कोर्ट के आदेश पर अस्पताल के संचालक समेत चार पर मुकदमा 

 अस्पताल की छवि बिगाड़ने की मंशा से कराया गया मुकदमा’’

 मेरठ। कोर्ट के आदेश पर केएमसी हाॅस्पिटल के संचालक समेत चार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। वही अस्पताल के संचालक ने इसे अस्पताल की छवि बिगाड़ने का प्रयास बताया है। 

 बता दें रोहटा ब्लॉक के मीरपुर गांव की बतीता को पित की थेैली में पथरी के आपरेशन के आयुष्मान योजना के तहत गत वर्ष 2 अक्टूबर को भर्ती कराया गया था। मरीज को पहले से ही फेफड़ों एवं हृदय की दिक्कत थी, जो इनके तिमारदारों को ऑपरेशन से पहले ही बता दिया गया था। उनकी सहमति होने के बाद ही इनको ऑपरेशन के लिए लिया गया।3 अक्टूबर को मरीज का ऑपेशन किया गया। फेफड़ों की व हृदय की दिक्कत होने के कारण इनको सावधानी के लिए वेन्टीलेटर पर रखा गया। जिसके काफी समय बाद फेफड़ों की पुरानी दिक्कत होने के कारण इसका Emphysematous Bulla Rupture कर गया और इसको छाती में हवा भर गई। जिसके लिये दोनों तरफ छाती में हवा निकालने के लिए  चेस्ट टयूृब  डालनी पड़ी। मरीज के तिमारदारों को सारी स्थिति समझाते हुए सम्पूर्ण आधुनिकतम सुविधाओं के साथ एवं उनकी लिखित सहमति के साथ बिना कोई पैसा लिये इलाज किया गया।  लेकिन 6 अक्टूबर को  मरीज की मृत्यु हो गई एवं उस समय मरीज के तिमारदार अपने मरीज को बिना किसी शिकायत एवं पोस्टमार्टम कराये अस्पताल से ले गये। 

 अस्पताल के संचालक डा सुनील गुप्ता ने बताया कि जनवरी 2025 में बुलन्दशहर के एक रोगी कविता द्वारा इलाज के 7 वर्ष बाद अचानक हम पर उनके वकील ने बिना किसी दस्तावेज एवं साक्ष्यों के मेरठ के एक रेडियोलॉजिस्ट द्वारा सोनोग्राफी की तकनीकी सीमाओं का उल्ल्ंघन करते हुए उसका बाँया गुर्दा निकालने की रिपोर्ट के  आधार पर 40 लाख रुपये की माँग की। रुपया ना देने पर उसने  हमारे विरुद्ध पहले  उपभोक्ता फोरम  में केस किया वहाँ कोई सुनवाई ना होने पर उसने वहाँ की अदालत के द्वारा (बिना चिकित्सीय बोर्ड की आख्या के) एक FIR रजिस्टर्ड की। जिसके विरुद्ध हम माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद गये एवं यह  एफआईआर 29 अप्रैल 2025 को QUASH हो गई। हाई कोर्ट ने इस मुकदमे को पूरी तरह फर्जी माना।

उन्होंने बताया कि  न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट नं. 2 ने 4 महीने तक सीएमओ  द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड की आख्या एवं तीन बार सम्बन्धित टी. पी. नगर की आख्या मंगायी जाती रही, लेकिन मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट एवं पुलिस द्वारा दी गई तीन बार की आख्या मेें ब्रिजेश कुमार शर्मा द्वारा लगाये गये किसी भी आरोपों की पुष्टि नहीं हो पाई एवं मुख्य बात यह है कि ना ही इस रोगी का पोस्टमार्टम हुआ और ऑपरेशन के अगले दिन कराये गये  अलट्रासांउड में ब्रिजेश कुमार शर्मा के द्वारा अपने रोगी के अंग निकालने के आरोपों की पुष्टि नहीं हुई है। हमारे खिलाफ यह मुकदमा पूरी तरह से गलत है। इसमें कोई साक्ष्य नहीं है, हमारे पास सीएमओ द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट है। ये सिर्फ एक साजिश के तहत अस्पताल की छवि को बिगाड़ने के लिये किया गया है। हम पुलिस की जांच में सहयोग करेंगे। 


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