झारखंड और भ्रष्टाचार
इलमा अजीम
राजनीतिक दलों के लिए देश में व्याप्त भ्रष्टाचार कोई चुनावी मुद्दा नहीं रह गया है। यही वजह है कि खास तौर से क्षेत्रीय दलों की सरकारों में बेशर्मी से लूटने की होड़ मची हुई है। झारखंड में एक मंत्री के निजी सहायक के नौकर के घर से करीब 35 करोड़ रुपए मिलने पर किसी भी दल ने कठोर कार्रवाई की मांग तो दूर, बल्कि इस भारी-भरकम भ्रष्टाचार के लिए अफसोस तक जाहिर नहीं किया। यह पहला मौका नहीं है जब इंडिया गठबंधन में शामिल दलों की असलियत उजागर हुई हो। इससे पहले भी असीम सुर्खियों में रहे भ्रष्टाचार के मामलों में क्षेत्रीय दलों की सत्तारूढ़ सरकारों के काले कारनामे सामने आ चुके हैं। भ्रष्टाचार के मामले सामने आने पर क्षेत्रीय दलों का प्रयास यही रहता रहा है कि इसे केंद्र की भाजपा सरकार की साजिश करार दिया जाए। कांग्रेस ने इन दलों के भ्रष्टाचार के मामलों में संरक्षक की भूमिका निभाई है। कारण स्पष्ट है यदि कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के भ्रष्टाचार के मामले उठाती है तो उसे अपनी गिरेबां में भी झांकना होगा। इससे ये दल एक-दूसरे के भ्रष्टाचार के मामलों में छिछालेदार करने लगेंगे। ऐसी हास्यास्पद स्थिति से बचने के लिए ये दल एक-दूसरे के भ्रष्टाचार का जिक्र नहीं करते हैं। कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के मामलों में मौन साधे रखा है। यहां तक कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भ्रष्टाचार का जिक्र तक करना जरूरी नहीं समझा। झारखंड में सत्ता में शामिल कांग्रेस ने आलम के इस्तीफे की मांग तक नहीं की। अलबत्ता कांग्रेस ने इससे अपना दामन बचाने की कोशिश जरूर की। इससे पहले झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं। सोरेन को जमानत नहीं मिल सकी है। पूर्व मुख्यमंत्री सोरेन 6 अक्टूबर 2023 को कथित भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया था। जैसा कि अक्सर होता है, हर भ्रष्टाचारी ऐसे मामलों को फंसाने की साजिश करार देता है, इसी तर्ज पर सोरेन ने भी आरोप से इनकार किया। कांग्रेस ने सोरेन की गिरफ्तारी की निंदा की और इसे संघवाद के लिए झटका बताया था। झारखंड और भ्रष्टाचार का चोली-दामन का साथ है। संयुक्त बिहार में ही झारखंड में हुए चारा घोटाले से शुरू हुई थी और बड़े भ्रष्टाचार की कहानी आज भी बदस्तूर जारी है। चारा घोटाले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का नाम सामने आया था। इस घोटाले में पशुओं के चारे की चोरी की गई। 950 करोड़ के इस घोटाले में 53 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि कुल 170 आरोपी बनाए गए थे।
राजनीतिक दलों के लिए देश में व्याप्त भ्रष्टाचार कोई चुनावी मुद्दा नहीं रह गया है। यही वजह है कि खास तौर से क्षेत्रीय दलों की सरकारों में बेशर्मी से लूटने की होड़ मची हुई है। झारखंड में एक मंत्री के निजी सहायक के नौकर के घर से करीब 35 करोड़ रुपए मिलने पर किसी भी दल ने कठोर कार्रवाई की मांग तो दूर, बल्कि इस भारी-भरकम भ्रष्टाचार के लिए अफसोस तक जाहिर नहीं किया। यह पहला मौका नहीं है जब इंडिया गठबंधन में शामिल दलों की असलियत उजागर हुई हो। इससे पहले भी असीम सुर्खियों में रहे भ्रष्टाचार के मामलों में क्षेत्रीय दलों की सत्तारूढ़ सरकारों के काले कारनामे सामने आ चुके हैं। भ्रष्टाचार के मामले सामने आने पर क्षेत्रीय दलों का प्रयास यही रहता रहा है कि इसे केंद्र की भाजपा सरकार की साजिश करार दिया जाए। कांग्रेस ने इन दलों के भ्रष्टाचार के मामलों में संरक्षक की भूमिका निभाई है। कारण स्पष्ट है यदि कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के भ्रष्टाचार के मामले उठाती है तो उसे अपनी गिरेबां में भी झांकना होगा। इससे ये दल एक-दूसरे के भ्रष्टाचार के मामलों में छिछालेदार करने लगेंगे। ऐसी हास्यास्पद स्थिति से बचने के लिए ये दल एक-दूसरे के भ्रष्टाचार का जिक्र नहीं करते हैं। कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के मामलों में मौन साधे रखा है। यहां तक कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भ्रष्टाचार का जिक्र तक करना जरूरी नहीं समझा। झारखंड में सत्ता में शामिल कांग्रेस ने आलम के इस्तीफे की मांग तक नहीं की। अलबत्ता कांग्रेस ने इससे अपना दामन बचाने की कोशिश जरूर की। इससे पहले झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं। सोरेन को जमानत नहीं मिल सकी है। पूर्व मुख्यमंत्री सोरेन 6 अक्टूबर 2023 को कथित भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया था। जैसा कि अक्सर होता है, हर भ्रष्टाचारी ऐसे मामलों को फंसाने की साजिश करार देता है, इसी तर्ज पर सोरेन ने भी आरोप से इनकार किया। कांग्रेस ने सोरेन की गिरफ्तारी की निंदा की और इसे संघवाद के लिए झटका बताया था। झारखंड और भ्रष्टाचार का चोली-दामन का साथ है। संयुक्त बिहार में ही झारखंड में हुए चारा घोटाले से शुरू हुई थी और बड़े भ्रष्टाचार की कहानी आज भी बदस्तूर जारी है। चारा घोटाले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का नाम सामने आया था। इस घोटाले में पशुओं के चारे की चोरी की गई। 950 करोड़ के इस घोटाले में 53 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि कुल 170 आरोपी बनाए गए थे।
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