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महिला उप निरीक्षक अमृता यादव पुलिस सेवा से बर्खास्त

 20 हज़ार की रिश्वत लेते हुई थी गिरफ्तार

 मेरठ। गत 2017 में बुढाना गेट पुलिस चौकी में दहेज अधिनियम मेें धारा कम करने के मामले में बीस हजार की रिश्वत लेती धरी गयी  महिला उपनिरीक्षक अमृता यादव को बर्खास्त कर दिया गया है। 

डीआईजी द्वारा बताया गया कि आरोपित पुलिस महिला उप निरीक्षक अमृता यादव के विरूद्ध पंजीकृत उक्त अभियोग में न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध किये जाने के फलस्वरूप इनका पुलिस जैसे अनुशासित बल में नियुक्त रहते हुए इस प्रकार का निन्दनीय कृत्य किया जाना न केवल पुलिस विभाग की छवि को धूमिल करता है, अपितु इनके द्वारा पुलिस बल के पदस्थ के रूप में विभाग की गरिमा के विपरीत, इस प्रकार का निन्दात्मक आचरण करना इनकी स्वेच्छाचारिता, अनुशानहीनता एवं गम्भीर कदाचार को दर्शाता है। 

 महिला उप निरीक्षक अमृता यादव, जब वर्ष 2017 में थाना कोतवाली मेरठ में नियुक्त थी, तब 13 जून 2017 को समीर पुत्र खन्देरू नदाफ निवासी सीकरी रोड थाना मोदीनगर जनपद गाजियाबाद की शिकायत पर इनको दहेज अधिनियम में धारा कम करने के एवज में 20,000 रुपये लेते हुए बुढाना गेट पुलिस चौकी से भ्रष्टचार निवारण संगठन मेरठ की टीम द्वारा रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया।  

महिला उप निरीक्षक अमृता यादव के विरूद्ध थाना कोतवाली धारा 7/ 13(1)(डी) सपठित धारा-13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम पंजीकृत किया गया, जिसमें विवेचना उपरान्त आरोप-पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया। न्यायालय, विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम / अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा अभियोग के विचारण उपरान्त अपने निर्णय 05 सितंबर 2024 के द्वारा महिला उप निरीक्षक अमृता यादव को दोषी पाते हुये 07 वर्ष के कठोर कारावास व 75,000 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।

पुलिस उप महानिरीक्षक मेरठ परिक्षेत्र कलानिधि नैथानी द्वारा प्रकरण की गम्भीरता के दृष्टिगत उप्र अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दण्ड एवं अपील) नियमावली-1991 के नियम-8 (2) (क) के अन्तर्गत प्रदत्त अधिकारों का राजहित में प्रयोग करते हुए वर्तमान में जिला कारागार में निरूद्ध एवं जनपद बागपत में नियुक्त महिला उप निरीक्षक अमृता यादव को शासन एवं पुलिस मुख्यालय की मंशानुसार लम्बित पत्रावली तलब कर त्वरित निस्तारण करते हुए तत्काल प्रभाव से  सेवा से पदच्युत (बर्खास्त) किये जाने के आदेश पारित किये गये हैं।

डीआईजी द्वारा बताया गया कि आरोपित पुलिस महिला उप निरीक्षक अमृता यादव के विरूद्ध पंजीकृत उक्त अभियोग में न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध किये जाने के फलस्वरूप इनका पुलिस जैसे अनुशासित बल में नियुक्त रहते हुए इस प्रकार का निन्दनीय कृत्य किया जाना न केवल पुलिस विभाग की छवि को धूमिल करता है, अपितु इनके द्वारा पुलिस बल के पदस्थ के रूप में विभाग की गरिमा के विपरीत, इस प्रकार का निन्दात्मक आचरण करना इनकी स्वेच्छाचारिता, अनुशानहीनता एवं गम्भीर कदाचार को दर्शाता है। 

आरोपित महिला उप निरीक्षक द्वारा इस प्रकार का घोर निन्दात्मक कृत्य विभाग की छवि एवं गरिमा पर भी आम जनमानस के मन में प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यदि इस प्रकार के आचरण वाले पुलिस कर्मी को विभाग में बनाये रखा जाता है तो इसका कुप्रभाव अन्य पुलिस कर्मियों पर भी पड़ेगा एवं पुलिस बल में नियुक्त अन्य पुलिस कर्मियों में भी इस प्रकार नैतिक अधमता की भावना प्रबल होगी। इस कारण आरोपी पुलिस उप निरीक्षक अमृता यादव को पुलिस बल में बनाये रखने का कोई औचित्य नहीं है। ऐसा कर्मचारी उपरोक्त वर्णित विवरण एवं उसके निकृष्ट कोटि के आचरण के आधार पर किसी भी प्रकार की सहानुभूति अथवा दया का पात्र नहीं है। आरोपित महिला उप निरीक्षक के भ्रष्टाचार जैसे अनैतिक कृत्य में संलिप्त होने व उसके विरुद्ध दोषसिद्ध होने के उपरान्त पुलिस विभाग जैसे अनुशासित बल में रखने का कोई औचित्य नहीं है।

ये था मामला 

गाजियाबाद के मोदीनगर के रहने वाले समीर की पत्नी ने कोर्ट के जरिए दहेज़ उत्पीड़न, रेप, सहित कई अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था. जिसमें कोतवाली थाने में तैनात महिला दरोगा अमृता यादव को मुकदमें में जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था. विवेचना के दौरान महिला दरोगा अमृता यादव ने समीर को फोन कर बुलाया और मुदकमे में लिखी गयी धाराओं में दो धाराएं कम करने के नाम पर एक लाख रूपये की मांग की. जिसके बाद समीर ने महिला दरोगा की रिश्वत की शिकायत एंटी करप्शन टीम से की. जिसके बाद एंटी करप्शन टीम की छह सदस्यों की टीम ने समीर के साथ दो लोगों को पैसे लेकर महिला दरोगा के साथ भेज दिया.


उधर, महिला दरोगा ने समीर और उसके परिजनों को बीस हजार रुपयों के साथ बुलाया था. जिसके बाद महिला दरोगा अमृता ने समीर और उसके परिजनों से बुढ़ाना गेट पुलिस चौकी पर बैठकर 20 हजार रुपये की रिश्वत ले ली. उसी दौरान एंटी करप्शन की टीम ने महिला दरोगा को रंगेहाथों धर दबोचा. दरअसल, यह कोई पहला मामला नहीं था कि दरोगा अमृता यादव पर रिश्वत लेने का आरोप लगा हो इससे पहले महिला थाने में तैनाती के समय भी अमृता यादव पर रिश्वत के गंभीर आरोप लग चुके थे. 

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