प्रो . युद्धवीर का मेरठ कॉलेज का प्राचार्य बनने का रास्ता साफ
हाईकोर्ट मनोज रावत की याचिका को किया खारिज ,कोर्ट ने नियुक्त को गलत माना
मेरठ। मेरठ कॉलेज में प्राचार्य पद की लड़ाई में अब नया मोड़ आया है। हाईकोर्ट ने वर्तमान कॉलेज के प्राचार्य मनोज रावत की याचिका को खारिज कर दिया है। इससे प्रो . युद्धवीर सिंह को मेरठ काॅलेज का प्राचार्य बनने का रास्ता साफ हो गया है। याचिका खारिज होने के बाद अब मनोज रावत को प्राचार्य का पद छोड़ना पड़ सकता है । हाईकोर्ट ने प्राचार्य मनोज रावत की नियुक्ति को गलत माना है। अब वे प्राचार्य नहीं बने रह सकते हैं।
सीनियरिटी के हिसाब से अब प्रो. युद्धवीर सिंह के फिर से प्राचार्य बनने का रास्ता साफ हो गया है। एकल बेंच के खिलाफ हाईकोर्ट की डबल बेंच में गए प्रो. मनोज रावत को सोमवार को हुई अंतिम सुनवाई में राहत नहीं मिली।मेरठ कॉलेज के प्राचार्य प्रो. युद्धवीर सिंह ने निदेशक उच्च शिक्षा द्वारा प्रो. मनोज रावत को कॉलेज में प्राचार्य नियुक्त करने की प्रक्रिया को चुनौती दी थी। उन्होंने निदेशक उच्च शिक्षा द्वारा विशेष सचिव उच्च शिक्षा को जारी पत्र का हवाला देते हुए कहा था कि इसमें डॉ. मनोज रावत द्वारा बजरंग पीजी कॉलेज बलिया में हुई नियुक्ति को बदलकर मेरठ कॉलेज में करने के अनुरोध को निरस्त कर दिया था।
इसके पीछे मुख्य वजह उच्च शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम 1980 के पास नियुक्ति स्थान को बदलने के अधिकार नहीं होना था। प्रो. मनोज रावत ने अपना काउंटर एफिडेविट दाखिल करते हुए यह तो स्वीकार किया कि आयोग ने उन्हें बलिया का कॉलेज आवंटित किया था, लेकिन कॉलेज ने उन्हें नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया। कोर्ट ने निदेशक उच्च शिक्षा द्वारा प्रो. मनोज रावत की कॉलेज में नियुक्ति को क्षेत्राधिकार से बाहर बताते हुए आदेश को निरस्त कर दिया था।
इसके बाद सीनियरिटी के हिसाब से प्रो.युद्धवीर सिंह की प्राचार्य की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया था। इसके बाद प्रो. मनोज रावत हाईकोर्ट चले गए थे। हाईकोर्ट ने उनकी नियुक्ति को समाप्त करने का निर्णय लिया था। 23 फरवरी 2025 को प्रबंध तंत्र ने सीनियरिटी के हिसाब से प्रो. युद्धवीर सिंह को प्राचार्य के पद पर ज्वाइन कराया था। इसके बाद प्रो. मनोज रावत ने हाईकोर्ट की डबल बेंच में याचिका दायर की। डबल बेंच ने एकल पीठ के निर्णय पर रोकते हुए यथास्थिति के आदेश दे दिए, जिसके बाद मार्च 2025 में मनोज रावत ही प्राचार्य बन गए।
इस मामले की सोमवार को अंतिम सुनवाई हुई जिसमें प्रो.मनोज रावत को राहत नहीं मिली। कोर्ट ने प्रो.युद्धवीर सिंह द्वारा पेश तथ्यों को सही माना जिसमें एक बार कॉलेज आवंटित होने के बाद इसे बदलने का अधिकार नहीं था।
प्रो. मनोज रावत के पदभार ग्रहण के बाद सबकी निगाहें हाईकोर्ट में सुनवाई पर लगी थी। हाईकोर्ट ने उप्र उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग से पूर्व में आवंटित कॉलेज की प्रबंध समिति से यह पता करने के निर्देश दिए थे कि प्रो.मनोज रावत को क्या नियुक्ति पत्र जारी किया गया था या नहीं। प्रो. मनोज रावत का दावा था कि आयोग ने कॉलेज तो आवंटित कर दिया था, लेकिन प्रबंध समिति ने उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिया।
इस स्थिति में उन्होंने आयोग से कॉलेज बदलने का विकल्प मांगा। हालांकि नियुक्ति के खिलाफ कोर्ट गए प्रो.युद्धवीर सिंह का दावा था कि जानबूझकर कॉलेज में कार्यभार ग्रहण नहीं किया गया। ऐसे में सबकी नजर हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी थी। सोमवार को इस मामले में हाईकोर्ट ने प्रो. मनोज रावत की नियुक्ति को गलत माना है। अब वे प्राचार्य पद पर नहीं बने सकते हैं। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद मेरठ कॉलेज में फिर से प्रो. युद्धवीर सिंह के प्राचार्य बनने का रास्ता साफ हो गया है।
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