आतंकवाद बर्दाश्त नहीं

 इलमा अज़ीम 
भारत अब केवल प्रतिक्रिया नहीं करता, वह भविष्य की संभावित साजिशों को रोकने के लिए भी तत्पर है। यह संदेश स्पष्ट है- कि अब आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत अब हर गोली का जवाब गोली से, और हर आतंकी योजना का जवाब निर्णायक सैन्य रणनीति से देगा। ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों ने न केवल पाकिस्तान को चेतावनी दी है, बल्कि भारतीय नागरिकों के मन में विश्वास भी जगाया है कि उनका देश अब चुप नहीं बैठेगा। पहलगाम के निर्दोषों की हत्या ने भारत को झकझोर कर रख दिया, लेकिन उसी आघात ने ऑपरेशन सिंदूर जैसी सटीक और निर्णायक प्रतिक्रिया को जन्म दिया। यह केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक चेतना, राष्ट्रीय संप्रभुता और नागरिक सुरक्षा का प्रतीक है।


 भारतीय सेना आज विश्व की सबसे शक्तिशाली और संगठित सेनाओं में से एक मानी जाती है। इसकी ताकत न केवल इसके अत्याधुनिक हथियारों, तकनीकी क्षमताओं और रणनीतिक कौशल में निहित है, बल्कि उस अडिग संकल्प में भी छुपी है जो हर भारतीय सैनिक की रगों में बहता है। भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और जनमानस की एकता पर यदि कोई खतरा मंडराता है, तो भारतीय सेना उसका जवाब शौर्य और संयम के अद्भुत संतुलन के साथ देती है। वर्ष 2014 के बाद देश ने ऐसे कई उदाहरण देखे हैं, चाहे वह उरी हमले के बाद की सर्जिकल स्ट्राइक हो, पुलवामा के बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक या हाल ही में पहलगाम हमले के पश्चात ऑपरेशन सिंदूर, हर बार भारतीय सेना ने यह सिद्ध किया है कि भारत अब केवल सहन नहीं करेगा, बल्कि हर आघात का उत्तर निर्णायक रूप से देगा। 
पाकिस्तान ने अपने निर्माण के तुरंत बाद ही भारत विरोधी गतिविधियां शुरू कर दीं। 1947, 1965 और 1971 में उसने सीधे युद्ध छेड़े। 1999 में कारगिल में तो उसने गुपचुप तरीके से घुसपैठ कर युद्ध का षड्यंत्र रचा, जिसे भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। इन सभी युद्धों में भारत ने विजय प्राप्त की, परंतु हर बार भारत ने युद्ध के बजाय शांति की पहल की। लेकिन पाकिस्तान ने इस सद्भावना का बदला आतंकवाद से दिया। 
उसकी सेना और आईएसआई लगातार जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल जैसे संगठनों को पैसा, प्रशिक्षण और संरक्षण देती रही। मुंबई हमले, उरी हमला, पुलवामा विस्फोट और अब पहलगाम कांड, हर घटना में पाकिस्तान की भूमिका उजागर होती रही है।


 भारत एक शांति प्रिय राष्ट्र है, लेकिन जब देश की संप्रभुता, नागरिकों की सुरक्षा और मानवता पर आघात होता है, तब भारत यह भी दिखाता है कि वह केवल सहनशील ही नहीं, बल्कि निर्णायक कार्रवाई करने में सक्षम राष्ट्र है। ऑपरेशन सिंदूर इसी रणनीतिक और सांस्कृतिक सोच का परिणाम है।

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