एएफआई के अध्यक्ष ने प्रदेश के सभी आरएसओं को भेजे दिशा निर्देश
मेरठ ।कोविड.19 के कारण हुए लॉकडाउन में हर तरह की गतिविधियां बंद रही। खेलकूद भी पूरी तरह से बंद रहा। अनलॉक होने के क्रम में अब खेलकूद शुरू होने लगे हैं। इस दौरान कोविड.19 की दवाई की आड़ में खिलाड़ियों ने प्रतिबंधित दवाओं का सेवन भी शुरू कर दिया है। इसकी भनक लगते ही एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट ए सुम्मरीवाला ने खिलाड़ियों को सख्त चेतावनी देते हुए कोविड-19 की आड़ में किसी भी तरह की प्रतिबंधित दवाओं का सेवन करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि कोविड.19 के कारण नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी यानी नाडा की ओर से खिलाड़ियों के सैंपल जांच के लिए नहीं लिए जा रहे हैं। इससे खिलाड़ी यह कतई न समझे कि वह सिंथेटिक ड्रग्स का इस्तेमाल करेंगे और पकड़े नहीं जाएंगे। इस तरह की दवाएं शरीर में लंबे समय तक या करीब एक साल तक बने रहते हैं। इस दौरान हुए जांच में खिलाड़ी जरूर पकड़े जाएंगे।
एएफआई प्रेसिडेंट ने विशेष तौर पर जिला व प्रदेश स्तर पर प्रशिक्षण कर रहे खिलाड़ियों के कोचों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि जिला व प्रदेश स्तर पर खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने वाले कोच निजी फायदे के लिए प्रतिबंधित दवाएं खिलाते हैं, जिससे उनका क्षणिक लाभ होता है लेकिन खिलाड़ियों का भविष्य अधर में लटक जाता है। उन्होंने स्पष्ट रूप से सरकारी खेल प्रशिक्षकों को एक ही स्थान पर लंबे समय तक बने रहने के लिए खिलाड़ियों को प्रतिबंधित दवाओं का सेवन करा कर अच्छे रिजल्ट लेने की जानकारी। उन्होंने कहा कि ऐसे कोचों को चिन्हित कर उन्हें आजीवन प्रतिबंधित करते हुए सख्त कानूनी कार्रवाई की भी जरूरत है।
100 रुपये का 50 हज़ार लेते हैं
एएफआई की वार्षिक आम सभा में ऑनलाइन देशभर के जिला स्तरीय तक के संगठन पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए एएफआई प्रेसिडेंट ने कहा ने बताया कि कुछ सेंटर की सूचना मिली है, जहां कुछ खिलाड़ियों को 100 रुपये का इंजेक्शन लगाकर उनसे ५० हजार रुपये तक वसूलते हैं। एएफआई प्लैनिंग कमिशन चेयरमैन और कार्यकारी सदस्य ललित भनोट ने कहा कि प्रतिबंधित दवाओं का व्यवसाय अच्छा खासा धंधा बन चुका है। जिला व प्रदेश स्तर पर कोच खिलाड़ियों को इस तरह की प्रतिबंधित दवाओं का सेवन करा आ रहे हैं। खिलाड़ी के पकड़े जाने पर कोच बच जाते हैं लेकिन नुकसान खिलाड़ियों का होता है।
दी जाएगें बायोमेट्रिक पहचान पत्र
एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया खिलाड़ियों को बायोमेट्रिक पहचान पत्र जारी करने की योजना पर काम कर रहा है। एएफआई के अनुसार अधिक उम्र के खिलाड़ी कम उम्र का प्रमाण पत्र बना कर प्रतियोगिताओं में उतरते हैं। इसमें खिलाड़ी, कोच सहित अन्य विभागों की मिलीभगत भी होती है। ऐसे खिलाड़ियों को रोकने के लिए बायोमेट्रिक पहचान पत्र दिए जाएंगे। हालांकि यह काफी महंगा पड़ेगा लेकिन फिर भी एक लाख से अधिक ऐसे पहचान पत्र बनाने पर विचार किया जा रहा है। एएफआई के अनुसार विश्व में डोपिंग के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है। डोपिंग को नहीं रोका गया तो भारतीय एथलेटिक को प्रतिबंधित भी किया जा सकता है।
खिलाड़ी भी बने जागरूक
जिला एथलेटिक संघ मेरठ के सचिव अनु कुमार ने बताया कि एएफआई की ओर से एथलेटिक्स के खेल को ड्रग रहित वह आयु में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए कई कड़े नियम बनाए गए हैं। इन नियमों को लागू करने के लिए जिला स्तर पर सख्ती बरतने को कहा गया है, जिससे सबसे निचले स्तर से ही योग्य व अच्छे खिलाड़ी ही आगे की प्रतियोगिताओं में शामिल हो और अपने क्षेत्र के साथ ही देश का नाम भी रोशन करें। उन्होंने कहा कि जो खिलाड़ी जाने अनजाने कोच के बहकावे में आकर प्रतिबंधित दवाओं या बाजार से खराब फूड सप्लीमेंट खरीद रहे हैं, उन्हें इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। उन्हें अधिक जागरूक होने की जरूरत है। खिलाड़ियों का नुकसान न हो इसके लिए नियमों को सख्त किया गया है।
No comments:
Post a Comment