हस्तिनापुर संदेश पत्रिका व प्रतीक चिन्ह का विमोचन - नाम व प्रतीक चिन्ह से ही देश में पहचान मिलती है
मेरठ। नाम और प्रतीक चिन्ह किसी भी संस्था की पहचान होती है, जिसके साथ देश के भिन्न भागों में कार्य और संस्था को पहचान मिलती है। प्रतीक चिन्ह पर कल्पना तैयार हुई। प्रतीक चिन्ह पर भारत केंद्रित विचारों के साथ समझ को दिशा मिलेगी। आज इसी पहचान के प्रतीक चिन्ह को अपने कार्यकतार्ओं के अथक परिश्रम से पूर्ण किया गया। यह बात भारतीय प्रज्ञान परिषद के क्षेत्रीय संयोजक भगवती प्रसाद राघव ने हस्तिनापुर पत्रिका व प्रतीय चिन्ह के विमोचन के दौरान कही। भगवती प्रसाद ने कहा कि भारतीय प्रज्ञान परिषद की गतिविधियों के लिए पिछले वर्ष समाचार पत्रिका की परिकल्पना की गई थी, जिसे कार्यकतार्ओं के लगातार अथक प्रयास से आज पत्रिका के प्रतीक चिन्ह के साथ सभी के सम्मुख लाया जा सका है। भारतीय प्रज्ञान परिषद के सभी कार्यकर्ता बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि प्रज्ञा प्रवाह एक परिवार है। इसके विस्तार एवं उन्नति के लिए परिवार के सभी सदस्यों को मिलकर कार्य करना है। मेरी ऐसी अपेक्षा है कि सभी कार्यकर्ता इसके लिए कटिबद्ध रहेंगे। मुझे ऐसी आशा भी है कि भारतीय प्रज्ञान परिषद एक वृक्ष के रूप में लगातार विकसित और पल्लवित होता रहेगा एवं संपूर्ण जगत में भारतीयता को स्थापित करने के अपने पथ पर अग्रसर रहेगा। उन्होंने कहा,कि भारतीय प्रज्ञान परिषद का प्रतीक चिन्ह भविष्य में प्रांत अध्यक्ष और संयोजक की स्वीकृति से इकाईयों में प्रयोग किया जायेगा। श्री भगवती जी ने नवंबर 27, 2020 को लखनऊ में इतिहासविदों के एक वृह्द कार्यक्रम आयोजन की भी सूचना दी। उन्होंने प्रांत के कार्यकतार्ओं का आह्वान करते हुए कहा कि कला क्षेत्र से जुड़े कार्यकतार्ओं द्वारा एक कला प्रदर्शनी की योजना भी बनाई जा सकती है। े संपादक डॉ सूर्य प्रकाश अग्रवाल ने हस्तिनापुर संदेश नाम और पत्रिका के उपयोग पर विचार रखे, उपसंपादक डॉ श्यामलेंद्रु रंजन ने पत्रिका को सभी के सामने लाये। संपादक मंडल से डॉ वंदना वर्मा ने भारतीय प्रज्ञान परिषद और हस्तिनापुर संदेश पत्रिका के दोनों प्रतीक चिन्हों को सभी के सम्मुख रखकर, संबंधित सारगर्भित विचारों को रखा। विदित हो कि प्रतीक चिन्हों को मूर्त रूप देने में डॉ. वंदना वर्मा का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इतिहास में दर्ज में है हस्तिनापुर प्रांतीय अध्यक्ष प्रो बीरपाल ने कहा कि पत्रिका का नाम हस्तिनापुर संदेश इसीलिए रखा गया है क्योंकि हस्तिनापुर इतिहास के पन्नों में दर्ज है। हस्तिनापुर की देश व विदेशों में एक अलग पहचान है। देश ही नहीं विदेशों से भी लोग हस्तिनापुर को देखने के लिए आते हैं। अध्यक्षीय संबोधन में प्रांत अध्यक्ष प्रोफेसर बीरपाल सिंह ने पत्रिका और भारतीय प्रज्ञान परिषद कार्यकतार्ओं के कार्यों की सराहना की, साथ ही अपने प्रांत एवं अन्य प्रांतों के उपस्थित कार्यकतार्ओं को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का प्रारंभ सहारनपुर की कार्यकर्ता आकांक्षा पंवार ने माँ सरस्वती की वंदना से किया, कार्यक्रम का समापन शांति पाठ के साथ सहारनपुर महानगर संयोजक डॉ वंदना रूहेला द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डॉ गोविंद राम गुप्ता, अलका तिवारी, डॉ आदर्श पांडेय, भास्कर, दीक्षा, डॉ जितेंद्र, पंकज कुमार, डॉ योगेश त्यागी, डॉ अनिल जायसवाल , डॉ हिमांशु अग्रवाल, डॉ अल्पना, विभु कपिल, डॉ दिनेश जैसाली, डॉ अमित वैश्य, मनीषा अग्रवाल, डॉ सविता वशिष्ठ, डॉ वंदना आदि मौजूद रहे।
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