श्री बिल्वेश्वरनाथ मंदिर असली लड़ाई  स्वामित्व और चंदे को लेकर! 

 अब पुलिस की निगरानी में हो रहा पूजापाठ,पाशोपेश में भक्त 

 मेरठ। रामायण कालीन कैंट का श्री बिल्वेश्वरनाथ मंदिर स्वामित्व व चंदे को लेकर जंग का नया अखाड़ा बन गया है। इसका सबसे ज्यादा खामियाजा वहां पर आने वाले भक्तों पर पड़ रहा है। जिनका किसे से कोई सरोकार नहीं है। दुख का पहलू ये है पुलिस की मौजूदगी में मंदिर में पूजा अर्चना की जा रही है।  भक्त भी सोच रहे हैं कि जिस मंदिर में सुकून की तलाश में जाएं वहां सबसे ज्यादा अशांति है।

 कैंट में सदर थाने के पीछे बने इस मंदिर की चर्चा उसके महत्व की बजाय वहां ट्रस्ट और सेवायतों के बीच छिड़े झगड़े के कारण हो रही है।29 अगस्त की घटना किसी से छिपी नहीं है। अब तो यह झगड़ा सोशल मीडिया से वापरल वीडियों से सुर्खियां पा रहा है।

 दरअसल 29 अगस्त को मंदिर में बलदेव छठ समारोह था। समारोह में भाजपा एमएलसी धर्मेंद्र भारद्वाज, कैंट विधायक अमित अग्रवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी पहुंचे। भगवान का पूजन करके छठ का भोग लगना था। तभी मंदिर में सेवादार और ट्रस्ट पक्षों का आपस में विवाद हो गया। मुंहभाषा से होते हुए झगड़ा ऐसा बढ़ा कि आपस में धक्का-मुक्की हो गई। मंदिर में पूर्जा अर्जना के लिए पहुंचे जनप्रतनिधियों के साथ भी अभद्रता की गई। पूरा समारोह विवाद की भेंट चढ़ गया। कैंट विधायक अमित अग्रवाल, एमएलसी धमेन्द्र भारद्वाज  व व्यापारी नेता संयुक्त व्यापार संघ के अध्यक्ष तक को मंदिर प्रवेश करने लिए रोका गया। किसी तरह वह मंदिर के पहुंचे तो पुलिस की मौजूदगी में अनुष्ठान कराया गया। 

 रामायण काला  पुराना यह मंदिर ऐतिहासिक है। श्री बिल्वेश्वर महादेव के नाम से बना शंकरजी के इस मंदिर में एक तरफ भगवान जगन्नाथ जी का मंदिर है। असली विवाद जगन्नाथ जी के इसी मंदिर का है।  मंदिर में  विवाद की शुरूआत 15 मार्च 2024 में शुरू हुई थी। शुरूआत में मंदिर के पुजारी और समिति के लोग भी साथ ही थे । पिछले ट्रस्ट के खिलाफ इन्होंने एक चुनाव भी लड़ा था सर्व समाज के समर्थन के साथ इसमें अध्यक्ष चुना गया । दिनेश गुप्ता को महामंत्री, राम मोहन शर्मा को कोषाध्यक्ष के साथ पूरी एक टीम तैयार की गई।

 पुजारी ने नया ट्रस्ट बना कर परिवार के सदस्यों को पद दिलवाए 

 इसके बाद पुजारी परिवार की ओर से तीन महीने बाद मिलकर एक नया ट्रस्ट खड़ा कर दिया । इसमें गणेशदत्त शर्मा जो मंदिर में पुजारी है उनको अध्यक्ष , उनकी भतीजी राशि महामंत्री, गणेश जी का बेटा तुषार शर्मा कोषाध्यक्ष, पुजारी के दोनों भाइयों की पत्नियों में एक को संगठन मंत्री और एक को प्रचार मंत्री बना दिया गया। यहीं से विवाद की सही मायने में शुरूआत हुई थी। तबसे ये विवाद चलता आ रहा है।मंदिर समिति के लोगों का कहना है कि मंदिर के पुजारी ने 2024 में एक नया ट्रस्ट बनाया है। इस ट्रस्ट में मंदिर के पुजारी और उनके परिवार के सदस्य जैसे उनके बेटे , भतीजी, उनके भाई की पत्नी सभी यही लोग उसके पदाधिकारी है। अब ये लोग मिलकर इस मंदिर का सारा काम अपने हाथ में लेना चाहते हैं और इस मंदिर पर कब्जा करना चाहते हैं। ट्रस्ट का आरोप है कि पुजारी परिवार मंदिर को कब्जाना चाहते हैं जबकि मंदिर सबका है।

जगन्नाथ यात्रा के चंदे पर कब्जा करने के किया जा रहा खेल 

मंदिर में सालों से सेवा कर रहे पुजारी पक्ष का कहना है कि मंदिर उनके पूर्वजों द्वारा बनाया गया था और ये लोग राजनीतिक दबाव बनाकर इसको हमसे छीनना चाहते हैं। जगन्नाथ यात्रा में जो चंदा आता है उसे कब्जाने के लिए यह किया जा रहा है। मंदिर में हक और चंदे के पैसे को लेकर दूसरे पक्ष की नियत खराब हो चुकी है। उनके द्वारा हमारे ऊपर तीन मुकदमे किए गए हैं। जबकि हमारी और से ऐसा कुछ नहीं है।  न्यायालय तक मामला ले जाने के बाद भी यह लोग अब भी राजनीतिक संरक्षण के चलते हमारे ऊपर दबाव बना रहे हैं।

पुजारी परिवार के सदस्य ही पदाधिकारी 

समिति के महामंत्री दिनेश गुप्ता ने बताया कि पिछले 100 साल से भी ज्यादा समय से समिति द्वारा मंदिर का रख रखाव होता आ रहा है। यह मंदिर सरकारी कैंटोनमेंट की जमीन पर बना हुआ है। पिछले साल से मंदिर के पुजारी और उनके परिवार के सदस्य जिसमें उनके बेटे , बेटी, उनके भाई की पत्नी सभी यही लोग उसके पदाधिकारी है। अब ये लोग मिलकर इस मंदिर का सभी कार्य अपने हाथ में लेना चाहते हैं और इस मंदिर पर कब्जा करना चाहते हैं । 

 जनप्रतिनिधियों को रोका रास्ता 

जगन्नाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेंद्र वर्मा ने बताया कि सदर बाजार का व्यापारी परिवार, शहर के कुछ जनप्रतिनिधि और सामाजिक लोग 56 भोग भगवान को चढ़ने पहुंचे थे। तभी वहां पुजारी पक्ष की महिलाओं ने रास्ता रोक दिया और कहा कि सिर्फ जनप्रतिनिधि ही अंदर जा सकते हैं । इस बात का हमने विरोध किया तो वह उनके पक्ष के लोगों ने हमारे साथ धक्कामुक्की और मारपीट की कोशिश की। मंदिर पक्ष के लोगों ने कहा कि यह मंदिर हमारा है और हमारी मर्जी है हम जिसे चाहेंगे उसको यहां पूजा करने देंगे।

मंदिर के पुजारी पक्ष के लोगों से बातचीत..

 असली विवाद जगन्नाथ यात्रा से एकत्र होने वाले चंदे का  

 पुजारी पक्ष के लोगों का कहना है कि असल में चढ़ावे या दान पुण्य जो मंदिर में आता है उसका यह विवाद नहीं है। वे सिर्फ एस्ट्रोलॉजी का काम करते है जिससे  वह  इनकार नहीं करते हैं। इस विवाद का असली कारण है रथ यात्रा के लिए इक्कठा होने वाले चंदे की धन राशि का। क्योंकि इसमें लगभग 20_30 लाख रूपये यहां सर्व समाज द्वारा चंदा दिया जाता है और यात्रा में सिर्फ पांच लाख तक रूपये ही लगते हैं। लगभग150 साल से उनकापरिवार इस मंदिर से जुड़ा हुआ है यह  चौथी पीढ़ी है जो यहां सेवा के रही है।बिल्वेश्वर महादेव मंदिर पुरातत्व विभाग का है जगन्नाथ मंदिर उसके अंतर्गत नहीं आता है। इसकी स्थापना परदादा जी सूर्यभानु शास्त्री ने की थी। यह मूर्तियां उनके घर में रखी थी तो बिल्वेश्वर मंदिर के पुजारी ने उनसे कहा था कि आप यहां मंदिर बना लीजिए।

राशि शर्मा ने बताया कि मंदिर को ऐसे ही सरकार को ऐसे नहीं दिया जाता उसमें भी एक ट्रस्ट रहता है। राम मंदिर के ट्रस्ट में वो लोग है जो इसकी लड़ाई लड़ रहे थे। इस मंदिर की लड़ाई हम लड़ रहे हैं। सरकार को भी अपने अंडर करने के लिए कोर्ट जाना पड़ेगा। राम मंदिर की तरह ही इस मंदिर की लड़ाई चलेगी और  न्यायालय इस बात को तय करेगा कौन इसका हकदार होगा।

मंदिर कभी किसी का नहीं हो सकता- कैंट विधायक

इस विवाद पर कैंट विधायक अमित अग्रवाल का कहना है कि दोनो पक्षों को यह बात समझनी जरूरी है कि पुजारी और समिति दोनो का ही मंदिर में अलग अलग अस्तित्व है। मंदिर को किसी के द्वारा यह कहना कि यह हमारा है या इसपर हमारा हक है तो यह गलत है। जहां सभी लोग पूजा करते है वह सावर्जनिक होता है। सनातन धर्म हमारा ऐसा है जो अन्य धर्म का व्यक्ति भी पूजा करने आ सकता है। किसी को मंदिर में आने से रोकना या अभद्र व्यहवार करना बेहद निंदनीय है।

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