थैलेसीमिया पर इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल का जागरूकता कार्यक्रम हुआ आयोजित

मेरठ। देश भर में लोगों को उन्नत उपचार प्रदान करने की अपोलो की पहल के तहत थैलेसीमिया को लेकर नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल ने जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। इस दौरान अस्पताल के विशेषज्ञों ने थैलेसीमिया के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए उन्नत चिकित्सा उपचारों को लेकर भी चर्चा की। विश्व थैलेसीमिया दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में सफल उपचार कराने वाले मासूम मरीज और उनके परिवार भी मौजूद रहें।

कार्यक्रम में नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के प्रबंध निदेशक पी शिवकुमार, बोन मैरो ट्रांसप्लांट एंड सेल्युलर थेरेपी के सलाहकार और पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजी, ऑन्कोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. गौरव खरिया, बाल चिकित्सा ऑन्कोलॉजी और हेमेटोलॉजी विभाग की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अमिता महाजन और निदेशक चिकित्सा सेवा डॉ. शांति बंसल ने थैलेसीमिया के उपचार को बढ़ावा देने के लिए लक्षण, उपचार के तौर-तरीकों और नैदानिक परीक्षणों पर चर्चा की। विशेषज्ञों ने बताया कि बीते साल भर में इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल ने थैलेसीमिया को लेकर कुछ चुनौतीपूर्ण मामलों को देखा है। इन रोगियों को अस्पताल में उपलब्ध उन्नत चिकित्सा सुविधाओं के माध्यम से उपचार दिया गया था। उन्होंने बताया कि हाल ही में एक पांच साल की बच्ची का मामला सामने आया जो ट्रांसफ्यूजन डिपेंडेंट थैलेसीमिया रोगी थी। इसे नियमित रक्त आधान और आयरन केलेशन थेरेपी दी जा रही थी। इस बच्ची के भाई की मदद से डॉक्टरों ने एक टी सेल डिप्लीटेड हैप्लोआइडेंटिकल डोनर यानी परिवार के सदस्य से मेल करता टिश्यू लेकर बोनमैरो ट्रांसप्लांट किया। यह ट्रांसप्लांट सफल रहा और उसका अस्थि मज्जा यानी बोन मैरो उसके भाई से 100% कार्यात्मक कोशिकाओं को दिखाता है। वहीं, एक और मामला चार साल की बच्ची का है। यह भी ट्रांसफ्यूजन डिपेंडेंट थैलेसीमिया रोगी थी और नियमित रक्त आधान व आयरन केलेशन थेरेपी ले रही थी। हालांकि इस केस में मरीज से मेल करता डोनर नहीं मिल पाया, जिसके चलते डॉक्टरों ने एक अगुणित पारिवारिक दाता आधान के लिए योजना बनाई थी। यह योजना सफल रही क्योंकि मरीज का ट्रांसप्लांट वैसा ही रहा, जिसकी उम्मीद डॉक्टरों ने की थी।

कॉन्फ्रेन्स को संबोधित करते हुए बोन मैरो ट्रांसप्लांट एंड सेल्युलर थेरेपी के सलाहकार और इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजी, ऑन्कोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. गौरव खरिया ने कहा, "थैलेसीमिया मेजर काफी जोखिम भरी बीमारी है, जिसे रोका भी जा सकता है। इसके लिए लोगों में जागरूकता होना बहुत जरूरी है। देश में सालाना थैलेसीमिया मेजर ग्रस्त मरीजों की संख्या बढ़ रही है। 

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