कामगारों का कॉन्टिनेंटल में 5 घंटे चला धरना, बातचीत को नहीं आए प्रबंधक

--- कामगारों के धरना प्रदर्शन रोकने को डटे रहे पुलिस व पीएसी के जवान
--- आज उप श्रमायुक्त कार्यालय पर जुटेंगे कामगार और मिल प्रबंधन
 मेरठ। कॉन्टिनेंटल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में कामगारों और प्रबंधन का विवाद हाईवे से शुरू होकर फैक्ट्री के अंदर आ गया। जिसमें कामगारों ने प्रबंधकों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की फैक्ट्री के गेट पर धरना देकर बैठ गए। धरने की बात पर प्रबंधन के हाथ पांव फूल गए। मगर पहले से ही तैनात थाना पुलिस व पीएसी ने मामला संभाल लिया। कामगारो के 5 घंटे धरना देने के बाद भी मिल प्रबंधन बातचीत के लिए धरना स्थल पर नहीं पहुंचे।
गौरतलब है कि बीती 2 जून को कॉन्टिनेंटल ने अपना टीवीआर प्लांट बंद कर इस विभाग के सभी कामगारों के लिए वीआरएस लागू कर दिया था। मगर वीआरएस की शर्तों को पूरा ने करने पर कामगारों ने फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। जिसके चलते कॉन्टिनेंटल के पूर्व श्रमिकों ने डीएम मेरठ डॉ. वीके सिंह व सहायक श्रमायुक्त अवधेश कुमार से मिलकर न्याय की गुहार लगाई।
विधायक अतुल प्रधान की थाना प्रभारी से तींखी नोंक झोंक 
कॉन्टिनेंटल के कामगारों को सरधना विधायक अतुल प्रधान ने अपना समर्थन दिया। कॉन्टिनेंटल फैक्ट्री गेट पर सैकड़ों कामगारों के साथ अतुल प्रधान सड़क पर धरना देकर बैठ गए। जहां थाना प्रभारी पल्लवपुरम रमेश चंद शर्मा से विधायक अतुल प्रधान की तीखी नोक झोंक हो गई। जिस पर सीओ दौराला में मौके पर आकर शांत कराया।
कामगारों ने प्रबंधन पर लगाए गंभीर आरोप
कॉन्टिनेंटल मजदूर यूनियन के नेता अंकित शर्मा ने बताया कि प्रबंधन ने किसी भी भारतीय कानून को नहीं माना है। जिसमें कामगारों वीआरएस देने में भी श्रम कानून तोड़े हैं। धरनारत मजदूरों को धमकाने के लिए फैक्ट्री में बाउंसर बुला लिए। साथ ही धोखे से अंग्रेजी में छपी एग्रीमेंट कॉपी पर सभी कामगारों के हस्ताक्षर ले लिए। बताया कि सन 2011 में कॉन्टिनेंटल में फैक्ट्री को टेकओवर किया था जिसमें सन 1974 से चल रहे 22 प्लांट को सन 2014 में ही बंद कर दिया उसे समय भी सभी कामगारों को वीआरएस दी गई थी। बताया कि हमेशा 3 साल के बाद कंपनी और कामगारों के बीच इंक्रीमेंट का एग्रीमेंट किया जाता है परंतु एग्रीमेंट के कुछ दिन पहले ही वर्ष लगा दी जाती है। वीआरएस देने का सिलसिला कॉन्टिनेंटल में यह तीसरी बार है। साथ ही जब कोई यूनिट बंद की जाती है। उसकी मशीनों को भी कंपनी के द्वारा बेच दिया जाता है। कामगारों ने बताया कि श्रम कानून के तहत एक माह पहले ही यूनिट बंद करने का नोटिस दिया जाता है। वही प्रमुख श्रम सचिव से अप्रूवल भी लिया जाता है। इन सब कार्यवाही से इतर कॉन्टिनेंटल प्रबंधन में मनमाने तरीके से कर्मचारियों की छंटनी की है और वीआरएस स्कीम भी लागू कर दी।
शासन और प्रशासन से भी नाराज नजर आए कामगार
--- एक काम करने धरना स्थल पर बताया कि उत्तर प्रदेश की नाक समझी जाने वाली कॉन्टिनेंटल कंपनी में 400 कर्मचारी के साथ प्रबंधकों ने धोखा किया है। मगर मेरठ के शासन में प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं है।

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