रक्षा निर्यात और भारत
 इलमा अज़ीम 
भारत सरकार के प्रेस सूचना ब्यूरो के अनुसार, ‘ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय प्रणालियों द्वारा शत्रु की प्रौद्योगिकियों को बेअसर करने के ठोस सबूत भी पेश किए- चीनी पीएल-15 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, तुर्की मूल के यूएवी, लंबी दूरी के रॉकेट, क्वाडकॉप्टर और वाणिज्यिक ड्रोन के टुकड़े बरामद किए गए।’ 
पीआईबी आगे कहता है, ‘जिन्हें बरामद किया गया और उनकी पहचान की गई, जिससे पता चलता है कि पाकिस्तान द्वारा विदेशों से आपूर्ति किए गए उन्नत हथियारों का फायदा उठाने के प्रयासों के बावजूद, भारत का स्वदेशी वायु रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध नेटवर्क बेहतर बना हुआ है।’ गौरतलब है कि भारत का रक्षा निर्यात 2013-14 में 686 करोड़ रुपए से बढक़र 2023-24 में 21083 करोड़ रुपए हो गया, और 2024-25 में यह 23622 करोड़ रुपए हो गया। अगले वर्ष के लिए इसका लक्ष्य 35000 करोड़ रुपए के रक्षा उपकरण निर्यात करना है। भारत अब इटली, मालदीव, रूस, श्रीलंका, यूएई, फिलीपींस, सऊदी अरब, पोलैंड, मिस्र, इजरायल, स्पेन और चिली सहित 85 से अधिक देशों को निर्यात करता है।



 भारत द्वारा निर्यात किए जाने वाले प्रमुख रक्षा उपकरणों में शामिल हैं- आकाश- सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, जिसे आर्मेनिया जैसे देशों को निर्यात किया गया है और सूडान में प्रदर्शित किया गया। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, जिसे फिलीपींस को निर्यात किया जा रहा है और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने भी इसमें रुचि दिखाई है (सौदों पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं)। पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लांचर, जिसे आर्मेनिया को निर्यात किया गया, 155 मिमी आर्टिलरी गन, जिसे आर्मेनिया को निर्यात किया गया, जो उन्नत आर्टिलरी प्रणालियों में भारत की क्षमताओं को उजागर करता है।
 हालांकि, इन रक्षा वस्तुओं की विभिन्न देशों में पहले से ही मांग है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद परिदृश्य भारत के रक्षा निर्यात के पक्ष में और भी बदल गया है। भारत अब अधिक रक्षा सामान बेचने की बेहतर स्थिति में है। इस ऑपरेशन ने न केवल भारत की सैन्य साख को बढ़ाया है, बल्कि स्वदेशी रूप से विकसित रक्षा प्रणालियों की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता का जीवंत प्रदर्शन भी किया है। 


वास्तव में, हम युद्ध के मैदान में भारत के वर्तमान कार्य को दुनिया में भारत निर्मित हथियारों के प्रदर्शन को प्रदर्शित करने वाला एक प्रचार अभ्यास कह सकते हैं, क्योंकि हम कह सकते हैं कि वे परीक्षण केवल मैदान में नहीं बल्कि चीन और तुर्की जैसी प्रमुख सैन्य शक्तियों द्वारा समर्थित वास्तविक युद्ध जैसी स्थिति में सिद्ध हुए हैं। आकाश मिसाइल रक्षा प्रणाली भारत की स्वदेशी प्रणाली है, जिसने हाल ही में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान अपनी प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया है।

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