डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन इमर्जिंग ट्रेन्डस इन लाइब्रेरीज विषय पर  संगोष्ठी का आयोजन

मेरठ। राजा कुंवर सिंह डिपार्टमेंट ऑफ लाइब्रेरी एण्ड इर्न्फोमेशन साइंस, कला एवं सामाजिक विज्ञान संकाय, स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा आरआरआरएलएफ व डीआरडीओ भारत सरकार द्वारा अनुदानित द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन इमर्जिंग ट्रेंड्स इन लाइब्रेरीज’ का आयोजन किया गया। जिसमें पूरे देशभर से आये 16 राज्यों के पुस्तकालय विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया। संकायाध्यक्ष डॉ0 सुधीर त्यागी ने बताया की संगोष्ठी के आयोजन का उद्देश्य पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र से नवीन प्रवृत्तियों व तकनीकों से प्रतिभागियों को अवगत कराना था।

            कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ. जी. के. थपलियाल, संकायाध्यक्ष डॉ. सुधीर त्यागी, मुख्य अतिथि डॉ. अजीत कुमार, निदेशक, केन्द्रीय सचिवालय पुस्तकालय एवं महानिदेशक दिल्ली सार्वजनिक पुस्तकालय, व अन्य अतिथियों डॉ. यू. सी. शर्मा, डॉ. आनंद ए. झा, डॉ. डी. डी. लाल, डॉ. एम. मधुसूदन, डॉ. आर. एन. मालवीय, डॉ. सलेक चंद, डॉ. पी. के. भट्टाचार्य ने माता सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष द्वीप प्रज्वलन कर किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. शल्या राज ने संगोष्ठी के सफल आयोजन हेतु अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की।

संगोष्ठी को सफल बनाने का श्रेय उन सभी वक्ताओं को था जिन्होंने पुस्तकालय और सूचना विज्ञान के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता का योगदान दिया तथा उनकी गरिमामयी उपस्थिति ने शोभा बढाई, मुख्य वक्ताओ मे डॉ. पी. के. भटटचार्य, टेरी, नई दिल्ली, डॉ. शांतनु गांगुली, निम्स, जयपुर, प्रो. डॉ. यू. सी. शर्मा, डॉ. बी. आर. अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा, प्रो. डॉ. एम. मधुसूदन, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली, डॉ. सलेक चन्द, राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान, नई दिल्ली, डॉ. आनंद ए. झा, चितकारा विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश, डॉ. आर. एन. मालवीय, ऋषिहुड विश्वविद्यालय, हरियाणा, प्रो. डॉ. अनिल धीमान, गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय, उत्तरांचल, डॉ. एम. नटराजन, निस्केयर, नई दिल्ली, डॉ. शिवा कन्नोजिया, जेएनयू, नई दिल्ली, डॉ. डी. डी. लाल, नेशनल ब्रेन सेन्टर, मानेसर, गुडगांव, डॉ. संजय शर्मा, मेवाड विश्वविद्यालय, राजस्थान, डॉ. नितीन जोशी, एमआईटी वर्ल्ड पीस विश्वविद्यालय, पुणे, डॉ. जसवीर सिंह, आईजीएनसीए, डॉ. सुमित हांडा, टीएचडीसी टिहरी, डॉ. रोहताश सिंह, अमेटी विश्वविद्यालय, नोएडा, डॉ. पूनम भारती, आईआईएलएम आदि ने व्याख्यान दिया।

इस अवसर पर अपने व्याख्यान में मुख्य अतिथि डॉ. अजीत कुमार ने कहा कि डिजिटल संरक्षण यह सुनिश्चित करने का एक औपचारिक प्रयास है कि निरन्तर डिजिटल जानकारी सुलभ व उपयोगकर्ताओं के उपयोग योग्य बनी रहें। डिजिटल संरक्षण का उद्देश्य समय के साथ प्रमाणित सामग्री का सटीक प्रतिपादन है। पुस्तकालय और सूचना विज्ञान में ये नये रूझान हर किसी के लिए अधिक मात्रा में जानकारी प्राप्त करने में वृद्धि करते है।

इस अवसर पर कुलपति मेजर जनरल डॉ. जी. के. थपलियाल ने कहा कि वर्तमान समय में पुस्तकालय उपयोगकर्ताओं की आवश्यकता में परिवर्तन आ रहा है। आईसीटी के कारण संसाधनों, सेवाओं और उत्पादों में भी परिवर्तन आ रहा है। डिजिटल पुस्तकालयों में नवीन उपयोगकर्ता भी स्वतन्त्र रूप से सहज सर्च इंजन प्रौद्योगिकी के माध्यम से उनका सुलभतापूर्वक उपयोग कर सकते है।

संगोष्ठी मे राष्ट्रीय स्तर पर पुस्तकालय और सूचना विज्ञान के क्षेत्र में 60 से अधिक शोध पत्र प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुत किये गये। सभी चयनित शोध पत्रों को दो पुस्तको मे प्रकाशित किया गया। संगोष्ठी में दो दिनों में पांच तकनीकी सत्रो का सफलता पूर्वक आयोजन किया गया। संगोष्ठी में लगभग 16 राज्यों से 145 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया व अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। द्वि-दिवसीय संगोष्ठी मे आउटस्टैंडिंग रिसर्च एक्सिलैन्स अवार्ड 2023 डॉ. एम. मधुसूदन को प्रदान किया गया, सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र प्रस्तुत करने हेतु गुंजन जैन व प्रतिभा को अवार्ड दिया गया, सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र का पुरस्कार भावना सैनी व पारबती पांडे को दिया गया। प्रथम बार शोध पत्र प्रस्तुति का पुरूस्कार कु0 चंचल को दिया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. अल्पना व डॉ. नेहा द्वारा किया गया।

इस अवसर पर विभिन्न संकायों के विभागाध्यक्ष डॉ. शिव मोहन, डॉ. अनोज राज, डॉ. मनोज त्रिपाठी व विभाग के सभी शिक्षकों डॉ. जावेद खान, डॉ. सपना शर्मा, डॉ. अल्पना व श्रीमति आरती सहित कला एवं विज्ञान संकाय के सभी शिक्षक, विद्यार्थी व पुस्तकालय कर्मी उपस्थित रहें। डॉ. सुधीर त्यागी संकायाध्यक्ष, कला एवं सामाजिक विज्ञान ने कान्फ्रेंस रिर्पोट  प्रस्तुत की। कार्यक्रम के अन्त मे डॉ. सपना शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। सभी ने कार्यक्रम को सफल बनाने मे अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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