क्षय रोगियों को दवाओं के साथ उच्च प्रोटीन और विटामिन युक्त खुराक जरूरी - डा. योगेश गुप्ता

रोटरी क्लब ऑफ हापुड़ - प्लेटिनम ने 33 क्षय रोगियों को गोद लेकर पुष्टाहार प्रदान किया

जिला पीपीएम समन्वयक ने क्षय रोगियों को मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी दी

हापुड़, 26 सितंबर, 2023। क्षय रोग से बचाव और क्षय रोग होने पर उसके निदान में पोषण का बड़ा महत्व है, इसके विपरीत कुपोषण हमारे देश में टीबी का बड़ा कारण है। एक ही स्थान पर काम करने वाले सभी लोगों को टीबी नहीं होती, जबकि फेफड़ों की टीबी संक्रामक है, उसका स्पष्ट सा कारण है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, वह टीबी ही नहीं अन्य संक्रमणों से भी बच जाते हैं और मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छे पोषण से मिलती है। यह बातें जिला महिला चिकित्सालय में मंगलवार को क्षय रोगी एडॉप्शन कार्यक्रम में चिकित्सा प्रभारी डा. योगेश गुप्ता ने कहीं। 



डा. योगेश गुप्ता ने क्षय रोगियों को संबोधित करते हुए कहा - टीबी होने पर नियमित रूप दवाओं के साथ उच्च प्रोटीन और विटामिन युक्त खुराक लेनी भी जरूरी है। क्षय रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, ऐसे में उन्हें दूसरे संक्रमण लगने का खतरा बढ़ जाता है। प्रतिरोधक क्षमता बेहतर करने के लिए पौष्टिक आहार लें, इससे टीबी ‌का निदान होने में भी मदद मिलती है। इस मौके पर रोटरी क्लब ऑफ हापुड़-प्लेटिनम के अध्यक्ष विनीत जिंदल ने सात बच्चों समेत कुल 33 क्षय रोगियों को गोद लेकर सामाजिक और भावनात्मक सहयोग के साथ ही उपचार जारी रहने तक हर माह पुष्टाहार उपलब्ध कराने का वचन दिया। उनके साथ संस्था के सचिव सचिन गुप्ता, को‌षाध्यक्ष संदीप गोयल, असिस्टेंट गवर्नर विवेक शर्मा और संस्था के ट्रेनर मुकेश गर्ग भी मौजूद थे।

जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने क्षय रोगियों को उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया- क्षय रोगियों के लिए पोषण के महत्व को समझते हुए सरकार की ओर से रोगी के खाते में हर माह‌ पांच सौ रुपए पोषण भत्ते के रूप में दिए जाते हैं। सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच और उपचार की सुविधा उपलब्ध है। दो सप्ताह से अधिक खांसी, सीने में दर्द, शाम को बुखार आना, रात में सोते समय पसीना आना, वजन कम होना और थकान रहना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। कोई भी लक्षण नजर आने पर टीबी की जांच अवश्य कराएं। एसटीएस जौनी कुमार ने बताया- जल्दी उपचार शुरू होने पर केवल छह माह के उपचार के बाद ही रोगी पूरी तरह ठीक हो जाता है। उन्होंने क्षय रोगियों से अपील की कि अपने सभी परिजनों को टीबी की जांच कराने के लिए प्रेरित करें।

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