लक्ष्य को किस प्रकार से साधा जाए पर की चर्चा 

मेरठ।  शहीद मंगल पाण्डे राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय,एवं न्यूक्लियस ऑफ़ लर्निंग एंड डेवलपमेंट के संयुक्त तत्वाधान व महाविद्यालय प्राचार्य प्रो.(डॉ.) अंजू सिंह के निर्देशन एवं महाविद्यालय आइ.क्यू.ए.सी. समन्वयक प्रो.  लता कुमार के संयोजन में  23 जून, 2025 से 4 जुलाई, 2025 तक गूगल मीट के माध्यम से आयोजित 10 दिवसीय सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम के प्रथम दिवस में अतिथि वक्ता के रूप में के. आई.आई.टी. कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, गुड़गांव से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रचना शर्मा कार्यक्रम में उपस्थिति रही। 

कार्यक्रम की शुरुआत में न्यूक्लियस ऑफ़ लर्निंग एंड डेवलपमेंट संस्थान की ओर से डॉ. निधि सेनदुर्निकर ने कार्यक्रम की संक्षिप्त रूपरेखा, उद्देश्य व लक्ष्य समस्त के साथ साझा किये। शहीद् मंगल पांडे राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मेरठ की प्राचार्य प्रो. (डॉ.)अंजू सिंह ने समस्त प्रतिभागियों का औपचारिक स्वागत किया व प्रासंगिक कार्यक्रम के आयोजन हेतु आयोजन कर्ताओं को शुभकामनाएं दी ।अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भारतीय ज्ञान परंपरा की सार्थकता का अध्ययन कर उसे विस्तार से समझना होगा एवम् दैनिक् जीवन में उसकी सिखलाहटों को आत्मसात कर जीवन को और अधिक अर्थपूर्ण बनाना होगा। तत्पश्चात कार्यक्रम की आयोजन सचिव  प्रो. लता कुमार ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में महिला उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक अग्रणी शिक्षण संस्थान की पहचान के साथ महाविद्यालय का संक्षिप्त परिचय दिया व महाविद्यालय के लक्ष्य, उद्देश्यों, उपलब्धियां व कार्यक्रम के आयोजन के प्रयोजन से समस्त को अवगत  कराया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार सत्रभर  महाविद्यालय विविध कार्यक्रमों के आयोजनों में परस्पर संलिप्त रहकर निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर रहता है। प्रारंभिक औपचारिकताओं के पश्चात अतिथि वक्ता डॉ.रचना शर्मा ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया जिसका विषय 'नीति शास्त्र : द् ऐन्सिएंट इंडियन गाइड टू  गवर्नेंस एंड वर्चू' रहा ।अपने अत्यंत रोचक, विषय परक ,ज्ञान वर्धक् व्याख्यान में डॉ. रचना ने नीति शास्त्र की विस्तृत विवेचना की।

 उन्होंने नीति शास्त्र का विस्तार से अर्थ समझाया व वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता व् उपदेयता पर प्रकाश डाला। वर्तमान में व्याप्त वैश्विक अविश्वास, राजनीतिक उथल-पुथल व वैचारिक खोखलापन जिस प्रकार मानव जाति को घेरे हुए हैं ऐसे में भारतीय ज्ञान परंपरा के संवाहक के रूप में नीति शास्त्र किस प्रकार समाधान साबित हो सकता है इस विषय पर वक्ता महोदया  ने विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया की नई शिक्षा नीति व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था में पांच प्रतिशत भारतीय ज्ञान परंपरा संबंधी पाठ्यक्रम की अनुशंसा करते हैं। उन्होंने अखंड भारत, ज्ञान व परंपरा को पृथक पृथक समझाते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा में ब्रह्मा ,मनु, शुक्र, बृहस्पति, कमंदक, चाणक्य, सोमदेव, पंडित नारायण शर्मा व विष्णु शर्मा के योगदान का विवरण दिया । साथ ही  राजनीति अर्थनीति धर्म नीति व दंड नीति के साथ-साथ नीति शास्त्र के विभिन्न आयामों की विस्तृत विवेचना की ।व्याख्यान के अंत में उन्होंने पंचतंत्र की उत्पत्ति, सार्थकता, प्रासंगिकता व वैश्विक स्तर पर पंचतंत्र की उपदेयता को समझाया ।उन्होंने बताया कि किस प्रकार साधारण नीति संगत कहानियों के द्वारा हम विद्यार्थियों को क्रिटिकल थिंकिंग सही गलत में भेद डिसीजन मेकिंग को प्रभावित तरीके से समझा सकते हैं। व्याख्यान के पश्चात प्रश्न उत्तर सत्र में प्रतिभागियों ने अपने विचार प्रस्तुत किये व वक्ता के द्वारा उनके प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर दिए गए ।सत्रांत में आयोजन समिति की सदस्य डॉ. भारती शर्मा के द्वारा अतिथियों, अधिकारियों व प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कोर्स के प्रथम दिवस में कुल 102 प्रतिभागी सम्मिलित रहे।


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