मृत्यु दर घटकर रह गई 0.38 प्र‌तिशत


-    जून में आंकड़ा पहुंच गया चार फीसदी से ऊपर


-    मरने वालों में 66 फीसदी को‌मोर्बिड


-    कोमोर्बिड और बुजुर्ग बरतें अतिरिक्त सतर्कता : सीएमओ


 

गाजियाबाद, 28 दिसंबर, 2020। बेशक जिले में कोविड-19 से होने वाली मौतों को आंकड़ा सौ पर पहुंच गया है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि कोविड-19 के फैलाव और गंभीरता में कमी आई है। जून माह के दौरान मृत्यु दर जहां करीब साढ़े चार फीसदी के ऊपर पहुंच गई थी, वहीं अब जनपद में कोविड के चलते मृत्यु दर केवल 0.38 प्रतिशत रह गई है और यह अगस्त माह के दूसरे पखवाड़े से एक फीसदी से नीचे बनी हुई है। बता दें ‌कि पहले तीन माह, यानी अप्रैल, मई और जून में ही जनपद में 50 मौतें हो गई थीं। 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एनके गुप्ता का कहना है कि जनपद में मृत्यु दर अगस्त के दूसरे पखवाड़े से ही एक फीसदी से कम बनी हुई है। ऐसा जांच का दायरा बढ़ाने और पॉजिटिव पाए जाने पर जल्दी उपचार शुरू करने से संभव हुआ है। दरअसल कोविड संक्रमण फेफड़ों में पहुंचने के बाद खतरनाक हो जाता है लेकिन समय से उपचार शुरू होने पर इसे फेफड़ों तक जाने से रोका जा सकता है और जांच व उपचार में तेजी से हम इसमें कामयाब रहे हैं। 
उन्होंने कहा कि कोविड का खतरा कम हुआ है लेकिन अभी समाप्त नहीं हुआ है। इसलिए सतर्कता बनाए रखना जरूरी है। खासकर गंभीर बीमारियों से पीड़ित (कोमोर्बिड) और बुजुर्गों को अभी भी अत्याधिक सचेत रहने की जरूरत है। कोमोर्बिड और 60 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, इन दोनों ही वर्गों में कोविड संक्रमण अत्यंत गंभीर हो जाता है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जनपद में 100 में से 38 मौतें 60 वर्ष से अधिक आयु वाले बुजुर्गों की हुई हैं।
दूसरे नंबर पर 46 से 60 वर्ष तक के आयु वर्ग में 33 मौतें हुई हैं। 31 से 45 वर्ष के आयु वर्ग में 18, 16 से 30 वर्ष के आयु वर्ग में  नौ और 15 वर्ष तक के आयु वर्ग में दो मौतें हुई हैं। सीएमओ ने बताया  इन आंकड़ों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग कोमोर्बिड और बुजुर्गों पर विशेष ध्यान दे रहा है। प्रयास किया जा रहा कि इन दोनों ही वर्गों के संक्रमित को सबसे पहले उपचार उपलब्ध कराया जाए। इसके अलावा जागरूकता अभियानों में भी ऐसे लोगों को अतिरिक्त एहतियात बरतने की सलाह दी जा रही है।
सीएमओ ने बताया जनपद में हुई कुल मौतों में 66 फीसदी मौतें कोमोर्बिडिटी के चलते हुई हैं। यानी 66 फीसदी लोग पहले से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, श्वसन रोगों या फिर हृदय व किडनी रोगों से पीड़ित थे। इसलिए ऐसे लोगों को अभी भी सतर्क रहने की जरूरत है जो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। परिवार के अन्य लोग भी सतर्कता बरतें। बाहर से लौटने पर अपने हाथों को अच्छे से सैनिटाइज करें और बाहर के कपड़े अलग रखें। कोई लक्षण आने पर  तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें। क्योंकि उनके द्वारा की गई लापरवाही घर में रह रहे कोमोर्बिड या फिर बुजुर्ग पर भारी पड़ सकती है।

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