चिकन पॉक्स के वायरस वेरिसेला जॉस्टर के कारण होती है बीमारी

.स्कीन स्पेशलिस्ट डा.मनीषा बिंदल से विशेष बातचीत


मेरठ। किसी की त्वचा पर मामूली दानों से शुरू होने वाली बीमारी में शरीर के एक हिस्से पर कई दाने एक साथ निकल आते हैं, जो पानी से भरे होते हैं और जिनमें दर्द, जलन और सूजन रहती है। रिसर्च में पाया गया है कि 40 की उम्र पार करने के बाद हर्पीज जॉस्टर होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। महिलाओं में ये रोग होने की आशंका अधिक होती है। उम्रदराज वयस्कों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में नजर आने वाला ये रोग हाईजीन के अभाव, तनाव, चोट, दवाओं या फिर अन्य किसी कारण से भी हो सकता है।
विशेष बातचीत के दौरान स्कीन स्पेशलिस्ट डा. मनीषा बिंदल ने बताया कि इस बीमारी में रोगी को बहुत ज्यादा दर्द होता है। दर्द से बचने के लिए जॉस्टावैक्स नामक वैक्सीन दी जाती है। एहतियात के तौर पर अमेरिका में 55 साल की उम्र के बाद हर व्यक्ति को यह वैक्सीन दी जाती हैए ताकि इस बीमारी से बचा जा सके। इस वैक्सीन के लेने से बीमारी होने की आशंका कम हो जाती है। आमतौर पर हर्पीज जॉस्टर 2 से 3 सप्ताह में ठीक हो जाती है और फिर शायद ही कभी लौटकर आती है।
हर्पीज जॉस्टर है क्या
स्कीन स्पेशलिस्ट डा. मनीषा बिंदल ने बताया कि आमतौर पर इसे शिंगल्स के नाम से जाना जाता है। यह वायरस द्वारा उत्पन्न रोग है, जो त्वचा पर दर्दयुक्त घाव उत्पन्न करता है। आमतौर पर शिंगल्स शरीर या चेहरे के किसी एक तरफ पतली पट्टी, एक बंध या छोटे क्षेत्र के रूप में दिखाई पड़ता है। यह आंखों के पास भी हो सकता है, जिसे हर्पीज जॉस्टर ओफ्थेल्मिकस कहते हैं। इस बीमारी के होने पर रोगी के शरीर के एक तरफ की त्वचा पर पानी वाले दाने निकलते हैं। इस वजह से रोगी को त्वचा में खुजली, दर्द, जलन, सुन्नपन या झनझनाहट की परेशानी होती है। इतना ही नहीं, जिस जगह ये दाने निकलते हैं, वहां की त्वचा बेहद संवेदनशील हो जाती है और उसे छूने पर दर्द होता है। इन दानों के निकलने से पहले रोगी को दर्द होना शुरू हो जाता है। दर्द होने के कुछ दिनों के बाद उस जगह की त्वचा पर लाल.लाल फुंसियां निकलनी शुरू हो जाती हैं। धीरे.धीरे इन दानों में पानी भर जाता है। इसके अलावा बुखार, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, थकान आदि की शिकायत भी कई रोगियों को होने लग जाती हैं। कोरोना काल में अक्सर मरीजों में यह देखनें को मिल रहा है।
क्या हैं कारण
डॉक्टर मनीषा के मुताबिक जब हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है तो इस बीमारी का वायरस नर्वस पाथवे से होता हुआ हमारी त्वचा तक पहुंच जाता है। इस बीमारी में रोगी को त्वचा में खुजली, जलन, दर्द और सुन्नपन या झनझनाहट की परेशानी रहती है। इस बीमारी की खास बात ये है कि दाने निकलने के कुछ दिन पहले से ही उस विशेष जगह पर दर्द महसूस होने लगता है।
एक संक्रमण बीमारी हर्पीज
हर्पीज एक संक्रामक बीमारी है, जो हर्पीज सिंफ्लेक्स वायरस यानी एचएसवी के कारण होती है। इस संक्रमण की खास बात ये है कि ये न केवल त्वचा, बल्कि केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करता है, इसलिए सावधानी बरतना काफी जरूरी है। आमतौर पर यह बीमारी उसी व्यक्ति को होती हैए जिसे पहले चिकन पॉक्स हो चुका होता है या फिर चिकन पॉक्स का एक्सपोजर हुआ हो। यह बीमारी चिकन पॉक्स के वायरस वेरिसेला जॉस्टर के कारण होती है। दरअसल, चिकन पॉक्स ठीक होने के बाद यह वायरस नर्वस सिस्टम में चला जाता है और वर्षों तक वहीं सुप्तावस्था में पड़ा रहता है।
इलाज
इस बीमारी के इलाज के लिए एंटीवायरस मेडिसिन एसाइक्लोविर रोगी को दी जाती है, ताकि उसके शरीर में उपस्थित वायरस नष्ट हो जाएं। इसके अलावा फैमसाइक्लोविर और वैलासाइक्लोविर दवाइयां भी रोगी को दी जा सकती हैं। इन दवाइयों के साथ रोगी को दानों पर लगाने के लिए लोशन या मलहम आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इस बीमारी के ठीक होने में दो से तीन सप्ताह यानी 10 से 20 दिन लगते हैं।
इन बातों का रखें ख्याल
.ठंडे पानी से नहाएं।
.घाव बार.बार न धोएं और सुखाकर रखें।
.ज्यादा तरल पदाथों का सेवन करें।
.ढीले कपड़े पहनें।
.घाव छूने से पहले हाथों को ठीक से धो लें।
.बर्फ से सिकाई करें।
.घाव पर क्रीम या लोशन लगाते रहें।

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