर रचना विभाग को सौंप दिया है।
देहदान को महादान कहा जाता है। मृत देह मेडिकल कॉलेज के छात्रों के लिए साइलेंस टीचर की तरह होती है। वे आपके शारीरिक अंगों पर प्रैक्टिकल कर दूसरों को जीवन देना सीखते हैं। इंसान की जिंदगी बचाने के लिए चिकित्सकों की अहम भूमिका मानी जाती है और एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों को पढ़ाई के लिए मृत शरीर का भी बड़ा योगदान होता है। देहदान न होने के कारण एमबीबीएस के छात्रों को पढ़ाई में कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता था, लेकिन अब धीरे-धीरे लोग देहदान के प्रति जागरूक हो रहे हैं, जिससे एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों को भी काफी मदद मिल रही है। इंसान की जिंदगी बचाने के लिए चिकित्सकों की अहम भूमिका मानी जाती है। देहदान के लिए अब धीरे-धीरे लोग जागरूक हो रहे हैं ।
मेडिकल कॉलेज मेरठ के प्राचार्य डॉ आर सी गुप्ता ने बताया कि अगस्त 2022 में महेश चंद्र पुत्र स्व. अतर सैन जैन उम्र 85 वर्ष निवासी जवाहर क्वाटर्स ने मेडिकल कॉलेज मेरठ के शरीर रचना विभाग में अपना देह दान का रजिस्ट्रेशन कराया था, जिनकी मृत्यु के उपरांत गुरूवार को उनके बच्चो के द्वारा उनका मृत देह संपूर्ण शरीर मेडिकल कॉलेज मेरठ के शरीर रचना विभाग में अध्यनरत विद्यार्थियों हेतु दान किया गया। शरीर रचना विभाग की विभागाध्यक्ष ने बताया कि एन.एम.सी की गाइडलाइन के अनुसार एम बी बी एस पाठ्यक्रम में पठन पाठन हेतु प्रत्येक वर्ष कुल 15 शव(मृत देह) की आवश्यकता होती है।

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